अमरीका-यूरोपिय देशों के ताल्लुकात मित्रता से भरें नहीं रहे – रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की आलोचना

मास्को – ‘यूरोपिय महासंघ के प्रमुख भागीदार देश बनी अमरीका यूरोपिय देशों के उद्योग क्षेत्र खत्म करने की नीति चला रही हैं। यूरोपिय देशों ने इसपर अपने अमरिकी मालिक से शिकायत भी की हैं। नाराज़ यूरोपिय देशों ने अमरीका यह बर्ताव क्यों कर रही हैं, ऐसें सवाल करना शुरू किया हैं। लेकिन, अमरीका के पैर साफ कर रहें यूरोपिय देशों को और कैसे बर्ताव की उम्मीद हैं’, यह सवाल करके रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपिय देशों की आलोचना की।

राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिनबायडेन प्रशासन ने अगस्त महीने में ‘इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट’ पारित किया है और ऊर्जा एवं पर्यावरण के लिए ३६९ अरब डॉलर्स का प्रावधान किया हैं। ‘इन्फ्लेशन रिडक्शन ऐक्ट’ के ज़रिये अमरीका इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ कुछ अन्य क्षेत्र की कंपनियों को भारी मात्रा में अनुदान प्रदान करेगी। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियमों के खिलाफ हैं और अमरीका की ‘ग्रीन इकॉनॉमी’ को अनुचित ढ़ंग से दिया समर्थन होने का दावा यूरोप कर रहा हैं। इस वजह से रशिया-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को समर्थन प्रदान करके अपनी एकजूट दिखा रहें पश्चिमी गुट में सब कुछ ठिक ना होने की बात स्पष्ट हो रही हैं।

राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिनपिछले महीने यूरोपिय महासंघ की हुई बैठक के दौरान महासंघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने क्या अमरीका यूरोप की सहयोगी रहीं भी है या नहीं, इन कड़वे शब्दों में अपनी नाराज़गी बयान की थी। इसके बाद अमरीका के दौरे पर पहुँचे फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने भी अमरीका की नीति को लेकर बायडेन प्रशासन के कान खिंचे थे। ‘मौसम के बदलाव को रोकने के लिए अमरीका के बायडेन प्रशासन ने कुछ विकल्प चुने हैं। यह विकल्प पश्चिमी गुट के टुकड़े करने वाले हैं’, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने आगाह किया था। यूरोप की यह नाराज़गी अब अधिक तीव्र होने के साथ सामने भी आ रही है, यही वर्णित अधिकारी ने अमरीका के खिलाफ किए बयान से स्पष्ट हो रहा है।

यही मुद्दा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने भी उठाया हैं और यूरोपिय देशों की नीति पर नाराज़गी व्यक्त की हैं। अमरीका के दबाव में आकर यूरोपिय दशों ने रशिया पर प्रतिबंध लगाए और इससे सबसे ज्यादा नुकसान यूरोपिय देशों को ही पहुँच रहा हैं, इसका अहसास भी पुतिन ने इस अवसर पर कराया। यूरोपिय देशों में उछल रहीं महंगाई रशिया पर लगाए प्रतिबंधों का नतीज़ा हैं, इस मुद्दे पर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया।

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