दोहरे उपयोग की तकनीक के विकास पर वैज्ञानिक ध्यान केंद्रीत करें – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का आवाहन

नई दिल्ली – प्रगत नवीनतम रक्षा सामान के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रीत करने की ज़रूरत है। भारत में रक्षा सामान के निर्माण के लिए गति प्रदान करने की मंशा से सरकार की नीति का लाभ उद्योग क्षेत्र उठाए। साथ ही लष्करी और नागरी दोनों प्रणालियों के लिए उपयुक्त साबित होनेवाली दोहरे उपयोग की तकनीक के विकास पर वैज्ञानिकों को ध्यान देना चाहिये, यह आवाहन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ‘डीआरडीओ’ के वैज्ञानिकों के साथ रक्षा क्षेत्र के उद्यमियों से किया।

 दोहरे उपयोग की तकनीक‘डीआरडीओ’ द्वारा आयोजित किए हुए ‘डेअर टू ड्रीम २.०’ नामक स्पर्धा के विजेताओं को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। इस दौरान रक्षा क्षेत्र की बढ़ती चुनौतियाँ, भविष्य की ज़रूरतों को पहचानकर रक्षा क्षेत्र के उद्योगों को तैयार रहना पड़ेगा, यह बात रक्षामंत्री ने इस दौरान रेखांकित की।

रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी तकनीक और प्रणाली के विकास के लिए स्टार्टअप्स, संस्था और युवा वैज्ञानिकों को बढ़ावा देने के लिए ‘डीआरडीओ’ ने वर्ष २०१९ में पहली बार ‘डेअर टू ड्रीम’ स्पर्धा का आयोजन किया था। इसके बाद फिर से इस स्पर्धा का आयोजन किया गया। इस बार २२ वैज्ञानिकों के साथ २९ स्टार्टअप्स समेत कुल ४० विजेताओं को पुरस्कार दिए गए। इस दौरान देश में नवीनता से भरे अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘डेअर टू ड्रीम ३.०’ का ऐलान भी रक्षामंत्री ने किया।

दोहरे उपयोग की तकनीकइस दौरान बोलते समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विश्‍वभर में जारी प्रचंड़ गतिविधियाँ और सुरक्षा की बढ़ रही चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया। विश्‍व का कोई भी देश रणनीतिक, लष्करी, व्यापारी और आर्थिक स्तर पर हो रहे बदलाव से दूर नहीं रह सकता। विश्‍वभर में रक्षा विषयक चुनौतियों में बढ़ोतरी हुई है। सीमा विवाद, समुद्री क्षेत्र की गतिविधियों की वजह से लष्करी उपकरणों की माँग बढ़ रही है और रक्षा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को देश में रक्षा उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने की आवश्‍यकता है, यह बयान भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया।

रक्षा सामान के उत्पादन की गति बढ़ाने के साथ-साथ तय समय में प्रकल्प का काम पूरा करने पर ध्यान देना होगा, ऐसा भी रक्षामंत्री ने कहा। सिर्फ स्थानीय सुरक्षा की ज़रूरतों को हमें पूरा नहीं करना है, बल्कि रक्षा सामान और तकनीक की निर्यात भी अन्य देशों को करनी है, इस ओर भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ध्यान आकर्षित किया।

‘डीआरडीओ’ ने विकसित की हुई तकनीक का हस्तांतरण करने की नीति भारतीय उद्योगों के लिए मधुर फल साबित होगी। साथ ही अगले दिनों में भारतीय उद्योग भी स्वयं अनुसंधान और विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रीत करेंगे, यह विश्‍वास रक्षामंत्री ने व्यक्त किया। खास तौर पर दोहरे कारणों से इस्तेमाल करना संभव हो, ऐसी तकनीक का विकास करने पर वैज्ञानिक और उद्योग क्षेत्र ध्यान केंद्रीत करें। लष्करी और नागरी दोनों के लिए इस्तेमाल होनेवाली तकनीक की ओर रक्षामंत्री का रुख था। नैनो, क्वांटम कम्प्युटिंग, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स (एआय), रोबोटिक तकनीक जैसी प्रगत तकनीक पर विशेष ध्यान दें, यह बात राजनाथ सिंग ने स्पष्ट रूप से कही।

Leave a Reply

Your email address will not be published.