भारत के तीसरे विमानवाहक युद्धपोत का काम शुरू – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली – भारत जब आज़ाद हुआ तब देश में सूई भी नहीं बनाई जाती थी। लेकिन, ७५ साल बाद भारत स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत का निर्माण कर रहा है। ऐसी क्षमता पाने वाला भारत विश्व का सातवां देश है। ‘आईएनएस विक्रांत’ के भारतीय नौसेना में समावेश के बाद भारत ने और एक विमानवाहक युद्धपोत का निर्माण शुरू किया है, ऐसा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने घोषित किया। इसी बीच नौसेनाप्रमुख आर.हरि कुमार ने पांच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के ध्येय के लिए नौसेना काफी बड़ा योगदान करने के लिए तैयार है, यह ऐलान किया।

विमानवाहक युद्धपोतएक नीजि समाचार चैनल द्वारा आयोजित समारोह में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और नौसेनाप्रमुख आर.हरि कुमार बोल रहे थे। कुछ महीने पहले नौसेना का हिस्सा बनी विमान वाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का दाखिला देते हुए रक्षा मंत्री ने इस मोर्चे पर देश की सफलता से संतोष व्यक्त किया। कुछ साल बाद भारत स्वदेशी निर्माण के विमान वाहक युद्धपोत विकसित करेगा, यह विचार भी नहीं किया गया होगा। लेकिन, आज अमरीका, रशिया, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी और चीन के बाद विमान वाहक युद्धपोत बनाने की क्षमता वाला भारत विश्व का सातवां देश है, ऐसा राजनाथ सिंह ने कहा।

आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत के बाद देश ने तीसरे विमानवाहक युद्धपोत का काम शुरू किया है, ऐसी अहम घोषणा रक्षामंत्री ने इस दौरान की। लेकिन, इसकी अधिक जानकारी उन्होंने साझा नहीं की। कुछ दिन पहले देश को तीसरे विमानवाहक युद्धपोत की आवश्यकता है, ऐसा बयान नौसेनाप्रमुख ने किया था। लेकिन, यह युद्धपोत आईएनएस विक्रांत की तरह ४५ हज़ार टन भार की होगी या ६५ हज़ार टन की विशाल युद्धपोत होगी, इस पर अभी भी निर्णय नहीं हुआ है, ऐसा नौसेनाप्रमुख ने स्पष्ट किया था। लेकिन, ४५ हज़ार टन विमान वाहक युद्धपोत पर नौसेना और रक्षा मंत्रालय की सहमति होने के दावे प्रसिद्ध हुए हैं। ‘विक्रांत’ का निर्माण करने वाले विशाखापट्टनम्‌‍ शिपयार्ड ने भी ४५ हज़ार टन भार के युद्धपोत का निर्माण पांच से छह सालों में पूर्ण होगा, ऐसा कहा था।

इसी बीच, रक्षाबलों ने स्वदेशी निर्माण के हथियार और रक्षा सामान का इस्तेमाल शुरू किया तो भारत थोड़े ही समय में पांच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनेगा, ऐसा हमें प्रधानमंत्री ने कहा था, यह जानकारी नौसेनाप्रमुख एडमिरल आर.हरि.कुमार ने दी। भारतीय नौसेना देश को पांच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था का उद्देश्य पूरा करने के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेगी, यह नौसेनाप्रमुख ने स्पष्ट किया। साथ ही मौर्य, गुप्त और चोल साम्राज्यों के दौर में देश का विकास समुद्री मार्ग से कारोबार और नौसैनिक ताकतों की वजह से हुआ था, इसकी याद नौसेनाप्रमुख ने इस दौरान करायी।

भारत पांच ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था बनेगा, इसका मतलब समुद्री क्षेत्र में सामान की भीषण यातायात कम दाम में करना मुमकीन होगा और इस व्यापारी यातायात की सुरक्षा के लिए नौसेना काफी बड़ा योगदान देगी, यह भी एडमिरल आर.हरि कुमार ने स्पष्ट किया। इसमें रक्षामंत्री और नौसेनाप्रमुख के बयानों की पृष्ठभूमि है। जासूसी करने वाले के जहाज़ भारतीय समुद्री सीमा के करीब मंड़रा रहे हैं। भारतीय मिसाइल परीक्षणों की जानकारी हासिल करने के लिए चीन ने इन जहाज़ों को भेजा है, यह दावा भी किया जा रहा है। इस पर नौसेना की कडी नज़र है, यह इशारा नौसेनाप्रमुख ने हाल ही में दिया था। इसके बाद रक्षा मंत्री ने देश के तीसरे विमान वाहक युद्धपोत का काम शुरू होने का ऐलान करके चीन को चेतावनी दे रहे हैं। इससे पहले रक्षामंत्री ने भारत यानी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में पूरी सुरक्षा प्रदान करने वाला देश होने का ऐलान किया था।

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