भारत रशिया के साथ ‘आर्क्टिक’ में सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – यूक्रेन युद्ध के बाद भारत और रशिया के ईंधन कारोबार से बेचैन हुई अमरीका ने इस सहयोग को प्रभावित करने की जोरदार गतिविधियाँ शुरू की हैं। रशिया को ईंधन की बिक्री से अधिक आय प्राप्त ना हो, इसके लिए ईंधन पर ‘प्राईस कैप’ लगाने की तैयारी अमरीका और पश्चिमी देशों ने की है। इस वजह से रशिया से किसी को भी अमरीका ने तय की हुई कीमत से अधिक दर से ईंधन खरीदना मुमकिन नहीं होगा। इस वजह से भारत और चीन जैसे देशों का लाभ ही होगा, ऐसा अमरीका कह रही है। अमरीका की इस रणनीति के चलते ही अब भारत के प्रधानमंत्री ने रशिया के व्लादिवोस्तोक में आयोजित ‘ईस्टर्न इकॉनॉमिक फोरम’ को वर्चुअल माध्यम द्वारा संबोधित किया। आर्क्टिक क्षेत्र में भारत और रशिया के ईंधन सहयोग के लिए काफी अवसर उपलब्ध हैं और इसके लिए भारत बहुत उत्सुक है, यह संदेश प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान किया।

आर्क्टिकभारत रशिया के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए ‘इंटरटनैशनल नॉर्थ साऊथ कॉरिडॉर’, ‘चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मेरिटाईम कॉरिडॉर’ और ‘नॉर्दन सी रूट’ प्रकल्प पर काम कर रहा है। दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए यह प्रकल्प दोनों देशों के विकास के लिए काफी अहम भूमिका निभा रहे हैं, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने इसकी अहमियत रेखांकित की। रशिया के अतिपूर्व के दुर्लक्षित क्षेत्र के नैसर्गिक ईंधन और अन्य स्रोतों की अहिमयत भारत ने पहले ही भांप ली थी। इसी कारण कुल तीस साल पहले भारत ने रशिया के व्लादिवोस्तोक में अपना दूतावास स्थापित किया था। वहां पर दूतावास शुरू करनेवाला भारत पहला देश था, इसकी याद प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान ताज़ा की।

इसके साथ ही रशिया के अतिपूर्व क्षेत्र का विकास करने के लिए साल २०१५ में ‘ईस्टर्न इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ स्थापित किया गया था। साल २०१९ में भारत ने ‘ऐक्ट फार ईस्ट’ नीति अपनाई थी। यह नीति भारत के रशिया की साथ जारी रणनीति स्तर के विशेष सहयोग का आधार बनी। रशिया के इस क्षेत्र में मौजूद ईंधन के अलावा वहां के दवाई क्षेत्र और हिरों के लिए भारत ने अहम निवेष किया है, इस पर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। भारत आर्क्टिक क्षेत्र में रशिया के साथ सहयोग अधिकाधिक मज़बूत करने के लिए उत्सुक है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। साथ ही यूक्रेन पर हमला करनेवाली रशिया के साथ भारत के सहयोग पर आपत्ति जता रहे देशों को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में जवाब दिया।

यूक्रेन युद्ध रोककर शांति स्थापित करने के लिए राजनीतिक स्तर की बातचीत शुरू हो, यही भारत की माँग है। इसके लिए भारत हर तरह का सहयोग करेगा, यह कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर फिर से अपने देश की भूमिका रखी। भारत ने पहले से यूक्रेन युद्ध पर यही भूमिका कायम रखी है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने रशिया और यूक्रेन से अनाज एवं खाद की सुरक्षित सप्लाई करने पर सहमति का स्वागत किया। साथ ही यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ा है और इसका सबसे ज्यादा नुकसान विकसनशील देशों को हो रहा है, इसका अहसास प्रधानमंत्री मोदी ने कराया।

इसी बीच रशिया के ईंधन निर्यात को लक्ष्य करने के लिए अमरीका ने रशियन ईंधन पर ‘प्राईस कैप’ लगाने की तैयारी की है। इसके अनुसार भारत और चीन एवं रशिया के अन्य ग्राहक देश अमरीका द्वारा तय की गई कीमत से अधिक दर से रशिया के ईंधन की खरीद नहीं कर पाएंगे। ऐसा किया तो इन देशों को अमरीका के प्रतिबंधों का सामना करना पडेगा। इससे भारत और चीन जैसे देशों को भी लाभ होगा, यह देश रशिया से अधिक सस्ती किमत पर ईंधन खरीद पाएंगे, यह दावा अमरीका कर रही है। लेकिन, रशिया के खिलाफ अमरीका की यह चाल भी नाकाम होगी, यह दावा अमरिकी माध्यम करने लगे हैं।

ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ईस्टर्न इकॉनॉमिक फोरम’ में वर्चुअल माध्यम से शामिल होकर भारत अपनी विदेश नीति की संप्रभुता और संतुलन बनाए रखेगा, यह स्पष्ट संदेश दिया है।

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