समय की करवट (भाग ६) – कठिनाई में फँसा ‘हॅरी’

समय की करवट (भाग ६) – कठिनाई में फँसा ‘हॅरी’

‘समय ने करवट बदलने के’ भारत पर हो रहे परिणाम देखते हुए हम आगे जा रहे हैं। हमारा देश, आज़ाद हो जाने पर ‘शहरी’ तथा ‘ग्रामीण’ अर्थात् कई विश्‍लेषकों की राय में ‘इंडिया’ तथा ‘भारत’ इनमें किस तरह विभाजित हुआ है, इसका हम अध्ययन कर रहे हैं। उसमें हमने इस तरह विभाजन होने के पीछे […]

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नेताजी- ४०

नेताजी- ४०

काँग्रेस के स्वयंसेवक दल पर सरकार द्वारा लगायी गयी पाबंदी के निषेध में वासंतीदेवी और दासबाबू की बहन उर्मिलादेवी इन्होंने बंदीहुक़्म को तोड़कर ज़ुल्मी अँग्रे़ज सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सड़क पर आंदोलन करना शुरू कर दिया। उनके साथ ही युनियन लीडर जे.एम. सेनगुप्ताजी की पत्नी नल्ली सेनगुप्ता भी थीं। साथ ही अन्य स्वयंसेवक […]

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नेताजी-३९

नेताजी-३९

१७  नवम्बर को युवराज के भारत के आगमन के उपलक्ष्य में भारत भर में कड़ी हरताल की गयी। कोलकाला में इस हरताल की कार्यवाही स्वयंसेवक दल के माध्यम से की गयी। इस हरताल की सफलता के लिए दासबाबू के मार्गदर्शन में सुभाषबाबू के कन्धे से कन्धा मिलाकर जे. एम. सेनगुप्ता जैसे रेलमजदूर नेता के साथ […]

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नेताजी-३८

नेताजी-३८

भारत का स्वतन्त्रतासंग्राम यह जगन्नाथ के रथ की तरह है और अपने आप को भारतमाता की संतान माननेवाले हर एक का हाथ इस रथ को अवश्य लगना ही चाहिए, ऐसा सुभाषबाबू का प्रामाणिक मत था। अत एवं समाज के सभी स्तर के लोग एकमन से स्वतन्त्रतासंग्राम में शामिल हों, इस सर्वसमावेशक राय के सुभाषबाबू ने, […]

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नेताजी-३७

नेताजी-३७

देशबन्धु के साथ हुई पहली ही मुलाक़ात में सुभाषबाबू और उनके दिल एक-दूसरे से मिल गये और उन्होंने मन ही मन में देशबन्धु को अपना ‘गुरु’ मान लिया। गुरु की खोज का सफर  आज पूरा हो गया। दोनों ने जी भरके बातें कीं। सुभाषबाबू ने इंग्लैंड़ से उन्हें भेजे हुए दूसरे ख़त में काँग्रेस में […]

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नेताजी-३६

नेताजी-३६

पूरे दो साल बाद घर लौटे सुभाष से घर के सभी सदस्य जी भरके बातें करना चाहते थे। लेकिन सुभाषबाबू का मन कहीं और था। अब वे उत्सुक थे बंगाल के उस सिंह से – दासबाबू से मिलने के लिए। उनके कदम अपने आप ही मुसा रोड़ स्थित दासबाबू के घर की दिशा में बढ़े। […]

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समय की करवट (भाग ५) – माय भारत इज द बेस्ट!

समय की करवट (भाग ५) – माय भारत इज द बेस्ट!

समय जब करवट बदलता है, तब घटित होनेवाले स्थित्यंतर, हम हमारे देश के विषय में देखते जा रहे हैं। सबसे अहम बात, हमारा देश यह शहरी ‘इंडिया’ और ग्रामीण ‘भारत’ इन दो भागों में किस तरह विभाजित होता जा रहा है और यह बात किस तरह, भारत के महासत्ता बनने के आड़े आ रही है, […]

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नेताजी-३५

नेताजी-३५

गाँधीजी के जवाब से पूरी तरह सन्तुष्ट न हुए सुभाषबाबू के मन में वहाँ से निकलते हुए – या तो मैं गाँधीजी की भूमिका को ठीक से समझ नहीं पाया हूँ या फिर   गाँधीजी की उनकी सभी योजनाओं को नियोजित समय से पहले उद्घाटित करने की ख्वाहिश नहीं है, यह विचार आया। इस १  उलझी […]

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नेताजी-३४

नेताजी-३४

१६  जुलाई १९२१ को सुभाष की बोट भारत के किनारे पर दाखिल हुई। सुभाष ने दो साल की अवधि के बाद फिर  एक बार अपनी मातृभूमि में कदम रखा था। दो साल की अवधि दुनिया के इतिहास की दृष्टि से देखा जाये, तो बहुत ही छोटी है, लेकिन यह कालावधि सुभाष की संवेदनाएँ परिपक्व होने […]

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समय की करवट (भाग ४) – ‘हरी पुत्तर’

समय की करवट (भाग ४) – ‘हरी पुत्तर’

हमारे देश पर डेढ़सौ साल शासन करते हुए अँग्रेज़ों ने जो फूट के बीज हमारे बीच बोये थे, उनका, अँग्रेज़ यहाँ से चले जाने तक वृक्ष बन चुका था।इसीलिए हमारे देश को बँटवारे का दुख सहना पड़ा। अब आज़ादी पाकर साठ से भी अधिक साल बीत चुके हैं। लेकिन वह बँटवारा बहुत ही छोटा प्रतीत […]

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