‘आयएनएस सूरत’ और ‘आयएनएस उदयगिरी’ का रक्षामंत्री के हाथों जलावतरण

मुंबई- ‘आयएनएस सूरत’ और ‘आयएनएस उदयगिरी’ इन युद्धपोतों का जलावतरण हुआ है। इन युद्धपोतों के कारण भारतीय नौसेना का सामर्थ्य अधिक ही बढ़ेगा, ऐसा विश्वास रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने ज़ाहिर किया। इतना हे नहीं, बल्कि मुंबई के माझगाव डॉक में निर्माण हुए इन युद्धपोतों के कारण भारत की आत्मनिर्भरता की क्षमता दुनिया के सामने आयी है। अगर इसी रफ़्तार से हमारा प्रवास जारी रहा, तो भारतीय नौसेना की पहुँच केवल हिंद महासागर क्षेत्र तक ही नहीं, बल्कि पैसिफिक और अटलांटिक महासागर तक होगी, ऐसा विश्वास रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने ज़ाहिर किया है।

‘आयएनएस सूरत' और ‘आयएनएस उदयगिरी' का रक्षामंत्री के हाथों जलावतरण‘प्रोजेक्ट 15बी’ के तहत निर्माण किये जा रहे 15 विध्वंसकों में से ‘आयएसएस सूरत’ यह चौथा विध्वंसक है। मुंबई के माझगाव डॉक में निर्माण किया जा रहा आयएनएस सूरत यह ‘स्टेल्थ गायडेड मिसाईल डिस्ट्रॉयर’ के निर्माण का अहम चरण साबित होता है। वहीं, ‘आयएनएस उदयगिरी’ यह ‘17 ए’ प्रोजेक्ट के तहत निर्माण किया जा रहा शिवालिक श्रेणि का विध्वंसक है। राडारयंत्रणा को चकमा देने की क्षमता, अत्याधुनिक शस्त्रास्त्र, अद्यतन सेन्सर्स और यंत्रणाओं से ‘आयएनएस उदयगिरी’ लैस है।

‘आयएनएस सूरत’ और ‘आयएनएस उदयगिरी’ के समावेश से भारतीय नौसेना की ताकत अधिक ही बढ़ेगी। इन दोनों युद्धपोतों का निर्माण देश में ही हुआ है। साथ ही, नौसेना के बेड़े में आ रहे 41 में से 39 युद्धपोत तथा पनडुब्बियों का निर्माण देश में ही हो रहा है, यह बहुत ही सन्तोषजनक बात है, ऐसा इस समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने जताया। ‘आयएनएस सूरत' और ‘आयएनएस उदयगिरी' का रक्षामंत्री के हाथों जलावतरणदेश का सामर्थ्य और आत्मनिर्भरता इससे दुनिया के सामने आ रही है, ऐसा दावा रक्षामंत्री ने किया है। छत्रपती शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज और मराठा साम्राज्य के नौसेनाप्रमुख कान्होजी आंग्रे की ऐतिहासिक भूमि में ‘आयएनएस सूरत’ तथा ‘आयएनएस उदयगिरी’ का जलावतरण हो रहा है, यह बहुत ही गर्व की बात है, ऐसा इस समय रक्षामंत्री ने कहा। देश की मूल भूमि से दूर-दूर तक भारत का सामर्थ्य प्रदर्शित करने का काम नौसेना द्वारा किया जाता है। भारत की विदेश नीति पर अमल करने में नौसेना अहम भूमिका अदा करती है।

ख़ासकर जागतिक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही अहम साबित होनेवाले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत यह महत्त्वपूर्ण साझेदार है। इस क्षेत्र को मुक्त और सुरक्षित रखना, यह भारतीय नौसेना के कर्तव्य का अहम हिस्सा है, इन शब्दों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने नौसेना का अधोरेखांकित किया।

इसी बीच, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी हरकतों में भारी मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में इस क्षेत्र के देश अधिक से अधिक असुरक्षित बनते चले जा रहे हैं। ‘आयएनएस सूरत' और ‘आयएनएस उदयगिरी' का रक्षामंत्री के हाथों जलावतरणऐसी परिस्थिति में भारतीय नौसेना का महत्त्व बड़े पैमाने पर बढ़ा होकर, चीन को टक्कर देने की क्षमता रहनेवाले भारत के साथ सहयोग बढ़ाने को, इस क्षेत्र में हितसंबंध होनेवाला हर एक देश प्राथमिकता दे रहा है। अमरीका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया ये क्वाड के सदस्य देश भारत के साथ सहयोग का महत्त्व अधोरेखांकित कर रहे हैं; साथ ही, फ्रान्स और ब्रिटेन ये युरोपीय देश भी भारतीय नौसेना के साथ संपर्क एवं समन्वय बढ़ाने के लिए बहुत ही उत्सुकता दर्शा रहे हैं।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करनेवाले देश के रूप में भारत सबसे अहम देश साबित होता है, ऐसा फ्रान्स का कहना है। वहीं, ब्रिटेन भी लगभग इन्हीं शब्दों में, भारत के साथ हमारे सहयोग को हम सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे, ऐसा बता रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय नौसेना की क्षमता और सामर्थ्य में हो रही बढ़ोतरी सामरिक दृष्टि से बहुत ही अहम साबित हो रहे हैं। व्यापार और निर्यात की वृद्धि होते समय, भारतीय नौसेना का सामर्थ्य बढ़ाना अनिवार्य साबित होता है, ऐसा विश्लेषक लगातार जता रहे हैं। इसी कारण भारतीय नौसेना के बेड़े में नये से समावेश हो रहे युद्धपोत, विध्वंसक, पनडुब्बियाँ इनका स्वागत हो रहा है। देश की रक्षा करने के साथ ही, सागरी क्षेत्र में स्थित हितसंबंधों की रक्षा के लिए नौसेना की क्षमता अधिक से अधिक बढ़ाते रहना, भारत के लिए अत्यावश्यक बन चुका है।

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