सात वर्षों में देश की रक्षा निर्यात ३८ हज़ार करोड़ तक जा पहुँची – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – रक्षा क्षेत्र में भारत की निर्यात बीते सात वर्षों में बढ़कर ३८ हज़ार करोड़ रुपयों तक जा पहुँची है और भारत जल्द ही इस क्षेत्र में प्रमुख देश बनेगा, यह विश्‍वास केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया| राजधानी नई दिल्ली में आयोजित एक परिषद के दौरान रक्षामंत्री ने भारत के रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षेत्र के उद्योग का कारोबार लगभग ८५ हज़ार करोड़ रुपयों तक पहुँने की जानकारी साझा की| इस दौरान उन्होंने भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्य उद्योगों से अनुसंधान और विकास क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर जोर देने का आवाहन किया|

रक्षा निर्यातशनिवार के दिन नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के ‘डिपार्टमेंट ऑफ डिफेन्स प्रोडक्शन’ और ‘सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेन्स मैन्युफैक्चरर्स’ (एसआईडीएम) ने ‘एमएसएमई कोन्क्लेव’ का आयोजन किया था| इस समारोह को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने बीते सात वर्षों में केंद्र सरकार के निर्णयों की वजह से रक्षा क्षेत्र का निर्यात बढ़ने की बात स्पष्ट की| इस दौर में रक्षा क्षेत्र में नए ‘स्टार्टअप्स’ शुरू हुए हैं| उनसे रक्षा संबंधी अनुसंधान और विकास पर जोर दिया गया| इसी वजह से इस क्षेत्र के उद्योगों का विस्तार होने लगा है, ऐसा कहकर रक्षामंत्री ने इस उपलब्धी पर संतोष व्यक्त किया|

सूक्ष्म, लघू और मध्यम उद्योग के कक्षा की फिलहाल लगभग १२ हज़ार कंपनियॉं रक्षा क्षेत्र के लिए कार्यरत हैं, यह अहम जानकारी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रदान की| भारत ने बीते कुछ वर्षों से रक्षा सामान के निर्यात को विशेष प्राथमिकता दी है| इस वजह से हथियार और रक्षा सामान का सबसे बड़ा आयातक देश बना भारत अगले दिनों में इस क्षेत्र का निर्यातक देश बनेगा, यह विश्‍वास राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया| ‘इसके लिए केंद्र सरकार ने लक्ष्य भी तय किया है| वर्ष २०२४-२५ तक रक्षा सामान का निर्यात अधिक बढ़ाने का उद्देश्य सरकार ने रखा है| फिलहाल भारत लगभग ७० देशों को रक्षा सामान निर्यात कर रहा है, इस ओर रक्षामंत्री ने ध्यान आकर्षित किया|

रक्षा सामान और हथियारों की खरीद के कारोबार की जानकारी रखनेवाली ‘सिप्री’ संगठन ने अपनी २०२० की रपट में रक्षा सामान निर्यात करनेवाले शीर्ष २५ देशों में भारत का स्थान होने का ज़िक्र किया था| इसकी याद भी रक्षामंत्री ने साझा की| रक्षा क्षेत्र के नीति उद्योगों का हिस्सा तकरीबन १८ हज़ार करोड़ रुपयों से बढ़ा है, इसका ज़िक्र भी राजनाथ सिंह ने किया| इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों की अहम भूमिका है, फिर भी इस क्षेत्र के लिए सूक्ष्म, लघू और मध्यम क्षेत्र की कंपनियों का बड़ा योगदान है| इसी कारण सूक्ष्म, लघू और मध्यम क्षेत्र की कंपनियां अनुसंधान के लिए अधिकाधिक निवेश करें, यह संदेश रक्षामंत्री ने दिया| इस निवेश का देश की सुरक्षा को बड़ा लाभ प्राप्त होगा, यह विश्‍वास भी रक्षामंत्री ने व्यक्त किया है|

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