इस्रायल के क्रूझ क्षेपणास्त्रों की चीन ने की अवैध रूप में खरीद

Israel-missilesजेरूसलेम – अमरीका, रशिया ने विकसित किये शस्त्रास्त्र और रक्षा सामग्रियों का ‘रिव्हर्स इंजिनिअरिंग’ करके, उसकी नकल बनानेवाले चीन की हरकतों का झटका इस्रायल को भी लगा है। चीन ने इस्रायली कंपनी से क्रूझ् क्षेपणास्त्रों की गैरकानूनी खरीद करने का मामला सामने आया। इस व्यवहार में शामिल रहनेवाले दस संदिग्धों समेत तीन कंपनियों पर इस्रायली यंत्रणाओं ने कार्रवाई शुरू की है। चीन ने इस्रायली कंपनियों समेत किया यह अवैध व्यवहार भारत, जापान, ताइवान के लिए चिंताजनक बात साबित हो सकती है।

इस्रायल के ‘स्टेट प्रॉसिक्यूटर्स ऑफिस’ ने जारी की जानकारी के अनुसार, इफ्रेम मेनाशे इस इस्रायली उद्योजक ने चीन को क्षेपणास्त्रों की अवैध बिक्री की। इसके लिए मेनाशे ने इस्रायल के शस्त्र निर्माण क्षेत्र की छोटी कंपनियों की मदद ली। फरवरी महीने में चीन ने इस्रायली कंपनियों के साथ हथियारों के संदर्भ में अवैध व्यवहार करने की भनक लगी थी। उसके बाद इस्रायली यंत्रणाओं ने इस मामले में तहकिकात शुरू करने पर, मेनाशे के बारे में जानकारी सामने आई।

Jinping-missileइस्रायली उद्योजक मेनाशे की सोलर स्काय कंपनी तथा झ्विका और झिव नावेह इंदु अन्य कंपनियों ने इस्रायल के लिए क्रूझ् क्षेपणास्त्रों का निर्माण किया। इसका खुफिया परीक्षण करके चीन के लिए उनकी तस्करी की होने की बात इस्रायली यंत्रणाओं ने स्पष्ट की। इस मामले में गिरफ्तार किए १० संदिग्धों समेत इन तीन कंपनियों पर, इस्रायली नागरिकों की जान ख़तरे में डालना, इस्रायल की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना, गैरव्यवहार, तस्करी तथा अन्य कानूनों के तहत आरोप रखे गए हैं।

Israeli-Cruise-missileचीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अथवा अन्य किसी भी कंपनी के साथ रक्षा विषयक सहयोग रखना नहीं है, ऐसी इस्रायल की नीति है। १९९० के दशक के अंत में चीन ने फाल्कन रडार यंत्रणा तथा हार्पी ड्रोन्स की खरीद के लिए इस्रायल को बड़ा ऑफर दिया था। लेकिन अमरीका के दबाव के कारण इस्रायल ने चीन को इन शस्त्रास्त्रों की बिक्री करना टाला था। साथ ही, अमरीका की सुरक्षा के लिए चुनौती साबित होनेवाले चीन को इस्रायल किसी भी प्रकार की शस्त्र सहायता ना करें, ऐसा आवाहन अमरीका ने किया था। उसके बाद इस्रायल के रक्षा मंत्रालय ने, ‘डिफेन्स एक्स्पोर्ट कंट्रोल्स एजन्सी-डेका’ के तहत, चीन के साथ रक्षा विशेष सहयोग करने से इन्कार किया है।

इसके बाद नाराज़ हुए चीन ने अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर इस्रायल विरोधी नीतियाँ अपनाईं। इनमें फिलिस्तीन के मुद्दे का समर्थन करने से लेकर इस्रायल विरोधी इस्लामिक देशों के साथ सहयोग बढ़ाने तक के फैसले चीन ने किये हैं। साथ ही, चीन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम का ज़ोरदार समर्थन किया है। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में चीन में से इस्रायल पर साइबर हमले होने की घटनाएँ भी बढ़ी हैं। पिछले साल इस्रायल में नियुक्त चिनी राजदूत की संदिग्ध मृत्यु होने के बाद चीन के सोशल मीडिया में इस्रायल पर, राजदूत की हत्या के आरोप किए गए थे।

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