रशिया से ईंधन कारोबार करने पर धमका रहीं अमरीका को भारत की फटकार

नई दिल्ली – रशिया से भारत कर रहें ईंधन खरीद पर धमका रही अमरीका को विदेशमंत्री जयशंकर ने फटकार लगायी। रशियन ईंधन के पहले दस खरीदार देशों में भी भारत का समावेश नहीं है। भारत से कई गुना अधिक मात्रा में युरोपीय देश रशिया से ईंधन खरीद कर रहे हैं। यूक्रैन में युद्ध जारी होने के दौरान भी युरोपीय देशों ने रशिया से ईंधन खरीद अधिक बढ़ायी थी, इस पर विदेशमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। इसी दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने यह ऐलान किया कि भारत आगे भी रशिया से ईंधन खरीद जारी रखेगा।

भारत की फटकारभारत दौरे पर पहुँचे अमरीका के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलिप सिंह ने, भारत को रशिया से ईंधन खरीद ना करने की चेतावनी दी थी। यह ईंधन कारोबार भारत के रुपया और रशियन रूबल मुद्राओं के माध्यम से किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे, ऐसा दलिप सिंह ने धमकाया था। उनके इस धमकाने का भारत ने गंभीरता से संज्ञान लिया हुआ दिखाई दे रहा है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और व्यापार मंत्री पियूष गोयल के साथ हुई चर्चा के दौरान, दलिप सिंह को स्थिति का आवश्‍यक शब्दों में अहसास करा दिया गया होने की चर्चा जारी है। किसी भी स्थिति में रशिया से ईंधन खरीद रोकी नहीं जाएगी, यह ऐलान करके विदेशमंत्री एवं अर्थमंत्री ने अमरीका को चेतावनी दी।

अपनी ईंधन संबंधित ज़रूरतों को ध्यान में रखकर भारत इससे संबंधित निर्णय करता है। इसमें अन्य किसी भी देश ने हस्तक्षेप करने का कारण नहीं हैं। यह नसीहत भारत ने अमरीका को देने की बात इससे सामने आयी है। रशिया ने भारत को सहूलियत की कीमत से ईंधन प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन की कीमत चरम स्तर पर पहुँची होने के कारण भारत ने रशिया का प्रस्ताव स्वीकार किया। दोनों देशों का यह कारोबार अपने प्रतिबंधों की कक्षा में ना होने की बात अमरीका ने भी स्वीकारी थी। फिर भी भारत पर दबाव बनाने की कोशिश अमरीका ने की।

भारत अपने दबाव को कीमत नहीं देता, यह देखकर अमरीका ने अलग ही सूर अलापना शुरू किया। अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने, उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलिप सिंह की भारत यात्रा लाभदायी साबित होने की जानकारी माध्यमों को प्रदान की। इसके साथ ही अमरिकी सिनेट की फायनैन्स कमिटी के सामने हुई सुनवाई के दौरान बोलते हुए, अमरीका के व्यापार प्रतिनिधी कैथरिन टाय ने, भारत अमरीका का बड़ा अहम भागीदार देश होने का बयान किया। मतभेद होने के बावजूद दोनों देश चर्चा करके अपना व्यापारी सहयोग बढ़ा रहे हैं, ऐसा टाय ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया। इसी बीच, भारत ही नहीं, बल्कि युरोपीय और खाड़ी के देश भी अमरीका की माँग स्वीकारकर रशिया के विरोध में निर्णय करने से इन्कार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत जैसें अहम देशों पर दबाव बनाकर परंपरागत नीति बदलने के लिए मज़बूर करने की बायडेन प्रशासन की कोशिश असफल होना यह स्वाभाविक बात बनती है। आनेवाले समय में भी अगर बायडेन प्रशासन ने भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की, तो इसपर भारत की प्रतिक्रिया दर्ज़ हो सकती है। इस वजह से भारत के रशिया के साथ जारी संबंध अधिक ही मज़बूत होंगे। साथ ही बायडेन प्रशासन की बेताल नीति से नुकसान का सामना कर रहें देश भी इस मोरचे पर भारत का साथ देने की नीति अपनाएँगे, यह भी स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगा है।

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