नेताजी-५१

नेताजी-५१

जिस तरह मुग़लों को जल में भी सन्ताजी-धनाजी दिखायी देते थे, उसी तरह बंगाल के गव्हर्नर लॉर्ड लिटन को भी सब जगह दिनरात सुभाषबाबू ही दिखायी दे रहे थे और कुछ भी करके उनको रास्ते से हटाये बिना गव्हर्नर को चैन मिलनेवाला नहीं था। क़ानून का सीधा सीधा सहारा ले न सकने के कारण उसने […]

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नेताजी – ५०

नेताजी – ५०

कोलकाता म्युनिसिपालिटी के सीईओ के तौर पर शहर में घूमते हुए सुभाषबाबू की मुलाक़ात एक पुरानी पहचान के क्रान्तिकारी की वृद्ध पत्नी से हुई और उनकी दयनीय सांपत्तिक स्थिति को देखकर सुभाषबाबू का दिल दहल गया। इस घटना से सुभाषबाबू के मन में इस समस्या को हल करने के लिए विचारचक्र शुरू हो गया। देशसेवा […]

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समय की करवट (भाग १०) – हॅरी को चाहिए – ‘मेड इन (भारत को छोड़कर कुछ भी)’

समय की करवट (भाग १०) – हॅरी को चाहिए – ‘मेड इन (भारत को छोड़कर कुछ भी)’

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। ग्लोबलायझेशन में हालाँकि दोनो पार्टियों के अच्छे उत्पादों का लेनदेन होकर दोनों पार्टियों का फ़ायदा होगा ऐसी उम्मीद होती है; लेकिन वास्तव में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ ऐसी स्थिति होती है। अमीर देशों में रहनेवालीं बड़ीं बहुराष्ट्रीय […]

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नेताजी – ४९

नेताजी – ४९

कोलकाता की जनता को म्युनिसिपालिटी के इन ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ (चीफ एक्झिक्युटिव्ह ऑफिसर – सीईओ) के प्रति आत्मीयता लगने लगी; वहीं, गोरे अँग्रे़ज अफ़सरों की आँखों में वे उतने ही चुभने लगे। शुरू शुरू में इस नौजवान अफ़सर को अपने चँगुल में फँसाना आसान है, इस भ्रम में वे गोरे अफ़सर थे। कई बार सुभाषबाबू […]

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क्रान्तिगाथा- ९

क्रान्तिगाथा- ९

११ मई १८५७ का वह दिन दिल्ली के लिए कुछ अनोखा ही था। मेरठ के सैनिक दिल्ली पहुँच गये और अब उन्होंने ठेंठ दिल्ली में स्थित मुग़ल बादशाह से ही इस स्वतन्त्रतासंग्राम के सूत्र अपने हाथ में ले लेने की दरख्वास्त की। ये आखिरी मुग़ल बादशाह उस वक़्त काफी बूढ़े हो चुके थे और ‘बादशाह’ […]

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नेताजी – ४८

नेताजी – ४८

काफी टालमटोल करने के बाद गव्हर्नर ने सुभाषबाबू की नियुक्ति की सिफारिश को मंज़ूरी दे दी और १४ अप्रैल १९२४ को सुभाषबाबू ने कोलकाता म्युनिसिपालिटी के ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ के रूप में पदभार सँभाला। उससे पहले उन्होंने संपादकपद तथा बंगाल प्रांतीय काँग्रेस की कार्यकारिणी से भी इस्तीफ़ा दे दिया और स्वयंसेवक दल के प्रमुख पद […]

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नेताजी – ४७

नेताजी – ४७

असेंब्ली के चुनाव में मिली काफी कामयाबी से हौसला बढ़कर दासबाबू के स्वराज्य पक्ष ने स्थानिक स्वराज्य संस्था के यानि कि म्युनिसिपालिटी के चुनाव में भी उत्साह के साथ हिस्सा लिया। सबसे प्रतिष्ठा की मानी जानेवाली कोलकाता की म्युनिसिपालिटी पर स्वराज्य पक्ष का झंडा लहराने के लिए दासबाबू और सुभाषबाबू ने जी जान से मेहनत […]

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समय की करवट (भाग ९ ) – ग्लोबलायझेशन – तब और अब….

समय की करवट (भाग ९ ) – ग्लोबलायझेशन – तब और अब….

‘समय ने करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। अमरीका शुरू से ही मुक्त व्यापार के पक्ष में थी। ‘सर्व्हायवल ऑफ द फ़िटेस्ट’, ‘प्रायव्हेटायझेशन’, ‘ग्लोबलायझेशन’ ये अमरीका के मूलमंत्र थे, जो अपनी ताकत के बलबूते पर उन्होंने सारी दुनिया के माथे पर थोंप दिये थे। उसके […]

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क्रान्तिगाथा- ८

क्रान्तिगाथा- ८

महज़ सश्रम कारावास की सज़ा देकर अँग्रेज़ कहाँ सन्तुष्ट होनेवाले थे! इन ८५ सैनिकों के यूनिफॉर्म्स, बॅजेस् और जूतें उन्हें सज़ा सुनाते ही फ़ौरन उनसे छीन लिये गये और उन्हें जेल भेज दिया गया। इस तरह अँग्रेज़ सरकार की कारवाई तो पूरी हो गयी और वह भी हज़ारों लोगों की मौजूदगी में और यह सब […]

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नेताजी – ४६

नेताजी – ४६

  गाँधीजी के जेल में रहते हुए भी बहुमत में रहनेवाले उनके अनुयायियों के बलबूते पर, उस समय के काँग्रेस के अध्यक्ष रहनेवाले दासबाबू का असेंब्ली-प्रवेश का प्रस्ताव परास्त हुआ था। अत एव अब अध्यक्षपद पर बने रहना दासबाबू को उचित नहीं लग रहा था और इसीलिए उन्होंने अध्यक्षपद से इस्तीफ़ा दे दिया और १ […]

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