क्रान्तिगाथा-१२

क्रान्तिगाथा-१२

३१ मई यह दिन स्वतन्त्रतायोद्धाओं द्वारा सर्वमत से अंग्रेज़ों की हुकूमत के त़ख्त को पलट देने के लिए हालाँकि मुकर्रर किया गया था, मग़र फिर भी दास्यमुक्त होने की कल्पना से ही सैनिकों से सब्र नहीं किया जा रहा था। साथ ही कुछ घटनाएँ भी इस तरह होती गयीं कि ३१ मई के पहले ही […]

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नेताजी-५६

नेताजी-५६

गव्हर्नर के अधिकृत डॉक्टर का समावेश रहनेवाले पॅनेल ने गव्हर्नर की ख़ास बोट पर सुभाषबाबू की बारीक़ी से वैद्यकीय जाँच की और उसके बाद अपनी रिपोर्ट, उस समय दार्जिलिंग गये हुए गव्हर्नर को टेलिग्राम से भेज दी। सुभाषबाबू को वह दिन गव्हर्नर की बोट पर ही बिताना पड़ा। दूसरे दिन सुबह संबंधित पुलीस अधिकारी हाथ […]

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क्रान्तिगाथा- ११

क्रान्तिगाथा- ११

३१ मई १८५७ का दिन! दर असल बहुत पहले ही, अंग्रेजों की हु़कूमत के बन्धनों को तोड़ देने के लिए एकजुट होकर खड़े होने के दिन के रूप में स्वतन्त्रतासंग्राम के अग्रणियों द्वारा निर्धारित किया गया था। तो हक़ीक़त में ३१ मई यह दिन शान्ति में भला कैसे गुजर सकता था? मेरठ के सैनिकों की […]

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नेताजी-५५

नेताजी-५५

सुभाषबाबू के चुनाव जीतने की ख़बर मंडाले पहुँचते ही भारतीय कैदियों की ‘वंदे मातरम्’ की गूँज से सारा माहौल भर गया। लेकिन सरकार के सुभाषबाबू के प्रति रहनेवाले कुटिल रवैये के कारण यह जीत सुभाषबाबू को जेल से रिहा कराने में असमर्थ साबित हुई। इसी दौरान मंडाले की जलवायु के दुष्परिणाम उनके स्वास्थ्य पर साफ़ […]

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क्रान्तिगाथा-१०

क्रान्तिगाथा-१०

दिल्ली दर असल कब की अँग्रेज़ों के कब्ज़े में जा चुकी थी, साल था १८०३। सन १७८५ से दिल्ली के बादशाह को मराठों की सुरक्षा मिल रही थी। उत्तरी भारत में शासन करनेवाले शिंदे दिल्ली की सुरक्षा करने में सक्रिय थे। लेकिन दुर्भाग्यवश १८०३ में मराठा-अँग्रेज़ों के बीच जो युद्ध हुआ, उस युद्ध के बाद […]

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समय की करवट (भाग १२) – गर्व से कहो, हम मध्यमवर्गीय हैं

समय की करवट (भाग १२) – गर्व से कहो, हम मध्यमवर्गीय हैं

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। आंतर्राष्ट्रीय मार्केटों में ईंधन की भड़कतीं क़ीमतों के लिए भारत के मध्यमवर्गियों को ‘ज़िम्मेदार’ ठहराते हुए भी, अमरीका में नौकरियाँ पैदा करने के लिए पुनः इसी भारतीय मध्यमवर्ग को अधिक से अधिक उत्पाद बेचो (जिनमें ईंधन का […]

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नेताजी-५४

नेताजी-५४

दासबाबू के निधन के कारण सुभाषबाबू के जीवन में, जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता ऐसा अवकाश उत्पन्न हुआ और निराशा ने उन्हें घेर लिया। दासबाबू के अन्तिम समय में मैं उनके साथ नहीं था, इस बात की और मुख्य रूप से माँ – वासंतीदेवी पर हुए इस वज्राघात के वक़्त उन्हें सहारा देने […]

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नेताजी-५३

नेताजी-५३

अँग्रे़जी हुकूमत की दृष्टि से ‘भारत के सबसे ख़तरनाक इन्सान’ माने गये सुभाषबाबू को अँग्रे़ज सरकार ने कपटपूर्वक अध्यादेश के जाल में फाँसकर, तड़ीपार कर ठेंठ मंडाले की जेल में रख दिया। उस नरकसदृश जेल में सुभाषबाबू के दिनक्रम की शुरुआत हुई। कुछ ही दिनों में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहनेवाली वहाँ की जलवायु के […]

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नेताजी-५२

नेताजी-५२

सुभाषबाबू के मार्ग में अड़ंगा डालने के लिए गव्हर्नर ने जल्दबा़जी करके जिस अध्यादेश को पारित कराया था, उसीके साथ ख़ास बंगाल के लिए एक अन्य अध्यादेश भी जारी करवाया था। उसके अनुसार सरकार के लिए किसी को भी बिना पूछताछ के, पाँच साल तक जेल में रखना मुमक़िन था। यह जहरीला ‘बंगाल क्रिमिनल लॉ […]

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समय की करवट (भाग ११) – द ग्रेट इंडियन मिड्ल क्लास

समय की करवट (भाग ११) – द ग्रेट इंडियन मिड्ल क्लास

 ‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। भारत ने संरक्षित नीति का त्याग कर ग्लोबलायझेशन की हवा भारत में बहने दी। ऐसे कुछ साल (विदेशी कंपनियों के) अच्छे गये। आगे चलकर वैश्‍विक मंदी शुरू हुई। उस बवंडर में, अभी अभी तक दुनिया पर अधिराज्य […]

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