‘ब्रिटेन-रवांडा डील’ की तर्ज़ पर यूरोपिय महासंघ अवैध शरणार्थियों को यूरोप से बाहर भेजे – जर्मनी की मांग

बर्लिन – यूरोप में घुसपैठ कर रहे अवैध शरणार्थियों को ‘ब्रिटेन-रवांडा डील’ की तर्ज़ पर यूरोप के बाहरी देशों में भेजे, ऐसी मांग जर्मनी ने की है। जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ और अंदरुनि रक्षा मंत्री नैन्सी फेजर ने इसके लिए पहल करने की बात कही जा रही है। पिछले दशक में जर्मनी की पूर्व चान्सलर एंजेला मर्केल ने अपनाई ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ की वजह से यूरोप में घुसपठ कर रहे शरणार्थियों की संख्या प्रचंड़ मात्रा में बढ़ी थी। वर्ष २०१५ में भूमध्य समुद्र से यूरोप में घुसपैठ करने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़कर १० लाख तक जा पहुंची थी।

पिछले कुछ महीनों में यूरोपिय देशों में घुसपैठ कर रहे शरणार्थियों की संख्या फिर से काफी बढ़ रही हैं। पिछले महीने यूरोपिय महासंघ की ‘फ्रंटेक्स’ यंत्रणा ने भूमध्य समुद्री क्षेत्र से यूरोप में हो रही शरणार्थियों की घुसपैट ३०० प्रतिशत बढ़ने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया था। इसके बाद अफ्रीकी देशों में अन्न की किल्लत निर्माण होने पर इन देशों से शरणार्थियों के काफी झुंड़ फिर से यूरोप पहुंच सकते हैं, ऐसी चेतावनी इटली के उप-प्रधानमंत्री एन्तोनिओ तजानी ने दी थी। जर्मन यंत्रणा ने जारी की हुई जानकारी के अनुसार इस वर्ष के पहले पांच महीनों में ही सवा लाख से भी अधिक शरणार्थियों ने जर्मनी में घुसपैठ करने की कोशिश की है।

इनके बढ़ रहे झुंड़ों की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय देशों से आक्रामक प्रतिक्रियाएं सामने आना शुरू हुआ है और शरणार्थियों को रोकने के लिए विभिन्न प्रावधान करने की मांग हो रही है। कुछ महीनें पहले यूरोप के भूमध्य समुद्री क्षेत्र के करीबी देशों ने स्वतंत्र बैठक का आयोजन किया था। महासंघ के अन्य सदस्य देश शरणार्थियों का बोजा नहीं उठा रहे हैं, ऐसी शिकायत करके इन देशों ने पहले अपनाई नीति में बदलाव करने की भूमिका बड़ी तीव्रता से रखी थी।

इसके बाद यूरोपिय महासंघ ने सभी सदस्य देशों को शरणार्थियों को स्वीकारने के लिए मज़बूर करने के प्रावधान के साथ नया प्रस्ताव तैयार किया था। इसमें शरणार्थियों का स्वीकार ना करने वाले देशों को भारी आर्थिक जूर्माना लगाने का प्रावधान है। इसी प्रस्ताव में कानूनन जिस किसी को शरणार्थियों के तौर  पर आश्रय मिलना संभव नहीं हैं, उन्हें यूरोप के बाहर भेजने की योजना का भी ज़िक्र हैं। महासंघ के सदस्य देशों के ‘माइग्रेशन मिनिस्टर्स’ की बैठक का हल ही में आयोजन हुआ और इस बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। करीबी समय में यूरोपियन संसद में इस प्रस्ताव पर चर्चा और बातचीत होगी।

इस पृष्ठभूमि पर जर्मन सरकार ने ‘ब्रिटेन-रवांडा डील’ की तर्ज़ पर अवैध शरणार्थियों को देश से बाहर भेजने की मांग करना ध्यान आकर्षित कर रहा है। जर्मनी के चान्सलर शोल्झ ने पूर्व चान्सलर मर्केल की नीति बदलने के स्पष्ट संकेत पिछले महीने दिए थे। उनकी इस भूमिका पर सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों के साथ विपक्ष का भी समर्थन प्राप्त हो रहा है। इस वजह से शोल्झ यूरोप के अन्य देशों से समर्थन पाने की कोशिश में दिख रहे हैं। जर्मनी ने पेश किए प्रस्ताव की तर्ज़ पर ही ऑस्ट्रिया, इटली, डेन्मार्क जैसे देशों ने अवैध शरणार्थियों के झुंड़ यूरोप के बाहर ही रोकने के लिए विभिन्न योजनाएं पेश की हैं। इस वजह से यह देश जर्मनी के समर्थन में खड़े होने की कड़ी संभावना जताई जा रही है।

इसी बीच, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनाक ने ‘रवांडा डील’ का कार्यान्वयन करने के लिए मंत्रि गुट स्थापित करने का वृत्त है। यह गुट ब्रिटेन पहुंचे अवैध शरणार्थियों को रवांडा भेजने की कार्रवाई पर बारीकी से नज़र रखेगा और इस प्रक्रिया की बाधाओं को हटाने का काम करेगा, ऐसा बताया जा रहा है। ब्रिटेन ने पिछले वर्ष अप्रैल महीने में रवांड़ा सरकार के साथ शरणार्थियों से संबंधित समझौता किया था।

इस समझौते के अनुसार ब्रिटेन रवांड़ा को १५ करोड़ डॉलर्स से भी अधिक निधी प्रदान करेगा। इसके बदले में ब्रिटेन पहुंचे अवैध शरणार्थियों को रवांड़ा आश्रय देगा। इस तरह से किसी यूरोपियन देश ने अपने यहां पहुंच रहे शरणार्थियों को अफ्रीकी देश में भेजने की यह पहली ही गतिविधि बनी थी। लेकिन, ब्रिटेन में दाखिल विभिन्न याचिकाओं के कारण अभी इस समझौते का कार्यान्वयन शुरू नहीं हो सका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.