क्रान्तिगाथा – ७

क्रान्तिगाथा – ७

इंग्लैंड के एक आम आदमी को जो मिल रहा था, वह भारत के हर एक नागरिक से छीना जा रहा था। जब कोई मानवी समूह किसी अन्य मानवी समूह की ग़ुलामी के शिकंजे में आ जाता है, उसमें भी किसी विदेशी भूमि से आये हुए मानवों के कब्ज़े में आ जाता है, तब उस मानवी […]

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नेताजी – ४५

नेताजी – ४५

  चौरीचौरा में असहकार आन्दोलन ने हिंसक मोड़ ले लेने के कारण गाँधीजी व्यथित हुए और उन्होंने उस घटना के प्रायश्चित्त के रूप में सम्पूर्ण आन्दोलन को ही बिनाशर्त स्थगित कर दिया। लेकिन गाँधीजी के इस फैसले से देशभर में उनके खिलाफ नारा़जगी की भावना उत्पन्न हो गयी। असहकार आन्दोलन में गाँधीजी के एक शब्द […]

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समय की करवट (भाग ८ ) – मैं ही हॅरी….मैं ही हरी

समय की करवट (भाग ८ ) – मैं ही हॅरी….मैं ही हरी

‘समय ने करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका हमारे भारत के विषय में अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। गरीब ग्रामीण भारत अभी कुछ साल पहले तक अमीर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए किसी महत्त्व का ही नहीं था। पॅरिस, लंडन, मिलान, न्यूयॉर्क इनके बाहर न जानेवालीं कई कंपनियाँ तो ८-१० साल […]

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नेताजी – ४४

नेताजी – ४४

सुभाषबाबू के साथ बातचीत ख़त्म होने के बाद सिर चकरा गया माऊंटबॅटन अन्य किसी से भी न मिलते हुए सीधे विश्राम कक्ष में चला गया। लेकिन वहाँ जाने से पहले उसने टेगार्ट से, यह मनुष्य – सुभाष – मुझे बंगाल के क्रान्तिकारी संगठनों से सम्बन्धित रहनेवाला लगता है, यह कहकर उससे चौकन्ना रहने के लिए […]

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क्रान्तिगाथा – ६

क्रान्तिगाथा – ६

अँग्रेज़ों की हुकूमत को पहला धक्का पहुँचा, २९ मार्च १८५७ के दिन। मातृभूमिभक्त भारतीय मन में ओतप्रोत भरे हुए असंतोष को प्रकट किया, मंगल पांडे नाम के एक सैनिक ने अपनी कृति के द्वारा। सारे भारत भर में एक चेतना की लहर दौड़ गयी, इस ग़ुलामी को खत्म कर देने के लिए, उद्धत और खूँखार […]

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नेताजी – ४३

नेताजी – ४३

आख़िर इतनी नाट्यपूर्ण घटनाओं के बाद युवराज २४ दिसम्बर को कोलकाता में दाखिल हो गये। लेकिन तब तक गाँधीजी का निर्णय नहीं हो पाया और ‘प्रिन्स ऑफ वेल्स’ के कोलकाता दाखिल हो जाने के बाद भी समझौते के कोई आसार ऩजर न आने के कारण अब सरकार को ही उस समझौते के प्रस्ताव में कोई […]

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क्रान्तिगाथा – ५

क्रान्तिगाथा – ५

एनफील्ड राइफलों में इस्तेमाल किये गये कारतूसों से ऐसा कुछ हो सकता है, यह ब्रिटिश ईस्ट इंडीया कंपनी ने सपने में भी सोचा नहीं था। इन कारतूसों को लगायी जा रही थी गाय और सूअर की चरबी। गाय को हिन्दू पवित्र मानते है और मुस्लिमों के लिए सूअर निषिद्ध है। फिर उनकी चरबी लगाये गयें […]

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नेताजी – ४२

नेताजी – ४२

जैसे जैसे युवराज के कोलकाता पधारने का दिन क़रीब आ रहा था, वैसे वैसे सरकार एक के बाद एक आत्मघाती फैसले करते ही जा रही थी। सबसे पहले वासंतीदेवी को गिऱफ़्तार कर आन्दोलन को शिथिल करने के दाँवपेंच नाक़ाम हो जाने के बाद, आन्दोलन को जड़ से उखाड़ने की दृष्टि से सरकार ने दासबाबू को […]

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समय की करवट (भाग ७ ) – ‘गाँव की ओर चलो’

समय की करवट (भाग ७ ) – ‘गाँव की ओर चलो’

‘समय ने करवट’ बदलने पर क्या क्या हो सकता है, इसके परिणाम देखते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। कल के ग़रीब आज के अमीर बनते हुए दिखायी दे रहे हैं और कल के अमीर आज के ग़रीब; और आज जो ग़रीब बनते जा रहे हैं, उन्हें अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए, उन्हीं लोगों […]

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नेताजी- ४१

नेताजी- ४१

वासंतीदेवी की गिऱफ़्तारी से आन्दोलन शिथिल पड़ जायेगा ऐसी अपेक्षा रखनेवाले गव्हर्नर रोनाल्डसे की स्थिति, इस गिऱफ़्तारी के कारण शहर के खौले हुए माहौल को देखकर ‘करने गया कुछ, हुआ और कुछ’ ऐसी हो गयी थी और उन्होंने उसी सहमी हुई स्थिति में ही फ़ौरन  दासबाबू के पास समझौते का प्रस्ताव भेज दिया, जिसमें आन्दोलन […]

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