नई बिगर पश्चिमी व्यवस्था में ‘ब्रिक्स पेमेंट सिस्टम’ मौजूदा ‘स्विफ्ट’ की जगह लेगी – रशिया के वरिष्ठ नेता का दावा

मास्को – वैश्विक स्तर की एक ध्रुवीय व्यवस्था का ढ़हना शुरू हुआ है और नई बहुध्रुवीय व्यवस्था का निर्माण हो रहा हैं। पश्चिमी जगत के वर्चस्व से दूर होने वाले इस नए जगत में ‘ब्रिक्स’ गुट द्वारा विकसित ‘पेमेंट सिस्टिम’ मौजूदा ‘स्विफ्ट नेटवर्क’ की जगह लेगी, ऐसा दावा रशिया के वरिष्ठ नेता इगोर मोरोझोव ने किया। मोरोझोव रशिया के वरिष्ठ सांसद हैं और अफ्रीका से सहयोग बढ़ाने के लिए गठित समिती के प्रमुख हैं। 

‘स्विफ्ट’अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में ‘ब्रिक्स’ की अहम बैठक होगी। इस बैठक में ‘ब्रिक्स’ द्वारा नए सदस्यों को शामिल करने के साथ कुछ अन्य अहम ऐलान होने की संभावना जताई जा रही है। इसमें नई मुद्रा और ‘पेमेंट सिस्टिम’ का भी समावेश होगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया के वरिष्ठ अधिकारियों ने ‘ब्रिक्स’ कुट की पेमेंट सिस्टिम को लेकर किया दावा ध्यान आकर्षित करता है। 

फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर के कारोबार के लिए ‘सोसायटी फॉर वर्ल्डवाईड इंटरबैंक फाइनान्शिअल टेलिकम्युनिकेशन’ (स्विफ्ट) यंत्रणा का इस्तेमाल किया जाता है। ‘स्विफ्ट नेटवर्क’ से विश्व के २०० से भी अधिक देशों के ११ हज़ार से भी ज्यादा बैंक एवं वित्तीय संस्था जुड़ गई हैं। इस नेटवर्क के माध्यम से हर दिन वित्तीय कारोबार से संबंधित करोड़ों संदेशों का आदान-प्रदान होता हैं और ट्रिलियन डॉलर के कारोबार होते हैं। दुनिया भर के देश ‘स्विफ्ट’ के सदस्य होने के बावजूद इसकी निर्णय प्रक्रिया पर अमरीका और यूरोपिय देशों का वर्चस्व हैं।

पिछले वर्ष रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद स्विफ्ट ने रशिया की प्रमुख बैंकों पर पाबंदी लगाई थी। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रशिया के कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा था। स्विफ्ट की पाबंदी के अलावा अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया के विदेशी मुद्रा भंड़ार कुर्क करने का निर्णय भी किया था। इस पृष्ठभूमि पर रशिया ने कारोबार से डॉलर को हटाने की गतिविधियां तेज़ की थी। अब ब्रिक्स के माध्यम से नई मुद्रा एवं पेमेंट सिस्टिम पेश करने की हो रही कोशिश उन्हीं गतिविधियों का हिस्सा समझा जा रही है। 

ब्राज़ील, रशिया, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का ‘ब्रिक्स’ संगठन का करीबी दिनों में विस्तार होने के संकेत प्राप्त हुए हैं। लगभग २२ देशों ने ब्रिक्स की सदस्यता पाने के लिए बिनती की है। इनके अलावा २० से अधिक देशों ने ब्रिक्स का हिस्सा होने के लिए उत्सुकता दिखाई है। इनमें अफ्रीकी महाद्वीप के देशों का समावेश है अमरीका और पश्चिमी देशों के प्रभाव में होने वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के विकल्प के तौर पर ‘ब्रिक्स’ का निर्माण हुआ था। इसी कारण ‘ब्रिक्स’ की सदस्यता पाने के लिए उत्सुकता दिखा रहे देशों की संख्या बढ़ रही हैं, यह बात अमरीका के नेतृत्व की वैश्विक व्यवस्था के लिए झटका देने वाली बन सकती है।

इसी बीच, ब्रिक्स में नए सदस्य देशों को शामिल करने के मुद्दे पर भारत और चीन में तनाव निर्माण होने की बात कही जा रही है। चीन ने पाकिस्तान को ‘ब्रिक्स’ में शामिल करने के लिए जोर लगाया था। लेकिन, भारत और ब्राज़ल ने इसका तीव्र विरोध करके चीन का प्रस्ताव विफल किया। ‘ब्रिक्स’ के नए सदस्यों के लिए कड़े निकष होने चाहिये, ऐसी मांग भारत और ब्राज़ील ने की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.