उत्तर कोरिया का तनाव बढ़ते समय चीन द्वारा रशिया से मध्यस्थता की माँग; उत्तर कोरिया की सीमा पर रशियन सेना की गतिविधियाँ

बीजिंग/मॉस्को, दि. १६: अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव बढ़ता रहा, तो कोरियन क्षेत्र में संघर्ष की चिंगारी भड़क सकती है, ऐसी चेतावनी चीन ने कुछ ही दिनों पहले दी थी| यह संघर्ष टालने के लिए तथा अमरीका और उत्तर कोरिया का तनाव कम करने के लिए चीन ने रशिया के पास सहायता की माँग की है| पिछले हफ्ते सीरिया के संघर्ष को लेकर अमरीका और रशिया एकदूसरे के खिलाफ खड़े हुए थे|

कोरियन क्षेत्र में बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर, चीन के विदेशमंत्री ‘वँग यी’ ने रशिया के विदेशमंत्री ‘सर्जेई लॅव्हरोव्ह’ से फोन पर बातचीत की, ऐसी जानकारी सामने आयी है| उत्तर कोरिया का मसला हल करने के लिए चीन की कोशिशें जारी हैं, ऐसा चीन के विदेशमंत्री ने इस चर्चा में स्पष्ट किया| लेकिन यह तनाव कम करने के लिए चीन को रशिया से सहायता की उम्मीद है, ऐसा विदेशमंत्री ‘यी’ ने रशियन विदेशमंत्री से कहा| कोरियन क्षेत्र के सभी देशों को बातचीत के लिए राज़ी करने के लिए रशिया की सहायता ज़रूरी है, ऐसा विदेश मंत्री ‘यी’ ने कहा|

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने, इस क्षेत्र के देशों को स्थिति नियंत्रण के बाहर न जायें और संघर्ष ना भड़क उठें, इसपर ध्यान देने का आवाहन किया, ऐसी जानकारी क्रेमलिन के प्रवक्ता ‘दिमित्रि पेस्कोव्ह’ ने दी| लेकिन चीन ने रशिया को दिया हुआ मध्यस्थता का प्रस्ताव स्वीकार करने के बारे में कुछ भी कहने से रशियन प्रवक्ता ने इन्कार किया|

अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता करने का आवाहन चीन द्वारा रशिया से किया जा रहा है कि तभी रशिया की सेना उत्तर कोरिया की सीमा के नज़दीक दाखिल हुई होने का दावा किया जाता है| उत्तर कोरिया और चीन की सीमारेखा से सिर्फ़ १५ किलोमीटर की दूरी पर रशियन सेना की टुकड़ी दाख़िल होने की जानकारी स्थानिकों ने सोशल मीडिया पर दी है|

पिछले कई दिनों से चीन के सरकारी मुखपत्रों द्वारा, अमरीका की सैनिकी गतिविधियों तथा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की कड़ी आलोचना की जा रही है| अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष कोरियन क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं, ऐसा आरोप चीन के मुखपत्र ने किया| साथ ही, दुनिया के इतिहास में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प को ‘जंगबाज राष्ट्राध्यक्ष’ के रूप में पहचाना जायेगा, ऐसी आलोचना ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने की है|

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