५०० टन वज़न के आईएसएस का इस्तेमाल करके क्या अमरीका भारत और चीन को धमका रही है? – रशिया की अंतरिक्ष संस्था के प्रमुख का सवाल

आईएसएसमॉस्को – युक्रेन पर हमला करने के बाद रशिया पर अमरीका ने प्रतिबंध लगाए हैं। इसमें रशियन अर्थव्यवस्था को लक्ष्य करने के साथ ही, रशिया की अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमता खत्म करने के भी प्रयास किए जाएंगे, ऐसा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने कहा था। इसका अर्थ, क्या ‘इंटरनॅशनल स्पेस स्टेशन- आईएसएस’ के लिए अमरीका और रशिया ने किया सहयोग भी क्या खत्म होगा? इसके जरिए ५०० टन वज़न का यह ‘आईएसएस’ भारत अथवा चीन में गिर सकता है, ऐसे संकेत देकर क्या रशिया के इन दोनों सहयोगी देशों को अमरीका धमका रही है? ऐसा सवाल रशिया ने किया है।

युक्रेन के मसले पर भारत रशिया के विरोध में भूमिका अपनाएँ, इसके लिए अमरीका का बायडेन प्रशासन भारत पर दबाव डाल रहा है। लेकिन भारत ने उससे स्पष्ट रूप में इन्कार करके, इस मामले में तटस्थ भूमिका अपनाई। रशिया ने इसका स्वागत किया। ऊपरी तौर पर अमरीका-भारत सहयोग का, भारत-रशिया सहयोग से संबंध नहीं है यह बताकर अमरीका, यह बात उसे मान्य नहीं है ऐसा बता रही है। लेकिन वास्तव में भारत की तटस्थता रशिया को अनुकूल साबित होनेवाली बात है, ऐसा अमरीका का कहना है। अमरीका के कुछ लोकप्रतिनिधियों ने दर्ज़ की प्रतिक्रिया से यह बात सामने आ रही है।

आईएसएसऐसी परिस्थिति में ‘आईएसएस’ के संदर्भ में रशिया के साथ होनेवाला अमरीका का सहयोग खत्म होगा, ऐसे संकेत राष्ट्राध्यक्ष बायडेन द्वारा दिए जा रहे हैं। इस पर रशिया ने उंगली रखी है। इसका अर्थ अगर, ‘आईएसएस के संदर्भ में अमरीका रशिया से सहयोग नहीं करेगी’ ऐसा है, तो फिर अंतरिक्ष में नाकाम हुए सैटेलाइट्स के कचरे से आईएसएस की सुरक्षा कौन करेगा? इस अपघात के कारण आईएसएस पृथ्वी पर गिरने की संभावना है। लेकिन आईएसएस रशिया पर गिर नहीं सकता, वह अगर अमरीका पर अथवा युरोप पर गिरा, तो क्या करोगे ? क्या अमरीका ने उसका सामना करने की तैयारी की है, ऐसे सवाल अंतरिक्ष संस्था के प्रमुख दिमित्री रोगोझिन ने किए हैं।

५०० टन वजन का आईएसएस भारत अथवा चीन पर गिरने की संभावना है। इस संभावना पर गौर फरमाकर, रशिया के साथ सहयोग करनेवाले भारत और चीन को क्या अमरीका धमका रही है? ऐसा सवाल रोगोझिन ने किया है।

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