४२. ‘होली टेंपल’ का ध्वंस; ज्युडाह के परागंदा ज्यूधर्मीय पुनः ज्युडाह में

‘होली टेंपल’, ध्वंस, सायरस, राजा, ज्यूधर्मिय, पुनर्निर्माण, बॅबिलोन, ईसाइया

इस तरह ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ बॅबिलोनियनों के हाथों पूरी तरह परास्त होकर, उनपर बॅबिलोनियनों का अमल शुरू हुआ था| लेकिन बदक़िस्मती यहीं पर रुकी नहीं थी|

इससे भी भयंकर बात यानी पहले के आक्रमण में केवल लूटा गया ‘होली टेंपल’ अब इस बार बॅबिलोनियनों ने जलाकर ज़मीनदोस्त कर दिया!

राजा सॉलोमन ने इतने महत्प्रयासों से और बेतहाशा खर्च करके, देशविदेश के माहिर कारागिरों से होली टेंपल के लिए बारिक़ी से बनवाया लकड़ी का नक्काशीकाम आग में जलकर राख हो गया; वहीं, लकड़ी छोड़कर अन्य साधनों से बना नक्काशीकाम, साथ ही, टेंपल की सज़ावट में उपयोग में लाये गये तथा भारी मात्रा में खज़ाने के सोनाचॉंदी एवं अन्य अमूल्य वस्तुएँ लूटकर बॅबिलोनियनों ने अपने साथ ले लीं|

इस प्रकार मूल अखंड इस्रायल के – ‘किंगडम ऑफ इस्रायल’ तथा ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ ये दोनों हिस्से समय के पर्दे की पीछे चले गये थे| साथ ही, राजा सॉलोमन द्वारा निर्मित, ज्यूधर्मियों के लिए सर्वोच्च आदर का स्थान होनेवाला ‘होली टेंपल’ (‘फर्स्ट होली टेंपल’) भी पूरी तरह भग्न हो चुका था|

किसी सच्चे ज्यूधर्मिय के लिए – ‘किंगडम ऑफ इस्रायल’ और ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ इस मूल अखंड इस्रायली साम्राज्य के दोनों भागों के पतन से भी अधिक हृदयद्रावक घटना थी – पहले होली टेंपल का ध्वस्त हो जाना| लेकिन जबकि उनकी ईश्‍वरप्रदत्त मूल भूमि (‘प्रॉमिस्ड लँड’) ही जहॉं पर उनकी नहीं रही थी, तब इस बात का शोक मनाना फ़जूल था|
‘होली टेंपल’, ध्वंस, सायरस, राजा, ज्यूधर्मिय, पुनर्निर्माण, बॅबिलोन, ईसाइया

इसवीसनपूर्व ५९७ से लेकर इसवीसनपूर्व ५८२ इस कालावधि में ज्युडाह के साम्राज्य के हज़ारों ज्यूधर्मियों को, ख़ासकर उच्चभ्रू वर्ग के तथा बुद्धिजीवी लोगों को बॅबिलॉन में स्थानान्तरित किया गया| लेकिन सर्वसाधारण वर्ग के ज्यूधर्मियों को वहीं पर रहने दिया गया| इससे पहले ‘किंगडम ऑफ इस्रायल’ को असिरियन लोगों ने परास्त करने के बाद जिस तरह लाखो ज्यूधर्मियों को विभिन्न प्रान्तों में ले जाकर वहॉं की जनसांख्यिकी संरचना (डेमोग्राफी) ही बदल दी गयी थी, वैसा कुछ इस ‘किंगडम ऑफ ज्युडाह’ के समय घटित नहीं हुआ| इसी कारण लाखों की तादाद में ज्यूधर्मीय ज्युडाह की भूमि में टिके रहे, हालॉंकि उनपर अमल बॅबिलोनियनों का था|

नेबुकादनेसर (दूसरा) यह निओ-बॅबिलोनियनों का सबसे ताकतवर राजा माना जाता है और अपने ४१ साल के प्रदीर्घ कार्यकाल में उसने बॅबिलॉन साम्राज्य को पुनः पहले जैसी वैभव की बुलंदी पर ले जाकर रख दिया| अपने संपूर्ण साम्राज्य की महत्त्वपूर्ण नगरियों में उसने कई वैभवशाली वास्तुओं का निर्माण किया| इसवीसनपूर्व ५७२ तक बॅबिलॉन के साथ साथ असिरिया, फिनिशिया, इस्रायल, उत्तरी अरबस्तान एवं आशिया मायनर के कुछ प्रदेश उसके कब्ज़े में आये थे और इजिप्शियनों को भी उसने अपने धाक में रखा था| इ.स.पूर्व ५६२ में नेबुकादनेसर का निधन हो गया|

साम्राज्य, विभाजन, ज्युडाह के साम्राज्य , जेरुसलेम, बग़ावत, दमास्कस, टोराह

लेकिन उसके बाद के राजा दुर्बल निकले और उनके कार्यकाल भी अत्यल्प साबित हुए| तब तक मध्यपूर्व की परिस्थिति भी बदलने लगी थी| नेबुकादनेसर के बाद, ताकत धीरे धीरे कम होती जा रहे बॅबिलॉन से सटा ऍकमेनिड पर्शियन साम्राज्य भी धीरे धीरे हाथपैर फैलाने लगा था|

इसवीसनपूर्व ५५९ में पर्शियन साम्राज्य की बागड़ोर सायरस (दूसरा) (‘सायरस द ग्रेट’) इस सम्राट ने सँभाली|

सायरस ने इसपूर्व ५३९ में बॅबिलॉन पर आक्रमण करके उन्हें परास्त कर दिया| अपने राजाओं की दुर्बलता से ऊब चुके कुछ बॅबिलोनियन सरदारों ने ही सायरस से संधान बॉंधकर इस युद्ध में सायरस की मदद की, ऐसा बताया जाता है| यह निओ-बॅबिलॉन साम्राज्य का अन्त बताया जाता है|

अब बॅबिलॉन साम्राज्य का पूरा प्रदेश पर्शियन राजा सायरस के अधिकार में आया था, जिसमें इस्रायल का प्रदेश भी था| लेकिन बहुत ही पराक्रमी होने के बावजूद भी सायरस यह अत्यधिक उदारमतवादी एवं प्रजाभिमुख था| उसने जो जो प्रदेश जीत लिया, उन प्रदेशों में प्रचलित धर्मों का, देवताओं का, रूढ़ी-परंपराओं का उसने अनादर नहीं किया| इतना ही नहीं,बल्कि जीते हुए प्रदेश की जनता से क्रूरतापूर्वक, गुलामों की तरह पेश न आते हुए उन्हें बराबरी के नाते अपना लिया| इस कारण उसने जीते हुए प्रदेशों की जनता उसका दुःस्वास न करते हुए उसे वाक़ई ‘अपना राजा’ मानती थी|

जब बॅबिलॉन में कुछ साल पहले क़ैद कर लाये गये ज्यूधर्मियों का इतिहास उसे पता चला, तब उसने बड़े मन से बॅबिलॉनस्थित सभी ज्यूधर्मियों को अपनी चीज़वस्तुओं के साथ और अपने ईश्‍वर के-धर्म के प्रतीकों के साथ पुनः अपनी मूलभूमि में लौटने की अनुमती दी| इस मामले में उसे ईश्‍वर का दृष्टांत हुआ होने का उल्लेख भी इस कथा में आता है|
साम्राज्य, विभाजन, ज्युडाह के साम्राज्य , जेरुसलेम, बग़ावत, दमास्कस, टोराह

बॅबिलोनियन साम्राज्य पर कब्ज़ा करने के पहले ही साल उसने इस मामले में एक अध्यादेश जारी किया कि ‘बॅबिलोनियनों ने ज्युडाह के साम्राज्य से क़ैद कर लाये ज्यूधर्मियों में से जो लोग अपनी मूल भूमि में लौटना चाहते हैं, वे वहॉं जाने के लिए आज़ाद हैं|’ इतना ही नहीं, बल्कि बॅबिलोनियनों ने ज़मीनदोस्त किये हुए होली टेंपल के पुनर्निमाण के लिए आवश्यक धन भी उसने देना चाहा| उसीके साथ, बॅबिलोनियनों ने होली टेंपल से लूट लाये गये सोने-चॉंदी के बर्तन आदि टेंपल का भांडार भी सायरस ने ज्यूधर्मियों को लौटा दिया| साथ ही, ज्युडाह के आसपास के राज्यों के राजाओं को भी उसने स्वयं ख़त लिखकर, इस टेंपल के काम के लिए सोना, चॉंदी, लकड़ी आदि जो कुछ भी सहायता लगेगी, वह करने के लिए कहा|

इस पर्शियन सम्राट सायरस को पवित्र ग्रंथ बायबल में भी ‘ज्यूधर्मियों का रक्षणकर्ता’ संबोधित कर सम्मान का स्थान दिया गया है| जिसका लेखन यह पवित्र हिब्रू बायबल का भाग है, ऐसे ‘ईसाइया’ नामक द्रष्टा भविष्यवेत्ता के, सैंकड़ों साल पहले लिखकर रखे हुए लेखन में ‘ज्यूधर्मियों को बंदीवास से मुक्त करनेवाला’ इस अर्थ से इस सम्राट सायरस का उल्लेख आता है|

लेकिन मूल भूमि में लौटने के लिए हालॉंकि सम्राट सायरस की अनुमति मिली और उसके लिए उसकी सहायता भा मिली, कुछ ज्यूधर्मियों ने बॅबिलॉन में रहने ही पसन्द किया| इन – बॅबिलॉन में पीछे रहे ज्यूधर्मियों में से ही आगे चलकर ‘इराकी ज्यू’ इस शाखा का उद्गम हुआ ऐसा माना जाता है|

इस प्रकार, सायरस की इस अनुमति से आनन्दित हुए बॅबिलॉन स्थित ज्यूधर्मीय हज़ारों की संख्या में पुनः अपनी मूल भूूमि में लौटने लगे| लेकिन यह एक ही समय घटित हुई घटना नहीं थी, बल्कि अगले कई साल ज्यूधर्मियों का यह मूल भूमि में लौटना जारी था|(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

Leave a Reply

Your email address will not be published.