लद्दाख की सीमा पर भारत चीन से भी अधिक शक्तिशाली – अमरिकी एवं चिनी लष्करी अभ्यासकों का निष्कर्ष

बीजिंग/वॉशिंग्टन – लद्दाख की सीमा से चीन ने अपनी सेना पीछे लेने की गतिविधियाँ शुरू करने की ख़बरें प्राप्त हो रही हैं कि तभी भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों के बीच दूसरें चरण की चर्चा शुरू हुई है। इस चर्चा के दौरान चीन ने आक्रामक रवैया दिखाने के दावे हो रहे हैं। लेकिन, उसी समय चीन के एक लष्करी अभ्यासक ने, पहाड़ी इलाके की युद्धनीति में भारतीय सेना विश्‍व में सबसे बेहतर होने की गवाही दी है। वहीं, अमरीका के दो अभ्यासकों ने, आज के दौर का भारत चीन को परास्त करने की लष्करी क्षमता रखता हैं, यह निष्कर्ष दर्ज़ किया है। इस कारण चीन ने कितना भी दबाव बनाया, तो भी इसका भारत पर विशेष असर नहीं होगा, यह बात अमरिकी और चीन विश्‍लेषक स्पष्ट कर रहे हैं।

Ladakh india china borderचीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्त हुआ चुनियांग ने, भारत के साथ बने सीमाविवाद पर जारी चर्चा सकारात्मक माहौल में होने का बयान किया हैं। साथ ही, इस चर्चा में ‘सकारात्मक सहूलियतें’ प्रदान की जा रही हैं, ऐसा भी चुनियांग ने कहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी, दोनों देश इस विवाद को बढ़ाने में रुचि नही रखते हैं, यह कहकर, बातचीत के ज़रिये इस समस्या का हल निकालने के लिए दोनों देश कटिबद्ध होने की बात कही है। लेकिन, दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों के बीच हो रही दूसरें चरण की चर्चा के दौरान, चीन ने आक्रामक रवैया अपनाने का दावा किया जा रहा है। इस वज़ह से भारत के साथ बना सीमा विवाद और बिगड़ने ना देते हुए और साथ ही भारत पर दबाव बना रहें, इस प्रकार चीन की साज़िश होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन, भारत पर लष्करी दबाव बढ़ाने से चीन की कोशिश सफल नहीं हो सकेगी, ऐसी चेतावनी लष्करी अभ्यासक एवं सामरिक विश्‍लेषक स्पष्ट शब्दों में दे रहे हैं।

अचंबित करने की बात यह है की एक चिनी लष्करी विश्‍लेषक ने ऐसीं सराहना की है कि आज के दौर में, पहाड़ी इलाके की युद्धनीति में भारत विश्‍व में सबसे अव्वल नंबर पर है। इस प्रकार चिनी विश्‍लेषक ने भारतीय सेना की कुशलता की प्रशंसा करने का यह शायद पहला ही अवसर होगा, ऐसा माध्यमों का कहना है। इस चिनी अभ्यासक का नाम हुआंग गोअझी है और उन्होंने एक चिनी पत्रिका के लिए लिखे लेख में भारतीय सेना की कुशलता की सराहना की है। आज के दौर में पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र की युद्धनीति में अमरीका, रशिया या युरोपिय देश की सेना सबसे बेहतर नहीं हैं। बल्कि यह सम्मान भारतीय सेना को जाता हैं ऐसा इस लेख में कहा गया है।

भारतीय सेना ने चीन की चुनौती को ध्यान में रखकर ‘माउंटन ब्रिगेड’ स्थापित की है। पर्वतीय क्षेत्र की युद्धनीति की कुशलता और तजुर्बा भारतीय सेना की यह ब्रिगेड रखती हैं। साथ ही, सियाचीन के क्षेत्र में भारतीय सेना के करीबन छः से सात हज़ार सैनिक तैनात होते हैं, इसपर भी गोअझी ने ग़ौर फ़रमाया। भारतीय सेना के हाथ में प्रगत हथियार और रक्षा सामान भी हैं। लेकिन, भारत हथियार और रक्षा सामान को लेकर अभी आत्मनिर्भर नहीं है, इस कमी पर भी गोअझी ने उंगली रखीं है।

अमरीका के हॉर्वर्ड स्कूल के ‘वेल्फेअर सेंटर फॉर सायन्स ॲण्ड इंटरनैशनल अफेअर्स’ में प्रकाशित हुए रिसर्च पेपर में, चीन की तुलना में भारत की लष्करी क्षमता में बढ़ोतरी होने की बात दर्ज़ की गई है। लेकिन, इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है, यह दावा भी इस रिसर्च पेपर में किया गया है। डॉक्टर फ्रँकल ओ डॉनेल और डॉक्टर अलेक्झांडर ओलिसा इन दोनों अभ्यासकों ने, भारत और चीन की लष्करी क्षमता का तुलनात्मक अध्ययन करके यह निष्कर्ष दर्ज़ किया है। चीन की सीमा पर भारत लगभग सवा दो लाख सैनिकों की तैनाती कर सकता है; वहीं, चीन २.३० लाख सैनिकों की वहाँ पर तैनाती कर सकता हैं, ऐसें दावे हो रहे हैं। लेकिन, इन दावों में सच्चाई ना होने की बात ये अभ्यासक रख रहे हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में दोनों देशों की हवाई सेना की क्षमता में भी फ़र्क होने का दावा इस लेख में किया गया है। चीन के बेड़े में चौथी श्रेणी के १०१ लड़ाकू विमान मौजूद हैं। वहीं, भारत में इस वर्ग के १२२ लड़ाकू विमान तैनात हैं। साथ ही, भारतीय वैमानिक इस क्षेत्र का तजूर्बा अधिक रखते हैं और उनकी कुशलता भी अधिक होने का दावा इन दोनों अभ्यासकों ने इस रिसर्च पेपर में किया है।

भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी एवं सामरिक विश्‍लेषक भी, सन १९६२ के और आज के भारत में फ़र्क होने की बात पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। खास तौर पर भारतीय सेना को युद्ध और युद्ध के दौरान स्थिति संभालने का पर्याप्त तजुर्बा है। लेकिन, पिछले कई वर्षों में चीन की सेना ने एक भी युद्ध नही किया है, इस ओर भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। साथ ही, मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़नेवाले भारतीय सैनिकों का मनोबल काफी उच्च है। लेकिन, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना पर निष्ठा रखकर लड़नेवाले चिनी सैनिकों का मनोबल और आत्मविश्‍वास उसी दर्जे के नहीं हो सकते, यह दाखिला भी दिया जा रहा है। साथ ही, आंतर्राष्ट्रीय जनमत जनतांत्रिक भारत के पक्ष में हैं और इसका पूरा एहसास रखनेवाला चीन, भारत के साथ संघर्ष टालने की कोशिश करेगा। लेकिन, भारत ने अपने इस विश्‍वासघाती पड़ोसी देश को लेकर सावधानी बरतनी ही अच्छी होगी, यह बात पूर्व लष्करी अधिकारी और सामरिक विश्‍लेषक कह रहे हैं।

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