शरणार्थियों को रोकने के लिए यूरोपिय देशों ने फिर से अपनाया ‘बॉर्डर कंट्रोल्स’ – पोलैण्ड, स्लोवाकिया और झेक रिपब्लिक की पहल

वार्सा/ब्रुसेल्स – यूरोपिय महासंघ में घुसपैठ कर रहे शरणार्थियों के अवैध झुंड़ लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में महासंघ के सदस्यों के बीच इस मुद्दे को लेकर बने मतभेद काफी तीव्र होने की बात हाल ही में सामने आयी थी। अब महासंघ के सदस्य देशों ने अंदरुनि नियम और दायरे को अनदेखा करके सरहदी क्षेत्र में फिर से प्रतिबंध लगाना शुरू किया है। स्लोवाकिया से बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने को वजह बताकर पोलैण्ड ने सीमा पर तैनाती बढ़ाई हैं और प्रवेश के लिए नए नियम जारी करने का बयान किया है। झेक रिपब्लिक ने भी ‘बॉर्ड कंट्रोल्स’ अपनाने का ऐलान किया है।

कुछ दिन पहले ही इटली के ‘लैम्पेड्युसा आयलैण्ड’ पर चार दिनों में कुल ११ हज़ार से भी अधिक शरणार्थी दाखिल हुए थे। इस भयंकर घुसपैठ की वजह से इटली के इस द्वीप पर आपातकाल का ऐलान करना पड़ा था। इटली की इस घटना के बाद महासंघ में नए समझौते लिए सहमति करने की गतिविधियां तेज़ हुई थी। लेकिन, बाद में इटली, जर्मनी, फ्रान्स, पोलैण्ड, ऑस्ट्रिया, हंगरी जैसे सदस्य देशों के बीच शरणार्थियों के मुद्दे पर बने तीव्र मतभेद सामने आए थे।

इन मतभेदों के कारण यूरोपिय महासंघ में शरणार्थियों से संबंधित समझौता अटका पड़ा है और हंगरी एवं पोलैण्ड ने नकाराधिकार इस्तेमाल करने की जानकारी सामने आ रही है। महासंघ के देशों ने अब अगले कदम के तौर पर ‘बॉर्डर कंट्रोल्स’ अपनाने की बात सामने आ रही है। यूरोपिय महासंघ में ‘शेन्गेन समझौते’ के अनुसार सदस्य देशों के नागरिकों को अन्य देशों में जाने के लिए कागजातों की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन, शरणार्थियों के झुंड़ों के कारण अब नए नियम लागू होने की जानकारी सूत्रों ने साझा की।

वर्ष २०२२ में यूरोपिय देशों में घुसपैठ करने वाले शरणार्थियों की संख्या १० लाख से अधिक हुई है। वहीं, जनवरी से जुलाई के दौरान यूरोप में छह लाख से भी अधिक शरणार्थी पहुंचेहैं। इससे सबसे अधिक नुकसान इटली को पहुंचा है। पिछले दशक में जर्मनी की पूर्व चान्सलर एंजेला मर्केल ने अपनाई ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ के कारण यूरोप में घुसपैठ कर रहे शरणार्थियों की संख्या काफी बढ़ी थी। वर्ष २०१५ में यूरोप में कुल १५ लाख शरणार्थियों ने घुसपैठ की थी।

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