विश्‍व की कोई भी ताक़त भारत की एक इंच ज़मीन तक हड़प नहीं सकती – रक्षामंत्री राजनाथ सिंग

लद्दाख – चीन के साथ सीमा विवाद का हल निकालने के लिए चर्चा के दौर जारी हैं। इस चर्चा से इस मसले का हल निकलना चाहिए। लेकिन, इस चर्चा को किस हद तक सफलता प्राप्त होगी, इसकी गारंटी मैं नहीं दे सकता। लेकिन, विश्‍व की कोई भी ताक़त भारत की एक इंच ज़मीन तक हड़प नहीं कर सकती, यह भरोसा मैं आपको यक़ीनन ही दिला सकता हूँ, ऐसी घोषणा रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने अपने लद्दाख दौरे के दौरान की। इस समय, रक्षामंत्री ने सेना एवं तीनों रक्षाबलों के स्पेशल फोर्सेस और ‘इंडो तिब्बती बॉर्डर पुलिस’ (आयटीबीपी) से चर्चा की।

राजनाथ सिंग

गलवान वैली में हुए संघर्ष और इसके बाद लद्दाख में चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर, दो हफ़्ते पहले ३ जुलाई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंग लद्दाख का दौरा करनेवाले थे। लेकिन, उनके इस दौरे के समय में बदलाव किया गया था। इस पृष्ठभूमि पर रक्षामंत्री ने शुक्रवार के दिन लेह-लद्दाख का दौरा किया और इस दौरे में वे ‘लुकूंग पोस्ट’ और ‘स्टकना’ पहुँचे। स्टकना पहुँचकर उन्होंने भारतीय सेना एवं तीनों रक्षाबलों के स्पेशल फोर्सेस के युद्धाभ्यास का मुआयना किया। इसी बीच, उन्होंने ‘पैन्गॉन्ग त्सो’ के करीबी लुकूंग पोस्ट पर तैनात भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाया। देश की १३० करोड़ जनता अपने सैनिकों के पराक्रम पर गर्व महसूस करती है, ऐसा रक्षामंत्री ने इस दौरान कहा।

भारत ऐसा एकमात्र देश है, जिसने विश्‍व को हमेशा शांति का संदेश दिया। भारत ने कभी भी किसी भी देश पर हमला नहीं किया या किसी भी देश की ज़मीन नहीं हड़प की। भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌’ पर विश्‍वास करनेवाला देश है, यह बात भी रक्षामंत्री ने कही। ‘हमारा देश यह शांतिप्रिय देश है और भारत को किसी भी देश के साथ अस्थिरता नहीं, बल्कि शांति की उम्मीद है। दूसरे देश के स्वाभिमान को ठेंस पहुँचाना भारत का स्वभाव नहीं। लेकिन, यदि भारत के स्वाभिमान को ठेंस पहुँचाने की कोशिश हुई, तो उसे ज़रा भी बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। इसपर भारत ज़ोरदार प्रत्युत्तर देगा। सीमा पर तैनात अपने सैनिक, शत्रु की किसी भी हरकत को प्रत्युत्तर देने के लिए तैयार हैं’, यह भी रक्षामंत्री ने जताया।

इसके बाद रक्षामंत्री ने इस क्षेत्र में तैनात भारतीय सैनिकों से मुलाकात की। इस दौरान रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत और सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी उपस्थित थे। अपने इस दौरे में, रक्षामंत्री ने लष्करी अधिकारियों के साथ चर्चा करके लद्दाख की स्थिति का जायज़ा लिया। इसी बीच, मात्र दो हफ़्तों की अवधि में भारत के प्रधानमंत्री और अब रक्षामंत्री ने लद्दाख का दौरा करके चीन को संदेश दिया हैं, यह दावा किया जा रहा है।

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