यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर आग उगलने वाली अमरीका और यूरोपिय देशों को रशियन विदेश मंत्री का मुंहतोड़ प्रत्युत्तर

नई दिल्ली – ‘जी २०’ परिषद के संयुक्त निवेदन में यूक्रेन युद्ध का समावेश करके रशिया का निषेध करने की कोशिश करने वाले पश्चिमी देशों की रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने तीव्र आलोचना की। इराक, लीबिया, अफ़गानिस्तान में अमरीका और नाटो ने हमले किए, क्या इसका ज़िक्र ‘जी २०’ ने कभी किया था? ऐसा सवाल करके रशियन विदेश मंत्री ने अमरीका और यूरोपिय देशों के दोगले रवैये का सटीकता ध्यान आकर्षित किया। साथ ही ‘जी २०’ परिषद में भारत ने संतुलित और व्यापक भूमिका अपनाई, यह कहकर विदेश मंत्री लेवरोव ने भारत की सराहना की। वहीं, दूसरी ओर अमरीका एवं अन्य यूरोपिय देश रशिया पर आग उगलते रहे हैं। ऐसी स्थिति में भी ‘जी २०’ बैठक की पृष्ठभूमि पर रशिया और अमरीका के विदेश मंत्रियों के बीच दस मिनट की चर्चा ने सबका ध्यान आकर्षित किया।

रशियन विदेश मंत्रीअमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन और रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लेवरोव के बीच यह दस मिनट की चर्चा भारत के कारण हुई, ऐसे दावे कुछ वृत्तसंस्थाओं ने किए हैं। लेकिन, भारत के विदेश मंत्री से इस पर बयान नहीं आया है। यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए भारत हर तरह से अपना योगदान करेगा, इस बात पर भारत कायम है। साथ ही अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स, जापान की मांग के अनुसार यूक्रेन पर हमला करने वाली रशिया का निषेध करने का ज़िक्र ‘जी २०’ के संयुक्त निवेदन में के लिए भारत ने समर्थन नहीं है। इसकी गूंज सुनाई पड़ी है। अमरीका के सिनेटर वॉर्नर ने दावा किया कि, आज नहीं तो कल भारत को यूक्रेन युद्ध पर पुख्ता भूमिका अपनानी ही पडेगी। इसी बीच भारत यात्रा पर आईं इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने भी रशिया की आलोचना करके यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ नहीं रहा जा सकता, ऐसा दावा किया।

यूक्रेन पर हमला करने वाली रशिया का निषेध न करने का मतलब आगे के समय में हमले की तैयारी में बैठनेवालों को बढ़ावा देना है, ऐसा आरोप अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने लगाया है। लेकिन, अमरीका और अमरीका के सहयोगी देश भारत पर ऐसा दबाव डाल रहे हैं और तभी रशिया के विदेश मंत्री ने वार्ता परिषद एवं रायसेना डायलॉग में अपने देश की भूमिका स्पष्ट की।

अपने देश की सीमा से हज़ारों मील दूर इराक और अफ़गानिस्तान पर हमला करते हुए अमरीका और यूरोपिय देशों ने कहा था कि, यह हमारे अस्तित्व के लिए संघर्ष है। इराक और अफ़गानिस्तान में अमरीका और नाटो ने कितनी बार मानव अधिकारों का हनन किया, यह सवाल पूछा नहीं जा रहा था क्योंकि, इस देश में तब क्या चल रहा था, इसकी परवाह करने की जरूरत ही किसी को महसूस नहीं हो रही थी, ऐसी फटकार लैवरोव ने लगायी।

लेकिन, अपने पड़ोसी देश से निर्माण होने वाले खतरे के खिलाफ रशिया की सैन्य कार्रवाई के बाद यही देश मानव अधिकारों के हनन का मुद्दा उठा रहे हैं। यदि हज़ारों मील दूर के देशों में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर सकते हो तो रशिया अपने अस्तित्व के संभावित खतरे के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती? यह सवाल उठाकर रशियन विदेश मंत्री ने अमरीका और यूरोपिय देशों को दो टुक लगाई।

क्या आप बातचीत के लिए तैयार हो? यह सवाल रशिया से ही बार-बार पूछा जा रहा है। राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के नेतृत्व में रशिया से चर्चा करना अपराध है, ऐसा बयान यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की ने किया था, यह कोई क्यों नहीं सोचता, यह सवाल भी लैवरोव ने माध्यमों से किया है।

भारत के प्रधानमंत्री ने जी २० परिषद को संबोधित करते हुए बड़ी संतुलित भूमिका अपनाई, ऐसा लैवरोव ने कहा। अमरीका और पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध का सिर्फ एक ही हिस्सा विश्व को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और रशिया विरोधी चित्र निर्माण कर रहे हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने व्यापकता से इस समस्या को देखा है, ऐसी सराहना लैवरोव ने की। इसके साथ ही भारत और रशिया के संबंध हमेशा मज़बूत रहे हैं, यह कहकर इन द्विपक्षीय संबंधों की अहमियत भी लैवरोव ने फिर से रेखांकित की।

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