ईरान के सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत के संघर्ष में १९ की मौत – मृतकों में ईरान की गुप्तचर यंत्रणा के वरिष्ठ अधिकारी

तेहरान – ईरान के सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शनों से छिड़े संघर्ष में १९ लोग मारे गए हैं। इनमें ईरान के रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ की गुप्तचर यंत्रणा के वरिष्ठ अधिकारी का भी समावेश होने की जानकारी सामने आ रही है। रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ के लिए यह बड़ा झटका है। देश के इन आतंकी हमलों के लिए अमरीका, ब्रिटेन ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाकर ईरान ने नौं यूरोपिय नागरिकों को गिरफ्तार किया है।

सिस्तान-बलोचिस्तानमाहसा अमिनी नामक कुर्द युवति की संदिग्ध मौत के बाद ईरान में हुकूमत के खिलाफ प्रदर्षन हो रहे हैं। ईरान के दूर के शहरों में भी हुकूमत और हिजाब विरोधी प्रदर्शन जारी हैं और सिस्तान-बलोचिस्तान जैसे दुर्गम प्रांत भी इससे बच नहीं पाए हैं। ईरान के अनदेखे प्रांत के तौर पर जाने जा रहे सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत की राजधानी ज़ाहेदान में यह प्रदर्शन हो रहे थे।

सिस्तान-बलोचिस्तानइस दौरान कुछ संदिग्धों ने यहां के पुलिस थाने पर हमला किया। जवाब में पुलिस और रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ ने गोलीबारी की। इसके बाद रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ और प्रदर्शनकारियों के बीच छिड़े संघर्ष में १९ लोग मारे गए। प्रदर्शनकारियों के अलावा रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ के स्थानीय कमांडर कर्नल सईद अली मुसावी के मारे जाने की जानकारी स्थानीय समाचार चैनलों ने साझा की। साथ ही इस दौरान कुछ पुलिस कर्मी घायल हुए हैं।

ईरान के प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में इतने पड़े पद के अधिकारी के मारे जाने से रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ के लिए यह झटका होने की बात स्थानीय समाचार चैनलों ने कही है। लेकिन, सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत के संघर्ष में ईरान की गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख अली मुसावी के मारे जाने की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। ईरान सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की है। लेकिन, अगले कुछ घंटों में रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ ने अलग-अलग शहरों से आठ यूरोपिय नागरिकों को हिरासत में लिया है।

पिछले दो हफ्तों से ईरान को अस्थिर कर रहें इन हिंसक प्रदर्शनों की सहायता यही यूरोपिय नागरिक कर रहे थे, ऐसा ईरान ने कहा है। इनमें जर्मनी, पोलैण्ड, इटली, फ्रान्स, नेदरलैण्ड, स्वीड़न और अन्य देशों के नागरिकों का समावेश है। ईरान की हुकूमत को लक्ष्य करने के लिए किए गए इन आतंकी हमलों के पीछे अमरीका, ब्रिटेन और इस्रायल ज़िम्मेदार हैं, यह आरोप ईरान के नेता लगा रहे हैं।

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