पाकिस्तान के विरोध में पीओके में जोरदार प्रदर्शन

मुज़फ़्फ़राबाद: २२ अक्टूबर १९४७ को पाकिस्तानी लष्कर ने जम्मू कश्मीर में हमला किया था। इस काले दिवस को ७० वर्ष पूर्ण होने की पृष्ठभूमि पर, रविवार को पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर में नागरिकों ने पाकिस्तान के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया है। पीओके के मुज़फ़्फ़राबाद, रावलकोट, कोटली, गिलगिट और हजीराह के साथ अन्य शहरों में यह प्रदर्शन हुआ। पाकिस्तानी लष्कर ‘पीओके’ से बाहर जाएं, ऐसी आक्रामक घोषणा उस समय की गई है।

पीओकेपाकिस्तान व्याप्त कश्मीर में रविवार को हुए प्रदर्शन को ऐतिहासिक महत्व प्राप्त हुआ है। लगभग सभी शहरों में पाकिस्तान सरकार एवं लष्कर के विरोध में नागरिक रास्ते पर उतरे थे। रावलकोट के पास बानबहेक में बहुत बड़ा मोर्चा निकला था। कोटली और हजीराह में भी बड़े सभा का आयोजन किया गया था। यह प्रश्न पाकिस्तान ने निर्माण किया है और ७० वर्ष पूर्व, पूरे जम्मू कश्मीर राज्य को निगलने के लिए पाकिस्तान ने आक्रमण किया था, यह इतिहास दोहराते हुए प्रदर्शनकर्ताओं ने इस समय पाकिस्तान के विरोध में जोरदार घोषणा बाजी की है।

‘जम्मू-कश्मीर लिबरेशन लीग’ के अध्यक्ष डॉक्टर मिसफ़ुर हसन ने पाकिस्तान के अतिक्रमण की वजह से जम्मू कश्मीर मे एक तृतीयांश नागरिक विदेशी नियंत्रण में रहने की बात कही जा रही है। पाकिस्तान का ‘आजाद’ कश्मीर का दावा झूठा होकर यहां के मूल कश्मीरी नागरिकों पर दबाव बढ़ रहा है। यहां नागरिकों को निर्णय का अधिकार पाकिस्तान नहीं मान रहा और मातृभूमि के सार्वभौमत्व पर पाकिस्तान अतिक्रमण कर रहा है, ऐसा आरोप डॉक्टर हसन ने किया है। बंदूक की नोक पर सामान्य कश्मीरी नागरिकों पर पाकिस्तानी लष्कर अत्याचार कर रहे हैं, ऐसा ‘जम्मू कश्मीर नेशनल इंडिपेंडेंट अलायंस’ के अध्यक्ष सरदार महमूद कश्मीरी ने कहा है।

पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी है। पर असली शासन इस्लामाबाद से चलाते हैं, ऐसा कहकर ‘यूनाइटेड पीपल्स नेशनल पार्टी’ के अध्यक्ष सरदार शौकत अली कश्मीरी ने इस काले दिवस के निमित्त से ‘पीओके’ की परिस्थिति दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है।

पिछले कई वर्षों से ‘पीओके’ में के प्रदर्शनों में बढ़त हुई है और पाकिस्तान के लिए यह सिरदर्द हो रहा है। इसकी वजह से पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया के सामने आ रहा है और यह आंदोलन एवं प्रदर्शन दबाने के लिए पाकिस्तानी लष्कर को भी कठिनाई हो रही है। पाकिस्तान ने दो साल पहले यहां चुनाव किए थे, पर इन चुनाव का दिखावा हुआ था। यहां के नागरिकों को चुनाव में लड़ने का अधिकार नहीं था। मतदान में भी बहुत गड़बड़ की गई थी। उसके विरोध में आवाज उठाने वालों की हत्या की गई थी, ऐसा आरोप नागरिकों ने किया था। उसके बाद ऐसे प्रदर्शनों की व्याप्ति बढ़ने की बात ध्यान में आ रही है।

‘पीओके’ से जाने वाले ‘चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) को वहां के नागरिकों का विरोध है। यहां की साधन संपत्ती चीन एवं पाकिस्तान से छीनने के आरोप स्पष्ट तौर पर किया जा रहा है। पिछले कुछ समय में पीओके के प्रधानमंत्री राजॉय फारूक हैदर खान ने पीओके के नागरिक भारत में शामिल होने की इच्छा व्यक्त कर रहे थे। उसके बाद पाकिस्तान में खलबली फैली थी। पिछले महीने में पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर में ‘मुजादाला’ इस प्रसिद्ध उर्दू दैनिक पर बंदी लाई गई। इस वृत्तपत्र ने किये सर्वेक्षण में ‘पीओके’ में लगभग ७० फीसदी नागरिक भारत में शामिल होने के लिए इच्छुक होने की बात सामने आ रही है। सर्वेक्षण प्रसिद्ध होने के बाद इस वृत्तपत्र पर कारवाई की गई थी।

 पाकिस्तान में चीनी राजदूत को जान का ख़तरा

इस्लामाबाद: चीन ने पाकिस्तान में नियुक्त किए नए राजदूत याओ जिंग पर आतंकी हमले होने का डर होकर, उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करें, ऐसी मांग पाकिस्तान के वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने की है। राजदूत के साथ पाकिस्तान में काम करने वाले अन्य चीनी नागरिकों को भी अतिरिक्त सुरक्षा देने की मांग इस पत्र द्वारा की गई है।

चीन पाकिस्तान में निर्माण कर रहे ‘चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) के विरोध में पाकिस्तान में तीव्र असंतोष होकर इस से पूर्व कुछ चीनी कर्मचारियों को लक्ष्य किया गया है। इसके पीछे आतंकी संगठन का हाथ धोकर सीपीईसी को पूर्ण सुरक्षा देने में पाकिस्तान असफल होने की बात सिद्ध हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर सीपीईसी की जिम्मेदारी होने वाले पिंग यिंग फी ने राजदूत को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के बारे में की यह मांग ध्यान केंद्रित कर रही है।

 

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