भारत-आसियान का रक्षा सहयोग बढ़ाने के ‘प्लैन ऑफ ऐक्शन’ को मंजूरी

हनोई/नई दिल्ली – समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और सायबर सुरक्षा के क्षेत्रों की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए रक्षा सहयोग मज़बूत करने के लिए भारत और आसियान ने ‘प्लैन ऑफ ऐक्शन’ पारित किया है। साउथ चायना सी में जारी चीन की गतिविधियों के कारण चीन और आसियान देशों में तनाव बढ़ रहा है और ऐसे में भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के आसियान ने संकेत देना ध्यान आकर्षित करता है। कुछ दिन पहले ही आसियान के राजदूतों ने भारत के विदेश सचिव से भेंट करके अलग-अलग उपक्रमों को गति देने के मुद्दे पर चर्चा की थी।

ASEAN-Indiaशनिवार के दिन आसियान-इंडिया मिनिस्टेरियल वर्च्युअल मिटींग का आयोजन हुआ। इस बैठक में भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर के साथ आसियान के १० सदस्य देशों के विदेशमंत्री मौजूद थे। इस बैठक में हुई चर्चा के बाद वर्ष २०२१ से २५ के ‘प्लैन ऑफ ऐक्शन’ को मंजूरी दी गई। इस दौरान भारत और आसियान के बीच अलग-अलग क्षेत्र के मौजूदा रणनीतिक साझेदारी का जाएज़ा किया गया।

नए ‘प्लैन ऑफ ऐक्शन’ के अनुसार आसियान देशों के अलग अलग उपक्रमों में भारत को अहम भूमिका सौपने के संकेत दिए गए। समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और सायबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। इस ‘प्लैन ऑफ ऐक्शन’ के तहत समुद्री यातायात की आज़ादी, किसी भी अड़ंगे के बगैर ब्योपार, ताकत का इस्तेमाल ना करना और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार विवाद का हल निकालने के मुद्दों का भी ज़िक्र किया गया है। आसियान ने भारत के साथ तय ‘प्लैन ऑफ ऐक्शन’ में इन बातों का समावेश करना यानी चीन को फटकार लगाने की कोशिश होने की बात समझी जा रही है।

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनी वर्चस्ववादी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। साउथ चायना सी क्षेत्र में वियतनाम और फिलिपाईन्स जैसे आसियान देशों की सीमाओं में जारी गतिविधियां और भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश भी उसी महत्वाकांक्षा का हिस्सा होने की बात समझी जाती है। चीन की इस आक्रामकता पर प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका और भारत समेत अन्य प्रमुख देश तेज़ी से कदम उठा रहे हैं। आग्नेय एशियाई देशों ने भी चीन के खिलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू किया है और भारत समेत अन्य प्रमुख देशों के साथ सहयोग बढ़ाना भी इसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है।

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