पीटर रॅव्हन

‘तुम्हारे दिये हुए एक डॉलर से यदि एक वनस्पति भी जी जाती है, तो उसका लाभ तुम्हारी आगे की पीढ़ी को होगा’ पीटर रॅव्हन के इस आवाहन को अमेरिकी जनता का प्रतिसाद मिलने लगा। ‘वनस्पति संरक्षण यह मानवीय कल्याण ही है’, ‘जंगलतोड़ के बढ़ते हुए प्रमाण के कारण संभाव्य उपयुक्त औषधि वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं, इस हकीकत का प्रसार करते हुए जनजागृति करने के लिए पूरे विश्‍व में भ्रमण करनेवाले संशोधक के रूप में पीटर रॅव्हन पहचाने जाते हैं। ‘पीटर पागल है’ ऐसा वनस्पति उद्यान के उपसंचालक जोनाथन को कहा गया। इस पर उन्होंने ऐसा कहा कि पीटर स़िर्ङ्ग पागल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से पागल है और इसी पागलपन से ग्रस्त पीटर के हाथों बहुत बड़ा कार्य स़फ़ल हुआ है। लोग उत्साह से उन्हें ‘वनदेव’, ‘देवदूत’ ऐसा संबोधित करते हैं।

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पीटर रॅव्हन यह नाम पर्यावरण शास्त्र, वनस्पतिशास्त्र और उत्क्रांति के अभ्यासकों के लिए नया नहीं है। उनके संशोधन कार्य की शुरुआत बचपन से ही हो गई थी। द्वितीय महायुद्ध के पहले शांघाय में पीटर रॅव्हन का जन्म हुआ। उसके कुछ समय पश्‍चात् जापान ने चीन पर आक्रमण किया। इस आक्रमण के पश्‍चात् रॅव्हन परिवार सॅनफ़्रान्सिसको में स्थलांतरित हो गया। इस दरम्यान उम्र के सिर्फ़ छठवें वर्ष में रॅव्हन के पढने में कीटकसंबंधित पुस्तक आ गयी और बचपन में ही पीटर पर वनस्पति, कीटकों के प्रति जानकारी हासिल करने की धुन सवार हो गयी। अगल-बगल के बगीचों में घूमकर कीटकों को इकठ्ठा करने का उन्हें शौक था। घर के पास के गमलों के नीचे उन्हें बहुत से कीटक मिल जाते थे। इस खोज के द्वारा उन्होंने अनेक दुर्मिल कीटक प्राप्त किए। छोटे-छोटे सूक्ष्म जीवजंतुओं के बच्चों को इकट्ठा करके उन्हें कोष, पतंग, तितली आदि में रूपांतरित होते हुए छोटा सा पीटर देखते रहता था। वनस्पति के नमूने इकट्ठा करके उन्हें टेलीफ़ोन डिरेक्टरी में रखकर सुखाने का उन्हें शौक था।

कॅलिफ़ोर्निया अ‍ॅकॅडमी ऑफ़ सायन्स इस संस्था का सदस्यत्व पीटर ने स़िर्फ़ उम्र के आठवें वर्ष में ही प्राप्त कर लिया। इसके पहले दस वर्ष पूर्ण हुए विद्यार्थी को ही इसका सदस्यत्व मिलता था। उम्र के बारहवें वर्ष में उन्हें ‘सिएरा क्लब’ का सदस्यत्व प्राप्त हुआ और सिएरा पर्वत एवं परिसर का अध्ययन करनेवाले लोगों में पीटर शामिल हो गया। गोल्डन गेट पार्क और सिएरा परिसर के वनस्पति के नमूनों का संग्रह करनेवाली सैर में पीटर सम्मिलित हो गया और फिर पीटर का निसर्ग के साथ रहनेवाला नाता अधिक दृढ़ हो गया। पाठशाला में मैदानी खेल और दौड़ने का अभ्यास उन्हें इस सैर में उपयोगी सिद्ध हुआ। इसके अलावा पारंपारिक पद्धति के पाठ्यक्रम की पाठशाला में उसने बायबल के साथ ही ग्रीक एवं लैटिन भाषा में भी प्राविण्य प्राप्त किया। शाला में रहते समय ही उन्होंने ‘क्लार्किया फ़्रानस्किना’ नामक वनस्पति की खोज की। यह वनस्पति सन् १९०० के बाद कॅलिफ़ोरर्निया से लगभग नामशेष हो गई थी। मान्यवर शास्त्रीय नियतकालिका के द्वारा पीटर के शोध निबंध प्रसिद्ध होने लगे। तब तक पीटर शालांत परीक्षा में भी नहीं बैठा था।

इसी दरम्यान १९५७ में पीटर का पदव्युत्तर शिक्षण पूर्ण हो गया और कॅलिफ़ोरर्निया विश्‍वविद्यालय (लॉस एंजलिस) में वे संशोधन करने लगे। सन् १९६० में उन्होंने वनस्पतिशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। लंडन के नैचरल हिस्टरी म्युझियम में और बाद में वे क्यू गार्डन्स से संशोधक के पद पर काम करने लगे।

आगे चलकर स्टॅन्फ़र्ड विश्‍वविद्यालय में उन्होंने ९ वर्षों तक व्याख्याता का कार्य किया। यहाँ पर पीटर की पॉल एहर्लिख से पहचान हुई। दोनों में अच्छी मित्रता हो गयी। बातों बातों में उन्होंने अपने बचपन में किये गए तितलियों के निरीक्षण की बात बताई। पीटर और पॉल के बीच हुई बातचीत में से तितलियों और वनस्पतियों के बीच कुछ परस्पर संबंध है, इस रहस्य का पता चला।

रॅव्हन और एहर्लिख इनके चर्चा से ‘सह-उत्क्रांति का सिद्धान्त’ का जन्म हुआ। दो विभिन्न जाति के जीव एक ही परिस्थिति में जब साथ आते हैं तो दोनों सजीवों का इस समय परस्पर के उत्क्रांत होने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है, ऐसा उस सिद्धान्त का स्वरूप है। यह सिद्धान्त सर्वत्र बहुत प्रसिद्ध हुआ। एहर्लिख के साथ मिलकर पीटर ने तीन शोध निबंध प्रसिद्ध किए। ये बहुचर्चित निबंध अन्य शास्त्रज्ञों ने बार-बार प्रयोग में लाये। जीवशास्त्र के संशोधकों को ये निबंध बड़े ही महत्त्वपूर्ण लगे।

उम्र के पैंतीसवें वर्ष में पीटर अमेरिका के सबसे पुराने वनस्पतिशास्त्रीय उद्यान के (मिसुरी बोटॅनिकल गार्डन) में संचालक के रूप में कार्य करने लगे। इस उद्यान का पुराना स्वरूप बदल गया। इस विशाल बगीचे में घूमने के लिए विद्युत्-शक्ति पर चलनेवाली गाड़ियों का उपयोग होने लगा। विश्‍व के कोने-कोने से लायी हुई वनस्पतियों का भू-भागों के अनुसार किया गया वर्गीकरण यहाँ पर देखने मिलता है। बाग में सभागृह, कलादालन, जगह-जगह के मशहूर कलाकारों के द्वारा बनायी गई शिल्पकृति, वाहन अड्डा, खान-पान विभाग हैं। साथ ही जिस विभाग में सरोवर हैं, उस सरोवर में उस-उस देश की मछलियाँ छोड़ी गयी हैं। यह बगीचा हजारों से अधिक स्वयंसेवक, विद्यार्थी और साढ़े तीन सौ वेतन पानेवाले नौकर सँभालते हैं। उत्तर अमेरिका में लुप्त हुई मूल वनस्पतियों का विकास करके उन्हें पुन: अमेरिका के जंगलों में बढ़ाने का प्रयत्न पीटर करते हैं। यहाँ की वनस्पतियों से संबंधित संशोधन करने के साथ ही इस संस्था के शास्त्रज्ञ पूरे विश्‍व में घूमकर प्रत्येक वर्ष २०० नयी प्रजाति की वनस्पतियाँ लाते हैं। ये सहकारी संशोधक कई वर्षों तक जंगलों में रहकर वहाँ की स्थानीय भाषा सीखते हैं और पर्यावरण और वनस्पतियों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। स्थानीय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन लेकर वे अपना संशोधन एवं वनस्पति संग्रह का कार्य शुरू रखते हैं।

डॉ. रॅव्हन ने १६ ग्रंथ और ४०० लेख लिखे हैं। युनायटेड स्टेट नेशनल जिओग्राफ़िक सोसायटी के संशोधन कमिटी के वे अध्यक्ष थे। सन् १९९९ में पृथ्वी दिन के निमित्त टाईम्स मासिका ने ‘रॅव्हन’ का ‘पर्यावरण के विभिन्न कार्यों पर प्रकाश डालने वाला इस ग्रह पर का सर्वोत्कृष्ट असामान्य व्यक्तित्व’ इस लेख के द्वारा उनका उल्लेख किया है।

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