जर्मनी के ‘डॉईश बैंक’ पर आया संकट युरोझोन के लिए ख़तरे का संकेत

बर्लिन, दि. २८ (वृत्तसंस्था) – जर्मनी का मुख्य बैंक माने जानेवाले ‘डॉईश बैंक’ पर अमरीका द्वारा लगाया गया जुर्माना और जर्मन सरकार ने आर्थिक सहायता को ना कहने की वजह से ‘डॉईश बैंक’ पर आयी आफ़त, युरोपीय बैकिंग क्षेत्र के साथ ही पूरे युरोझोन के लिए ख़तरे का संकेत साबित होते दिखायी दे रहा है| ‘डॉईश बैंक’ में हुई आर्थिक उथलपुथल की वजह से सोमवार को युरोप के ‘एफटीएसई १००’ शेअर मार्केट में बड़ी गिरावट आयी है, जिससे कि ३० अरब डॉलर्स का नुकसान हुआ होने का दावा किया जा रहा है| ‘डॉईश बैंक’ यदि नाक़ाम हुआ, तो जर्मनी के साथ फ्रान्स, इटली और स्पेन का बैंकिंग क्षेत्र भी गिर सकता है, ऐसा डर विश्‍लेषकों द्वारा जताया जा रहा है|

‘डॉईश बैंक’ दो महीने पहले जर्मनी के सबसे बड़े और मुख्य बैंक रहनेवाले ‘डॉईश बैंक’ ने, देश में स्थित अपनी लगभग १८८ शाखाएँ बंद करने का फैसला किया था| इसके साथ ही, तीन हजार कर्मचारियों को काम से निकाल देने के संकेत भी दिये थे| उससे पहले भी, खर्चे कम करने की नीति के तहत ‘डॉईश बैंक’ द्वारा १० देशों में स्थित अपने व्यवहार बंद कर दिये गये थे और यह बैंक ‘इन्व्हेस्टमेंट बैंकिंग’ से भी बाहर निकल चुका था| इन फैसलों के पीछे, बैंक को सन २०१५ में हुआ लगभग सात अरब युरो का नुकसान, यह मुख्य वजह मानी जाती है|

deutsch-bankपिछले कुछ महीनों में ‘डॉईश बैंक’ पर गिरी आपदा और भी गंभीर रूप धारण करते दिखाई दे रही है| बैंक का मूल्य १४ अरब डॉलर्स तक नीचे आ चुका है| शेयर बाजारों में शेयर्स का मूल्य ऐतिहासिक नीचांकी स्तर तक गिर चुका है| अगर बैंक ने, अमरिकी एजन्सी द्वारा सुनाये गये जुरमाने का भुगतान करने का फैसला किया, तो उसे बडी मात्रा में आर्थिक सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है| यह राशि बैंक द्वारा कैसे जुटायी जाती है, इसपर युरोपीय बैंकिंग क्षेत्र सहित दुनिया के तमाम निवेशकों की नज़र लगी है|

लेकिन जर्मनी की चैन्सेलर अँजेला मर्केल द्वारा, ‘डॉईश बैंक’ को ‘बेलआऊट’ देने की बात स्पष्ट रूप से खारिज़ की गयी है| जर्मनी के ‘फोकस’ मैगझिन ने सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का हवाले देकर यह जानकारी दी है| बैंक द्वारा भी इससे जुडे दावे खारिज़ किये गये होने से, युरोप में काफ़ी बेचैनी पैदा हुई है| इससे पहले मर्केल ने, युरोझोन का नेतृत्व करते समय, ग्रीस के साथ अन्य युरोपीय देशों के बैकिंग क्षेत्र को ‘बेलआऊट’ देने के खिलाफ़ भूमिका अपनायी थी|

अब यदि ‘डॉईश बैंक’ को ‘बेलआऊट’ देने का फ़ैसला किया गया, तो चैन्सेलर मर्केल पर युरोपीय देशों को रहनेवाला भरोसा ख़त्म हो सकता है| इससे पहले ही मर्केल, निर्वासितों के मसले पर आलोचना का लक्ष्य बनी हुईं होकर, नया विवाद उनको आलोचकों के लिए  एक नया मौक़ा साबित हो सकता है| जर्मनी में हाल ही में हुए चुनाव में मर्केल को ज़ोरदार झटका मिला है| इसके बाद स्थानीय जनमत के विरोध में जाना उनके लिए संभव नही है| ऐसी पृष्ठभूमि पर, ‘डॉईश बैंक’ पर आयी आपत्ति, यह मर्केल के लिए दोहरा संकट खड़ा करनेवाला मसला साबित हो सकती है|

जर्मनी युरोपीय अर्थव्यवस्था का प्रधान स्तंभ माना जाता है| युरोप के बैकिंग क्षेत्र में जर्मनी के बैंकिंग की पहचान ‘मज़बूत और आदर्श स्थिति’ के रूप में है| ऐसे में ‘डॉईश बैंक’ की आपदा यह सिर्फ़ जर्मनी के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे युरोप के बैंकिंग क्षेत्र के लिए आख़िरी चेतावनी साबित हो सकती है|

दो महीने पहले, तक़रीबन ३६० अरब युरो के ‘नॉन-परफ़ॉर्मिंग लोन्स’ के नीचे दबे इटली के बैकिंग सेक्टर की वजह से, इस देश की अर्थव्यवस्था ग्रीस की तरह ही ख़राब हो सकती है, ऐसा दावा युरोप के अर्थविशेषज्ञों और विश्‍लेषकों द्वारा किया गया था| तब इटली का ख़तरा ‘ब्रेक्झिट’ से बड़ा झटका साबित होगा, ऐसा कहा जा रहा था| अब उसमें जर्मनी के ‘डॉईश बैंक’ जैसे मुख्य बैंक पर आयी इस आपदा के चलते, जर्मनी के बैकों की स्थिति भी इटली जैसे बनाने के आसार नजर आने लगे हैं| यदि ऐसा होता है, तो पूरे युरोप की अर्थव्यवस्था को बडी आपदा का सामना करना पड़ा सकता है| यह आपत्ति ‘युरो’ चलन के लिए ‘मौत की घंटी’ साबित होने की संभावना भी विश्‍लेषकों द्वारा जतायी जा रही है|

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