प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रशियन राष्ट्राध्यक्ष से चर्चा

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की फोन पर चर्चा हुई। शुक्रवार को हुई इस चर्चा में यूक्रेन का मुद्दा सबसे आगे था। इस दौरान राजनीतिक बातचीत से ही यूक्रेन की समस्या का हल निकलेगा, यह भारत की भूमिका प्रधानमंत्री मोदी ने रखी, ऐसा प्रधानमंत्री दफ्तर ने कहा हैं। यूक्रेन युद्ध के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनाज़ एवं ऊर्जा के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने सोचने की जानकारी प्रधानमंत्री दफ्तर ने प्रदान की।

रशियन राष्ट्राध्यक्षप्रधानमंत्री मोदी हाल ही में जर्मनी में हुई विकसित देशों की ‘जी ७’ परिषद में शामिल हुए थे। इस परिषद में शामिल हुए पश्‍चिमी देश यूक्रेन युद्ध का ठिकरा रशिया पर फोड़ रहे थे। यह युद्ध शुरू करनेवाली रशिया पर आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक दबाव बढ़ाने की चर्चा ‘जी ७’ की इस बैठक मे हुई। लेकिन, भारत ने यूक्रेन युद्ध के लिए पुरी तरह से सीफ रशिया को ज़िम्मेदार बताना टाल दिया है। यूक्रेन पर हमला करनेवाली रशिया का भारत निषेध करें, इसके लिए अमरीका और यूरोपिय देशों ने विशेष कोशिश की थी। लेकिन, भारत ने इसकी परवाह नहीं की। जर्मनी में आयोजित ‘जी ७’ की बैठक में भी भारत ने रशिया का विरोध करना टाल दिया। इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री की रशियन राष्ट्राध्यक्ष से हुई यह चर्चा अहमियत रखती है।

यूक्रेन युद्ध के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल निर्माण हुए अनाज़ और ऊर्जा संकट के मुद्दे पर दोनों देशों के नेताओं ने विचारों का आदान-प्रदान किया। साथ ही यूक्रेन युद्ध की वजह से विश्‍व के सामने खड़ी हुई खाद की समस्या पर भी दोनों नेताओं ने इस दौरान बातचीत की। रशिया और यूक्रेन खाद का उत्पादन कर रहें प्रमुख देश हैं। यह दोनों देश युद्ध में व्यस्त होने से और अमरीका ने रशिया पर प्रतिबंध लगाने की वजह से कई देशों को हो रही खाद की आपूर्ति बंद हुई है। इस वजह से कुछ देशों के कृषि क्षेत्र के सामने काफी बड़ी चुनौती खड़ी हुई हैं। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की हुई यह चर्चा ध्यान आकर्षित करती है।

भारत और रशिया के द्विपक्षीय व्यापार को गति प्रदान करने के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं की बातचीत हुई। पिछले साल के दिसंबर महीने में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान हुए सहयोग के समझौते की प्रगति का जायज़ा भी इस चर्चा में करने की जानकारी प्रधानमंत्री दफ्तर ने साझा की। अगले समय में भी दोनों नेताओं का अगले दिनों में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर सोच-विचार होता रहेगा, यह प्रधानमंत्री दफ्तर ने स्पष्ट किया।

इसी बीच, यूक्रेन युद्ध के बाद रशिया और अन्य पश्‍चिमी देशों ने रशिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। इससे यूरोपिय देशों को नुकसान पहुँचा हैं और इससे रशिया की भी कुछ मात्रा में मुश्‍किल हुई हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया ने भारत को सहुलियत की कीमत से र्इंधन की आपूर्ति करने का निर्णय किया हैं और भारत भी इस अवसर का पूरा लाभ उठा रहा हैं। मई महीने में भारत ने रशिया से कुल २.५ करोड़ बैरल्स कच्चे तेल की खरीद की थी। साथ ही रशिया से भारत ने भारी मात्रा में कोयलाखरीदा है। इसी बीच पश्‍मिची देशों ने रशिया को निर्यात करना बंद करने से रशियन बाज़ार में उपलब्ध हुए अवसर पाने के लिए भारतीय कंपनियों ने पहल की हैं। खास तौर पर दवाईयों का निर्माण एवं अन्य क्षेत्र में रशिया की माँग पुरी करने के लिए भारत ने तेज़ कदम उठाएँ हैं।

दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा हैं और ऐसें में रशिया को ईरान के बंदरगाह के ज़रिये भारत से व्यापार के नज़रिये से जोड़नेवाले ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ (आईटीएसटीसी) पर जोरदार काम शुरु हुआ हैं। यह कॉरिडॉर पूरा होने के बाद भारत की रशिया समेत अन्य देशों में हो रहीं निर्यात भारी मात्रा में बढ़ेगी। इस वजह से भारत के रशिया से जारी सहयोग को नई उंचाई प्राप्त हो सकेगी। भारत और रशिया के इस सहयोग को अमरीका और पश्‍चिमी देश काफी बारिकी से देख रहे हैं। ऐसें समय में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की हुई चर्चा ध्यान आकर्षित करती हैं

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