दिल्ली भाग-५

दिल्ली भाग-५

मयूरसिंहासन। दिल्ली के अतीत के एक लंबे दौर का यह गवाह रह चुका है। सोना, हीरें, मोती, माणिक, पन्नें इनसे बने इस सिंहासन पर मार्च १६३५ में सर्वप्रथम विराजमान हुआ, दिल्ली का शासक ‘शाहजहाँ’। पिछले लेख में हम ‘तवेर्नियर’ इस फ्रान्सिसी जौहरी द्वारा किये हुए मयूरसिंहासन के वर्णन को पढ़ ही चुके हैं। उसने स्वयं […]

Read More »

दिल्ली भाग-४

दिल्ली भाग-४

१४ अगस्त १९४७ की मध्यरात्री में सारे भारत की दृष्टि से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण घटना घटित हुई। जी हाँ! भारत आज़ाद हो गया। व्यापार करने आये और शासक बन बैठे अँग्रेज़ों की हमारे भारत पर रहनेवाली हुकूमत हमेशा के लिए समाप्त हो गयी। इस ऐतिहासिक घटना की और स्वतंत्रता के उस अत्युच्य पल की […]

Read More »

दिल्ली भाग-३

दिल्ली भाग-३

यमुना नदी के तट पर बसी दिल्ली का इतिहास विस्तृत है और यमुना उस पूरे इतिहास की मूक गवाह हैं। यमुनोत्री में उद्गमित यमुना तेज़ी से बहते हुए मैदानी इलाके में दाखिल होती है और इस मैदानी इलाके में ही समय के विभिन्न पड़ावों पर विभिन्न नगर यमुना के तट पर बसते रहे। दिल्ली इनमें […]

Read More »

दिल्ली भाग-२

दिल्ली भाग-२

नई दिल्ली! भारत की राजधानी। पुरानी दिल्ली से तो हमारा थोड़ा बहुत परिचय हो ही चुका है। अब जैसा कि पिछले लेख के अन्त में कहा था, हम ‘नई दिल्ली’ के बारे में प्रारम्भिक जानकारी प्राप्त करते हैं। ‘नई दिल्ली’ के नाम से ही पता चलता है कि इसकी रचना हाल ही में की गयी […]

Read More »

दिल्ली भाग-१

दिल्ली भाग-१

१९९० के दशक का समय था। वर्ष कौनसा था, यह तो अब याद नहीं आ रहा है। रेल तेज़ी से दौड़ रही थी। घर छोड़कर बारह घण्टों से भी अधिक समय बीत चुका था और रेल की तेज़ी के साथ साथ इच्छित स्थल तक पहुँचने की हमारी बेसब्री भी बढ़ती जा रही थी। ….और आख़िर […]

Read More »

तिरुचिरापल्ली भाग-६

तिरुचिरापल्ली भाग-६

श्रीरंगम् के पास, त्रिचि शहर से लगभग ३ कि.मी. की दूरी पर बसे एक स्थल की ओर अब हम जा रहे हैं। ‘तिरुवनैकोईल’ इस नाम से जाने जानेवाले गाँव हमें जाना है। यहाँ भगवान शिवजी और पार्वतीजी इनका एक प्राचीन मन्दिर है। यहाँ शिवजी को ‘जम्बुकेश्‍वर’ इस नाम से और पार्वतीजी को ‘अखिलंदेश्‍वरी’ इस नाम […]

Read More »

तिरुचिरापल्ली भाग-५

तिरुचिरापल्ली भाग-५

जिस गर्भगृह में शेषशायी भगवान विष्णु यानि ‘श्रीरंगनाथजी’ विराजमान हैं, उसका विमान स्वर्ण से बना हुआ है। श्रीरंगनाथजी के गर्भगृह के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका स्वर्ण से बना विमान यह ॐकार का प्रतीक है। इस विमान पर जो चार कलश हैं, वे चार वेदों के प्रतीक हैं और मंदिर के […]

Read More »

तिरुचिरापल्ली भाग-४

तिरुचिरापल्ली भाग-४

‘श्रीरंगम्’ द्वीप पर ही बसने का तय कर चुके महाविष्णु यहाँ शेषशायी स्वरूप में विराजमान हुए और उसके बाद श्रीरंगनाथजी का मंदिर साकार हुआ और उसका विस्तार होता ही रहा। यहाँ के सात प्राकार (चहारदीवारी) और उनमें से सबसे भीतरी सातवें प्राकार में बसा यह श्रीरंगनाथजी का मंदिर, इन सब का निर्माण एक रात में […]

Read More »

तिरुचिरापल्ली भाग-३

तिरुचिरापल्ली भाग-३

‘रॉक फोर्ट’ के माथे पर से दूर दिखायी देनेवाले ‘श्रीरंगम्’ के गोपुर हमें बुला रहे हैं। आइए, तो चलते हैं ‘श्रीरंगम्’ और इस सफ़र में ही हम ‘श्रीरंगम्’ की जानकारी प्राप्त करेंगें। ‘श्रीरंगम्’ यह एक छोटा सा द्वीप है। आज के तिरुचिरापल्ली का वह एक हिस्सा बन गया है। त्रिचि शहर से यानि तिरुचिरापल्ली शहर […]

Read More »

तिरुचिरापल्ली भाग-२

तिरुचिरापल्ली भाग-२

तिरुचिरापल्ली के इतिहास तथा वर्तमान में ‘रॉक फोर्ट’ का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। रॉक फोर्ट की उम्र कई करोड़ों वर्षों की है, ऐसा कहा जाता है। इसीलिए त्रिची की इस भूमि का रॉक फोर्ट यह एक अभिन्न हिस्सा ही है। चलिए, तो इसी रॉक फोर्ट के साथ त्रिची के इतिहास के सफ़र को जारी […]

Read More »
1 5 6 7 8 9 23