चीन की सीमा पर अनजान रहते नहीं चलेगा डोकलाम जैसी घटनाएँ बढ़ने की आशंका- लष्कर प्रमुख बिपिन रावत का इशारा

पुणे: चीन की सीमा पर आनेवाले दिनों में अनजान रहते नहीं चलेगा, भविष्य में डोकलाम जैसी घटनाएं चीन से लगकर सीमा भाग में बढ़ने की आशंका है। इसी वजह से सीमा पर तैनात जवानों को ऐसी परिस्थिति में हमेशा तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं, यह लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है। चीन का विवाद डोकलाम में ‘जैसे थे’ परिस्थिति को बदलने के प्रयास से उठने की बात जनरल बिपिन रावत ने कही है।

चीन अपनी सीमा भाग में जल्दबाजी से मूलभूत सुविधाओं का विकास कर रहा है। जिससे युद्ध-काल में सेना के लिए जल्द गति से आवक-जावक करने की चीन की क्षमता बढ़ी है। अपनी लष्करी एवं आर्थिक ताकत दिखा कर चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। अंतराल एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित युद्ध तंत्र की वजह से चीन का सामर्थ्य बढ़ा है। इसलिए भारत को भी सुसज्ज रहना अनिवार्य है, यह लष्कर प्रमुख ने कहा है। सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ में संरक्षण एवं सामरिक शास्त्र विभाग से ‘वर्तमान भू-सामरिक स्थिति और भारत के सामने खड़ी चुनौतियाँ’ इस विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया था, उस समय जनरल विपिन रावत ने चीन के संदर्भ में इशारा दिया है।

हाल ही के विवाद में भी चीन जिम्मेदार ठहराकर लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने विवाद का मुद्दा स्पष्ट किया है। चीन ने डोकलाम में पूर्व परिस्थिति बदलने का प्रयत्न किया। डोकलाम में दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे के सामने खड़े रहने पर कुछ दिनों में लश्कर में ‘फ्लाइंग मीटिंग’ हुई थी। उस समय भारत के लश्कर से १६ जून के पूर्व स्थिति में दोनों देशों की सेना लौटाने का प्रस्ताव रखा गया था, पर चीन इस से तैयार नहीं था। इसलिए भारत फिलहाल चीन को राजनैतिक मार्ग से उत्तर दे रहा है, ऐसा जनरल रावत ने कहा। दोनों देशो में कई सीमा क्षेत्र पर विवाद है। इसकी वजह से घुसपैठ की घटना होती रहती है। पर इस घटनाओं को रोकने के लिए संयुक्त यंत्रणा स्थापित करने की आवश्यकता है, ऐसा रावत ने स्पष्ट किया है।

व्याख्यान के बाद पत्रकारों से बातचीत करते लष्कर प्रमुख ने आने वाले समय में चीन सीमा पर डोकलाम जैसी घटनाएं बढ़ने की आशंका व्यक्त की है। डोकलाम का विवाद मिटने पर भी आत्मसंतुष्ट रहकर नहीं चलेगा। ऐसी परिस्थिति में यह विवाद फिर से ना उभरे, यह विचार हम नहीं कर रहे। पर डोकलाम में नहीं पर दूसरे जगहों पर यह घटना हो सकती है यह आशंका है, इसीलिए ऐसी परिस्थिति का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना होगा। ‘इस परिस्थिति को नजरअंदाज नहीं कर सकते, ऐसी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें, यह सैनिकों को मेरा संदेश है’ ऐसा लष्कर प्रमुख जनरल रावत ने कहा है।

भारत और चीन के लश्कर में होने वाले वार्षिक युद्ध अभ्यास पर इस साल डोकलाम के विवाद की छाया है। अनेक वर्षों से चीन के साथ हम युद्धाभ्यास कर रहे हैं, पर इस साल चीन से युद्धाभ्यास में शामिल होने के कोई संकेत नहीं मिले है, ऐसे कहते बिपिन रावत ने दोनों देशों में बढ़ रहे तनाव की व्याप्ति को समझाया है। उसी वक्त जनरल रावत ने पाकिस्तान पर भी कड़ी टीका की। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की आड़ छुपकर पाकिस्तान युद्ध कर रहा है। इसीलिए पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के संबंधों से भारत के सुरक्षा को लेकर बड़ी चुनौतियाँ सामने है, ऐसा रावत ने कहा है।

दौरान, जनरल बिपिन रावत ने डोकलाम जैसी घटनाऍ बढ़ने की आशंका को चिंताजनक होने की बात विशेषज्ञों ने कही है। कुछ संरक्षण विशेषज्ञ एवं विश्लेषक चीन से और तकलीफ होगी यह इशारा दे रहे हैं। दूसरे महायुद्ध के बाद जिनकी सीमारेषा लगातार बढ़ती रही ऐसा चीन यह दुनिया का एकमात्र देश है। चीन अपने पड़ोसी देशों की भूमि पर एवं सागरी क्षेत्र पर अतिक्रमण करते उस पर अपना दावा जता रहा है। चीन के इस नीति को ‘सलामी स्लायसिंग’ की तौर पर जाना जाता है। इस नीति अनुसार १९४९ में चीन ने तिबेट पर कब्जा किया था। भारत में लद्दाख में कई भागों पर चीन ने ऐसा ही कब्ज़ा किया है। साउथ एवं ईस्ट चाइना सी क्षेत्र में लगभग सभी देशो से चीन का सीमा विवाद है, इन बातों पर विशेषज्ञों ने ध्यान केंद्रित किया है। ऐसे में डोकलाम का यह विवाद चीन की सलामी स्लायसिंग’ नीति का उत्कृष्ट उदाहरण होने की बात विशेषज्ञ कर रहे हैं।

 डोकलाम में पूर्व स्थिति के भारत के प्रस्ताव पर अमरीका का समर्थन
वॉशिंगटन: भारत-चीन के डोकलाम विवाद में समझौते से शांतता पूर्ण हल निकलेगा, यह विश्वास करते अमरीका ने डोकलाम में पूर्व स्थिति पर दोनों देशों की सेना पीछे लौटाने के भारत ने रखे प्रस्ताव को समर्थन दिया है।

आशिया के दो बलवान देशों में निर्माण हुए यह विवाद चिंताजनक है। डोकलाम की परिस्थिति पर हम बारीकी से ध्यान दे रहे हैं। भूतान के सार्वभौमत्व के बारे में हमें चिंता है, यह अमरीका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है। यह विवाद भारत एवं चीन का द्विपक्षीय मुद्दा है। फिर भी अमरीका की सहायता महसूस होने पर अमरीका यह विवाद सुलझाने के लिए तैयार होने की बात अधिकारी ने कही है।

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