चीन की निर्भरता कम करने के लिए नई व्यापार नीति में जर्मनी ने किए बदलाव – चीन के विदेश मंत्रालय ने की आलोचना

बर्लिन – ‘चीन खुलेआम मानव अधिकारों का उल्लंघन कर रहा हैं। नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर अपना प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहा हैं। चीन की इन आक्रामक गतिविधियों पर जर्मनी की बारीक नज़र हैं। चीन के सहयोग से पीछे हटने का इरादा जर्मनी नहीं रखता। लेकिन, चीन पर बड़े तौर पर निर्भर रहना यकिनन कम करना है’, इन शब्दों में जर्मनी ने अपनी व्यापार नीति में बदलाव करने का ऐलान किया है। लेकिन, जर्मनी की यह नीति हमें मंजूर नहीं हैं, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है। इसे जर्मन कंपनियां और अर्थव्यवस्था का नुकसान होगा, ऐसी चेतावनी भी चीन के सरकारी मुखपत्र ने दी है।

पिछले कुछ हफ्तों से जर्मन यंत्रणा चीन से होने वाले खतरे पर चान्सलर ओलाफ शोल्झ की सरकार को चेतावनी दे रही है। जर्मनी का व्यापारी भागीदार देश बना चीन अपनी आक्रामक नीति के कारण जर्मनी के हितसंबंधों के लिए खतरनाक होने की चेतावनी जर्मन यंत्रणाओं ने दी ती। मानव अधिकार और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चीन खतरा साबित होने का बयान जर्मनी ने पिछले महीने जारी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में किया था। आर्थिक, विदेशी निवेश और अन्य क्षेत्रों में चीन का खतरा बढ़ने की बात जर्मन गुप्तचर यंत्रणा ने अपनी रपट में कही थी।

जर्मनी के चान्सलर शोल्झ चीन के दौरे पर जाने से पहले यह रपट जारी हुई थी। जर्मनी की शीर्ष कंपनियों ने इसपर चिंता जताई थी। चीन में भारी मात्रा में निवेश करने वाली फॉक्सवैगन, सीमेन्स जैसी जर्मन कंपनियों ने भी चीन की आर्थिक निर्भरता कम करने की मांग की थी। गुरुवार को जर्मनी की सरकार ने घोषित की हुई व्यापार नीति में भी इसका ज़िक्र किया गया है।

यूरोप ने चीन की निर्भरता कम करना शुरू किया है। जर्मनी भी उसी तरह चीन की निर्भरता कम कर रहा है। इस वजह से आगे के समय में व्यापारी और आर्थिक खतरे भी कम होंगे, यह दावा जर्मनी की सरकार ने किया। यह करते हुए चीन के व्यापारी सहयोग से पुरी तरह से पीछे नहीं हटेंगे, यह भी जर्मनी ने स्पष्ट किया। वर्ष २०२२ में जर्मनी और चीन का व्यापार ३३६ अरब डॉलर था।

जर्मनी की इस नीति की चीन के विदेश मंत्रालय ने आलोचना की। आर्थिक मोर्चे पर रक्षात्मक नीति अपनाने वाला जर्मनी बेवजह तेढ़ निर्माण कर रहा है, ऐसी फटकार चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त वैंग वेंबिन ने लगाई। साथ ही चीन की निर्भरता कम करने से जर्मन कंपनियां और अर्थव्यवस्था को ही नुकसान भुगतना होगा, यह इशारा भी चीन के सरकारी मुखपत्र ने दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.