छोटे द्वीपदेशों की रक्षा के लिए भारत और ब्रिटेन द्वारा ‘आयरिस’ की घोषणा

ग्लास्गो – जागतिक जलवायु बदलाव के कारण सागरी स्तर की ऊंचाई बढ़कर डूबने का खतरा संभव होने वाले छोटे द्वीपदेशों की रक्षा के लिए भारत और ब्रिटेन ने ‘आयरिस’ इस उपक्रम की घोषणा की। इसके तहत भारत की अंतरिक्ष संशोधन संस्था ‘इस्रो’ विशेष यंत्रणा का निर्माण करनेवाली है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने घोषित किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के साथ संयुक्त पत्रकार परिषद में प्रधानमंत्री मोदी ने यह घोषणा की।

‘आयरिस’‘आयरिस’ यानी ‘इनिशिएटीव्ह फॉर द रेझिलंट आयलंड स्टेट्स’ इस उपकरण के जरिए भारत और ब्रिटेन छोटे द्वीपदेशों की रक्षा के लिए विशेष बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने वाले हैं। इसमें भारत की ‘इस्रो’ अहम भूमिका निभानेवाली होकर, इन छोटे द्वीपदेशों को नैसर्गिक आपत्तियों की पूर्वसूचना देनेवाली यंत्रणा का निर्माण करेगी। भारत और ब्रिटेन ने संयुक्त रूप में बनाई ‘कोएलेशिन फॉर डिझास्टर रेझिस्टन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर’ इस योजना का यह अगला पड़ाव है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया।

इसी बीच, ग्लास्गो में संपन्न हुए ‘सीओपी26 समिट’ में सोमवार को बात करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पंचामृत’ इस भारत की महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया। इसके अनुसार भारत अपनी ऊर्जा विषयक नीति में बहुत बड़े बदलाव करनेवाला होकर, सन २०३० तक हरित ऊर्जा का निर्माण लगभग ५०० गिगावैट इतने बड़े पैमाने पर होनेवाला है। साथ ही, सन २०३० तक भारत को आवश्यक उर्जा में से ५० प्रतिशत ऊर्जा की ज़रूरत रिन्यूएबल ऊर्जा से पूरी की जाएगी। उसी के साथ, सन २०३० तक भारत कार्बन का उत्सर्जन एक अरब टन इतने पैमाने पर घटानेवाला है। उसी प्रकार सन २०३० तक अर्थकारण में कार्बन का इस्तेमाल ४५ % तक कम करने का लक्ष्य भी भारत ने सामने रखा है। साथ ही, सन २०७० तक भारत कार्बन का उत्सर्जन शून्य पर लानेवाला है, ऐसी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की थी।

भारत के उद्योग क्षेत्र ने प्रधानमंत्री मोदी ने की इस घोषणा का ज़ोरदार स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने देश के सामने इस मोरचे पर व्यवहार्य ऐसी नीति रखी है, ऐसा ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज्’ (सीआयआय) के प्रमुख टी. व्ही. नरेंद्रन ने कहा है। भारत के प्रधानमंत्री ने की इस घोषणा की दखल अन्तर्राष्ट्रीय माध्यमों ने ली। लेकिन इससे, भारत का प्रतिद्वंदी माना जानेवाला चीन बेचैन हुआ है। ‘सीओपी26 समिट’ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा संबोधित करने की अनुमति चीन के राष्ट्राध्यक्ष को नकारी गई, ऐसी नाराज़गी चीन ने ज़ाहिर की है।

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