बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट (१९२४-२०१०)

भूमिति… लंबाई, चौड़ाई, आकारमान, क्षेत्रफल इन सब का समावेश होनेवाला एक जटिल विषय। किंतु भूमिति की इन सभी रूढ़ संकल्पनाओं को तोड़कर उनमें नई क्रांतिकारी संकल्पनाएँ बनाकर आमूलाग्र परिवर्तन लाने वाले वैज्ञानिक थे ‘बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट’। जटिल संकल्पनाओं से बाहर निकलते हुए निसर्ग से संबंधित उससे करीबी नव भूमिति की खोज से विश्‍व के सर्वसामान्य बातों को देखने का दृष्टिकोण ही बदल गया। मॅन्डेलब्रॉट के द्वारा रखी गई नई भूमिती का नाम है ‘फ्रॅक्टल्स’।

Mandelbrot- बेनॉय मॅन्डेलब्रॉटमॅन्डेलब्रॉट द्वारा रचित नई भूमिति को समझने के लिए उन्होंने ही सन् १९६७ में दिखाया गया प्रयोग देखना पड़ेगा। मॅन्डेलब्रॉट ने सन् १९६७ में ‘ब्रिटन के समुद्र किनारे की लंबाई कितनी’ शीर्षक के ऊपर एक क्रांतिकारी शोध निबंध प्रसिद्ध किया। ब्रिटन का समुद्रकिनारा शुंडाकार वाला है। वास्तव में उसकी लंबाई हजारों किलोमीटर इतनी है। किन्तु मॅन्डेलब्रॉट के दृष्टिकोन से यह ‘लंबाई’ यह कल्पना ही बिलकुल निरर्थक थी। जितना मापदंड उतनी लंबाई। शुंडाकार किनारे की मिति अपूर्णांक में मानी जानी चाहिए। इस प्रकार की उनकी संकल्पना अचंभित कर देनेवाली थी।

पोलंड के बार्सा में २० नवंबर १९२४ को एक ज्यू घराने में बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट का जन्म हुआ। कुछ राजकीय घटनाओं के कारण यह परिवार सन् १९३६ को फ्रान्स में स्थलांतरित हो गया। माँ वैद्यकीय विशेषज्ञ थी और चाचा प्रसिद्ध पर्शियन गणितीज्ञ थे, वहीं पिता कपड़े के व्यापारी थे। पॅरिस के एकोल पॉलिटेक्निक में दो वर्ष शिक्षण लेने के बाद हवाई यांत्रिकी का भी शिक्षण लिया। उसके बाद सन् १९५२ में मॅथॅमॅटिकल विज्ञान इस विषय में पॅरिस (पेरिस) विद्यापीठ से डॉक्टरेट की पदवी प्राप्त की।

प्रथम कॅलिफोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी में और उसके बाद प्रिन्स्टन विद्यापीठ में उन्होंने संशोधन किया। सन् १९५५ में मॅन्डेलब्रॉट पॅरिस (पेरिस) में वापस आ गए और संगणक निर्मिति करनेवाले आय.बी.एम. कंपनी में नौकरी स्वीकार की। इन कंपनियों में काम के साथ उनके संशोधन का भी विकास हुआ। एक नई भूमिति की उन्होंने यहाँ पर नींव डाल दी।

फ्रॅक्टल भूमिति में किसी भी साधारण नियम की सहायता से अतिशय गूँथा हुआ आकृतिबंध बनाया जा सकता है। मूल आकृति का बार-बार पुनर्मेखन यही फ्रॅक्टल की विशेषता है। निसर्ग की अनेक बातें, शरीर की रक्तवाहनियाँ, आकाशगंगा, तारों के समूह की चढ़ते क्रम में हुई रचना इन में फ्रॅक्टल्स का समावेश दिखाई देता है। संगणक की सहायता से अत्याधिक जटिल एवं चित्तवेधक फ्रॅक्टल्स रचना को बनाना आसान हो गया है।

मॅन्डेलब्रॉट ने सन् १९८२ में ‘द फ्रॅक्टल जॉमेट्री ऑफ नेचर’ इस संकल्पना का विस्तार करके इसमें कालानुरुप सुधार किये गए हैं। आय.बी.एम. की निवृत्ति के बाद सन् १९८७ में उन्होंने येल विद्यापीठ में गणित विभाग में पद स्वीकार किया। मॅन्डेलब्रॉट को २००५ में स्टर्लिंग प्रोफेसर का पद प्राप्त हुआ। और उसके बाद २००६ में अमेरिकन मॅथॅमॅटिकल सोसायटी द्वारा उन्हें आईनस्टाईन लेक्चरशीप प्राप्त हुई।

बीसवी सदी में जन्म लेकर भी अगले शतक के विज्ञान का विचार करनेवाले मॅन्डेलब्रॉट इनका उल्लेख ‘लिव्हिंग लिजंड’ या ‘व्हिजनरी’ ऐसा किया जाता है। उनके कार्य का सम्मान करने के लिए अवकाश के ‘अ‍ॅस्ट्राईड २७५००’ को बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट इनका नाम दिया गया।

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