सीमा विवाद के मुद्दे पर भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों की चर्चा

नई दिल्ली – भारत और चीन की सेना के बीच मंगलवार से नए से चर्चा शुरू हो रही है। इस चर्चा से पहले चीन ने गलवान वैली एवं ‘पॅन्गॉन्ग त्सो’ से सेना हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन, इस बार हो रही चर्चा के दौरान चीन दावे कर रहें क्षेत्र के नक्शों की माँग भारत करेगा, ऐसीं ख़बरें प्रकाशित हो रही हैं। अब तक इस चर्चा में चीन ने यह बात बड़ी होशियारी के साथ टाल दी थी। लेकिन, भारतीय सेना इस बार हो रही चर्चा के दौरान इसी मुद्दे पर आग्रही रहेगी, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

सीमा विवाद

गलवान वैली में हुए संघर्ष के दौरान कर्नल संतोष बाबू के साथ बीस सैनिक शहीद होने के बाद, पूरे भारत में चीन के विरोध में गुस्से की तीव्र लहर उठी थी। भारत से दगाबाज़ी करके हमला करनेवाले चीन पर कड़ी कार्रवाई करने की माँग भारतीय जनता कर रही है। भारत में इससे पहले भी चीन के विरोध में आवाज़ें उठीं थीं। लेकिन, कुछ दिन बाद ये आवाज़ें शांत हुईं थीं। चिनी सामान भारतीय बाज़ार में पहुँचता ही रहा, इस बार भी ऐसा ही होगा, इस भ्रम में चीन रह रहा था। लेकिन, लष्करी, आर्थिक एवं सामाजिक ऐसें तीनों स्तरों पर भारत के प्रतिसाद को मानकर चलने की बड़ी गलती हमनें की है, इसका एहसास चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को हुआ है। इसी वज़ह से चीन ने फिलहाल सीमा विवाद को लेकर नरमाई की नीति अपनाई है।

पहले के दौर में भारतीय ग्राहकों को चिनी सामान के लिए विकल्प ना होने की बात कहनेवाले चीन के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने अब सहयोग करने की भाषा का प्रयोग करना शुरू किया है। चिनी सेना की ताकत भारत से कई गुना अधिक होने का दावा करनेवाला ग्लोबल टाईम्स अब, ‘संघर्ष से किसी का भी लाभ नहीं होगा’, यह कहने लगा है। चीन का विदेश मंत्रालय और राजनीतिक अधिकारी मित्रता के संबंधों की मिसालें देकर, बातचीत के ज़रिये सीमा विवाद का हल निकालने का आवाहन कर रहा है। चीन की भूमिका में हुआ यह बदलाव लष्करी, आर्थिक और रणनीतिक स्तर पर भारत ने किए आक्रामक निर्णयों की वज़ह से ही हुआ है। विश्‍वभर के प्रमुख देश मिलकर चीन के विरोध में कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। अमरीका ने अपने मित्रदेशों के साथ चीन पर लष्करी दबाव बढ़ाया है। साथ ही, अमरीका ने चीन की आर्थिक और राजनीतिक घेराबंदी करना शुरू किया है।

इस वजह से चीन काफ़ी परेशान हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत के साथ सीमा विवाद में आक्रामक भूमिका अपनाना, चीन के लिए बर्दाश्‍त नहीं होगा। इसी के लिए चीन फिलहाल बातचीत से सीमा विवाद का हल निकालने की भाषा कर रहा है। लेकिन, स्थिति में बदलाव होने के बाद चीन दोबारा भारत की ज़मीन पर कब्जा करने की कोशिश किए बिना नहीं रहेगा, इसका एहसास भारत को हुआ है। इसी वजह से सीमा विवाद को लेकर चीन की अंतिम भूमिका क्या होगी, यह स्पष्ट करने की माँग करना भारत ने शुरू किया है। चीन अरुणाचल प्रदेश से लद्दाख तक के भारतीय क्षेत्र पर अपना अधिकार जता रहा है। लेकिन, अब इन दावों पर कायम रहना चीन के लिए कठिन होगा। भारत को अंधेरे में रखकर ज़मीन पर कब्ज़ा करते रहने की नीति इसके आगे काम नहीं करेगी और भारत अपने लष्करी दबाव की परवाह भी नहीं करेगा, इस बात का एहसास होने से चीन फिलहाल तो भारत में उपलब्ध अपना बाज़ार बचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। इसी कारण भारत की माँग पर कम से कम फिलहाल तो चीन किसी भी तरह की ठोस भूमिका अपनाने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।

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