‘कल्चर्ड मोती’ और कोकीची मिकीमोटो

‘डिस्कव्हरी चैनल’ पर कुछ दिन पहले एक डॉक्युमेंट्री देखी थी। उसमें मोतियों के व्यापार पर प्रकाश डाला गया था। हिरों के जेवरात के पश्‍चात् अब मोतियों के जेवरात का व्यापार महिलाओं के आकर्षण का केन्द्र बनने के कारण उसके प्रतिवार्षिक व्यापार के आँकडें अरबों खरबों में पहुँच गये हैं। समुद्र में रहनेवाले कवचधारी मृदुकाय प्राणियों में जैसे कि शेल में होनेवाले कैलशियम कार्बोनेट से तैयार होनेवाले ये मोती कुछ निश्‍चित ही स्थानों पर पाये जाते हैं। साथ ही इनका प्रणाम भी अधिक नहीं होता। समुद्र में पहले गोताखोरों की सहायता से ही इनकी खोज की जाती थी। परन्तु अब इसके लिए आधुनिक यंत्रों का उपयोग किया जाता है। मात्र मूलत: नैसर्गिक रुप में तैयार होनेवाले और मर्यादित रहनेवाले इन मोतियों का व्यापार अब काफी तेज़ी से बढने लगा है, इन मोतियों की खेती करना संभव हो जाने पर ही। इन मोतियों की खेती के और उन खेतों में निर्माण होनेवाले ‘कल्चर्ड मोतियों’ के शिल्पकार हैं, ‘कोकीची मिकीमोटो’।

मोतियों के जेवरातचाहे जैसे भी हो इन मोतियों को अधिकाधिक आकर्षक बनाकर काफ़ी बड़े पैमाने पर इनकी पैदावार कैसे की जा सकती है, इस बात की धुन ही उन्हें लगी हुई थी। इसके लिए अन्य सारे कार्य को रोककर कोकीची अनेक वर्षों तक सतत संशोधन करते रहे दुनियाभर में सौंदर्य की दुनिया में अधिक योगदान देनेवाले ‘कल्चर्ड मोती’ बनाये।

अब तक असल मोतियों में यह एक नया प्रकार होने के कारण यह लोगों के कौतूहल का विषय बन गया। कोकीची के मोतियों की प्रसिद्धि धीरे-धीरे दुनियाभर में फैल गई और फिर कोकीची मिकीमोटो यह नाम लोगों की जुबान पर आने लगा। अब तक केवल परियों की कथाओं में होनेवाली मोतियों की खेती इस एक असंभव सी होनेवाली बात को कोकीची ने संभव कर दिखलाया था। सन १८०० में मोतियों का दौर सही मायने में शुरु हो गया, ऐसा कहा जाता है। इस समय तक जनसामान्यों के जीवन में भी मोतियों के इन जेवरातों ने अपनी हाज़िरी लगा दी थी।

इस समय ‘रियल पल्सर्र्’ ये जपानी व्यापार की विशेषता थी। जापान के मोतियों ने पहले जगत्प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी। इसी कारण कल्चर्ड मोतीयों की खोज से जापान के व्यापार को मानों प्रगति का सूत्र ही मिल गया था। लेकिन इन सबका श्रेय कोकीची को दिया जाना यह कोई अतिशोयक्ति नहीं कहलायेगी। अपनी उम्र के १३वें साल में ही स्कूल छोड़ देनेवाले कोकीची ने असामान्य स्वप्न देख रखा था। यह सच होगा इस बात के प्रति उस समय किसी को विश्‍वास नहीं था।

मोतियों के जेवरात

परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने कारण पिता के कारोबार में कुछ मदद हो जाए, इसी हेतु से कोकीची ने सब्ज़ी बेचना शुरू कर दिया। जापान में रहनेवाले इस परिवार के बच्चे ने सब्जी बेचते-बेचते समुद्र के किनारे मोती ढूँढ़ने वाले गोताखोरों का समुद्र के किनारे पर अपना खज़ाना बाहर निकालते हुए अनेकों बार देखा था और उसी समय से कोकीची के मन में मोतियों के प्रति आकर्षण निर्माण हो चुका था। इस आकर्षण को केवल कौतूहल तक ही सीमित न रखकर कोकीची ने उस विषय में संशोधन करने की जिद भी पूरी करके दिखला दी।

कोकीची को १८८८ में पहली बार शेल की खेती करने के लिए कर्ज़ प्राप्त हुआ। अनेकों बार असफल होने के बावजूद भी, दिवाला पिट जाने पर भी कोकीची ने अपना संशोधन कार्य शुरु ही रखा। अंतत: सन १८९७ में अर्धगोलाकार कल्चर्ड मोती तैयार करने में कोकीची को सफलता प्राप्त हो ही गई। इस कार्यकाल के दौरान उनकी पत्नी उमे का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सहयोग कोकीची को प्राप्त हुआ।

बारह वर्ष बाद कोकीची ने संपूर्ण गोलाकार कल्चर्ड मोती तैयार करने में सफलता प्राप्त की। परन्तु इस पद्धति के अनुसार काफ़ी बड़े प्रमाण में मोती तैयार करने में सफलता नहीं मिल रही थी। इसी लिए कोकीची ने अपनी मूलपद्धति में कुछ फेर-बदल करके उसमें कुछ सुधार किए। इसका भी काफ़ी बड़े पैमाने पर फायदा हुआ। जापान के कल्चर्ड मोती उद्योग में सन १९१६ के पश्‍चात् जापान ने इस व्यापार को बढ़ाने में दिन-रात एक कर दिया था।

इसी कारण जापान में मोती तैयार करनेवाले ३५० खेतों का जन्म हुआ। और वर्ष के अंतिम समय तक जापान में एक करोड़ कल्चर्ड मोतियों की पैदावार होने लगी। अपनी कंपनी के मोती सर्वश्रेष्ठ हैं इसी लिए वे कनिष्ठ दर्जेवाले मोतियों का स्वीकार नहीं करते हैं, यह दिखाने के लिए कोकीची ने ‘पब्लिक स्टंट’ किया। इसके अन्तर्गत हजारों कम दर्जेवाले मोतियों को कोकीची ने सार्वजनिक स्थानों पर जला दिया और मिकीमोटो मोती उत्कृष्ट दर्जे के हैं इससे संबंधित विविध प्रकार के अनोखे विज्ञापन देना भी उन्होंने शुरु कर दिया।

कोकीची ने जापानी मोतियों को यूरोप एवं अमरीका में काफ़ी बड़े पैमाने पर बाजार उपलब्ध करवाया। आरंभिक समय में टोकियों में नैच्युरल सीड पर्ल एवं अर्धगोलाकार मोतियों का व्यापार शुरू करनेवाले कोकीची के मोतियों का द्वितीय महायुद्ध के पश्‍चात् पेरिस, न्यूयॉर्क, शिकागो, बोस्टन, लॉस एन्जेलिस, सॅन फ्रान्सिस्को, शांघाय एवं मुंबई में बड़ी-बड़ी दुकाने दिखाई देने लगीं और जापानी मोतियों को सर्वप्रथम आंतरराष्ट्रीय उद्योग क्षेत्र उपलब्ध करवाने का सम्मान कोकीची मिकीमोटो को प्राप्त हुआ।

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