रशिया-युक्रेन तनाव से संबंधित अमेरिका की भारत को ’ब्रीफिंग’

नई दिल्ली/वॉशिंगटन – रशिया युक्रेन पर हमला करने की तैयारी में होने का आरोप अमेरिका लगा रही है। अमेरिका के उपपराष्ट्रमंत्री वेंडी शर्मन ने इस पर रशिया को गंभीर परिणामों का इशारा दिया। सोशल मीडिया पर रशिया को मजबूत इशारा देने से एक घंटा पहले, शर्मन ने अपनी भारत के परराष्ट्र सचिव से फोन पर चर्चा होने की खबर दी। इस चर्चा में अमेरिका के उपपराष्ट्रमंत्री कहा कि, रशिया के साथ निर्माण हुए तनाव की भारत के परराष्ट्र सचिव को ’ब्रीफिंग’ की गई है। 

Wendy-Sherman-Shringla’रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन को आगे क्या करना है, वह व्लादिमिर पुतिन ही बता सकेंगे, मगर राजनैतिक मार्ग का इस्तेमाल करेंगे ऐसी उम्मीद की जाती है। ऐसा करना रशिया की सुरक्षा, युरोप की सुरक्षा और रशियन जनता की सुरक्षा के भले के  लिए होगा’, ऐसा वेंडी शर्मन ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा था। रशिया ने हमला किया तो उसके भयंकर परिणाम होंगे, ऐसी धमकी अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, परराष्ट्रमंत्री ऐथनी ब्लिंकन ने दी है। तो, युक्रेन और अपने प्रभावक्षेत्र के देशों को नाटो में शामिल करना युद्ध की घोषणा ही माना जाएगा, ऐसा रशिया ने इशारा दिया है। युक्रेन की सीमा पर रशिया के एक लाख सैनिक आदेश की प्रतिक्षा में हैं, इसलिए इस क्षेत्र में किसी भी पल युद्ध छिड सकता है, ऐसी विसफोटक स्थिति निर्माण हुई है।

युक्रेन के प्रश्न पर रशिया एवं अमेरिका में निर्माण हुए इस तनाव की ’ब्रीफिंग’ हमने श्रिंगला को देने की बात शर्मन ने सोशल मिडिया पर कही है। इससे पहले अमेरिका के परराष्ट्रमंत्री ब्लिंकन ने भारत के परराष्ट्रमंत्री जयशंकर से फोन पर चर्चा की थी। इस चर्चा में भी युक्रेन का मुद्दा अग्र स्थान पर था, ऐसा कहा जा रहा है। अब शर्मन ने श्रिंगला के साथ चर्चा में युक्रेन की समस्या का प्रमुखता से उल्लेख किया है। इसलिए युक्रेन के मुद्दे पर भारत अपनी तरफदारी करे, अमेरिका ऐसी मांग कर रही है, यह दावे किए जा रहे हैं।

युक्रेन के मुद्दे पर युद्ध की चिंगारी उठने की स्थिति में भारत मध्यस्थता करके इस समस्या का हल निकाले, ऐसी अमेरिका की अपेक्षा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। पर, युक्रेन की समस्या पर भारत अमेरिका या रशिया में से किसी की भी तरफदारी किए बगैर तटस्थ रहना चाहिए, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। भारत तटस्थ रहने के बजाए यदि किसी एक की तरफदारी करता है तो इसके संभवत: परिणाम हो सकते हैं, ऐसा इशारा विश्लेषकों ने दिया है।

रशिया से एस-400 सुरक्षा प्रणाली खरीदकर भारत ने यह व्यवहार रद्द करने की अमेरिका की मांग ठुकराई थी। तत्पश्चात अमेरिका ने भारत पर निर्बंध लगाने की तैयारी की थी, मगर अमेरिका में से ही इस बात का विरोध किया जा रहा है। भारतीय समाचार चैनल को हाल में दी गई मुलाकात में रशिया के परराष्ट्रमंत्री सर्जेई लैवरोव ने कहा था कि, अपने देश के लिए भारत का सहकार्य अनमोल है। ऐसी स्थिति में बायडेन प्रशासन युक्रेन के मुद्दे पर भारत रशिया के खिलाफ अमेरीका की तरफदारी करने की उम्मीद व्यक्त करके भारत के लिए दिक्कतें बढाने की कोशिश करने की संभावना नाकारी नहीं जा सकती।

इसके अलावा दूसरी संभावना यह है कि, युक्रेन के प्रश्न पर योरोप में युद्ध की चिंगारी न उठे इसके लिए जिम्मेदार मध्यस्थ देश के रूप में बायडेन प्रशासन भारत का इस्तेमाल कर सकता है। परंतु इसके लिए भारत उत्सुक ना होने के दावे किए जा रहे हैं। रशिया और अमेरिका के भी सुरक्षाविषयक तथा आर्थिक हित भारत से जुड़े हुए हैं, इसका इस्तेमाल करके भारत दोनों देशों के बीच का तनाव कम कर सकता है, यह तर्क मध्यस्थता के इस प्रस्ताव में होने की बडी संभावना है।

चीन जैसा मतलबी देश अमेरिक एवं रशिया के संघर्ष का लाभ उठा सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान अधिक मजबूत करने के लिए तेज़ी से कदम उठा सकता है। इसलिए यह संघर्ष चीन के हित में होने के बावजूद इस भयानक परिणाम अमेरिका-युरोपिय देशों समेत सारे विश्व को भुगतने पडेंगे। इस लिए यह संघर्ष टालने के लिए भारत के हित गुत्थे हुए हैं, इसलिए इस संदर्भ में भारत भूमिका स्वीकारता है, इस पर सबकी नजरें लगी हुई हैं।

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