विल्यम मेयो और उनका परिवार भाग – २

मानवों के उद्धार हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देनेवाले पुण्यात्मा पृथ्वीपर चिरंतन कार्य करते हुए काल के गर्त में समा जाते हैं। ‘मेयो क्लिनिक’ की जन्मकथा भी कुछ ऐसी ही आनेवाली पिढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्तोत्र है।

डॉ. विल्यम मेयो

डॉ. विल्यम मेयो और उनकी पत्नी इन दोनों के प्रतीकात्मक स्वरूप में प्रसिद्धि प्राप्त करनेवाले डॉ. विल्यम (जूनियर) एवं डॉ. चार्लस् में से डॉ. विल्यम १८८३ में मिशिगन यूनिव्हर्सिटी से एवं १८८८ में डॉ. चार्लस् शिकागो के नॉर्थ वेस्टर्न यूनिव्हर्सिटी से वैद्यकीय उपाधिधारक सिद्ध हुए। १८८८ के तूफान के पश्‍चात् १८८९ में सेंट मेरी नामक अस्पताल का उद्घाटन किया गया। रुग्णों की कतार बढ़ने लगी थी, साथ ही अस्पताल का भी विकास हो रहा था। मेयो भाईयों ने अन्य वैद्यकीय विशेषज्ञों को अस्पताल में सेवा हेतु आमंत्रित किया। ऐसे में किसी ने प्रयोगशाला तो किसी ने जरनल संपादकत्व का स्वीकार कर लिया। व्यावसायिक दृष्टिकोन से अर्थव्यवस्थापन भी आरंभ कर दिया गया। अमरीका में पहली बार ही अस्पताल में बालरोग, मस्तिष्क की शस्त्रक्रिया, अस्थिविकार त्वचा रोग, थोरॅसिक सर्जरी इस प्रकर की सेवाएँ शुरु हो गईं।

वैद्यकशास्त्र यह अब सही मायने में संघकार्य साबित होनेवाला था। अनेकों डॉक्टरों का साथ मिलकर प्रॅक्टिस करना यह एक नयी संकल्पना अमरीका के साथ-साथ संपूर्ण जगत् के लिए नयी थी। यह व्यक्तिगत धरोहर अब व्यक्तिगत न रहकर व्यापक बन गयी। डॉ. विल्यम जब भी बात करते तो वे ‘मेरा भाई और मैं’ इस तरह अपना परिचय देते थे। उनके मतानुसार वैद्यकशास्त्र में किसी एक व्यक्ति का स्थान न होकर संपूर्ण समूह के सामर्थ्य की ज़रूरत थी। मेयो भाईयों का यह प्रेम केवल पारिवारिक प्रेम ही नहीं था, बल्कि एक विचार विनिमय का आदान-प्रदान था। स्वयं जीते हुए दूसरों को भी जीवन देने का एक अनोखा तत्त्वज्ञान था। साथ ही अपने सहकारियों के प्रति मेयो भाइयों में एक प्रकार के आदर की भावना थी।

१९०७ में डॉ. प्लमर ने रुग्णों के बीमारियों के प्रति पूरी जानकारी की सूची (Medical record system) बनायी। रुग्णों के निदान की सूची बनाकर, किसी रुग्ण की पूरी जानकारी ढूँढ़ निकालने की पद्धति भी अब शुरु कर दी। अब मेयो का बढ़ता हुआ कारोबार संभालने के लिए नयी सुविधाजनक इमारत का निर्माण किया गया। सर्वसमावेशक सहकारी तत्त्वों के पथ पर चलने का यह आदर्श था। अनेक विशेषज्ञ विभाग, निदानपरीक्षण, उपचार, प्रयोगशाला, एक्स-रे सभी कुछ एक ही स्थान पर। रुग्णों का केस पेपर जिन विभागों को ज़रूरत हो उन विभागों को उपलब्ध हो सके, लोगों का श्रम एवं समय बचाना इस दृष्टिकोन से अस्पताल में कन्व्हेयर बेल्ट की योजना की गई। भिन्न-भिन्न विभागों के विशेषज्ञों को एक-दूसरे के साथ सलाह-मशवरा करने के लिए अंतर्गत दूरसंचार प्रणालि की निर्मिति की गई, उसी समय अमरीका में इस सबसे बड़े पैमाने पर बनाई गई अंतर्गत दूरध्वनि यंत्रणा थी। अब मेयोज् प्रॅक्टिस के बजाय ‘मेयो क्लिनिक’ नाम से यह सेवा जानी-पहचानी जाने लगी। डॉ. विल्यम (ज्यु) मेयो अकसर यही कहते चले आ रहे हैं कि ‘अपने दरवाजे पर आनेवाले रूग्ण की तकलीफों को दूर करने के लिए प्रयत्नशील रहना, यही हमारा प्रथम कर्तव्य एवं जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए।’

‘वैद्यसमूहो नि:संशयकराणाम्’ नामक इस भारतीय सूत्र का ही अवलंबन किया जाता था।

डॉ. विल्यम मेयो १९१९ में मेयो भाइयों ने अपनी भागीदारी विलीन कर स्वयं की व्यक्तिगत आय, जीवनभर की कमाई, अस्पताल की आमदनी इस प्रकार की अनेक बातों को एकत्रित कर ‘ना नफा ना ही घाटा’ तत्त्वों के आधार पर धर्मादाय संस्था की निर्मिति की। वैद्यकीय महाविद्यालय का आरंभ हुआ। मेयो के सभी डॉक्टर अपना फायदा छोड़ वेतनीक कर्मचारी बन गए। अस्पताल का खर्च इन सब से घटा देने के पश्‍चात् बचे हुए पैसों से शिक्षा संस्थान संशोधन, रूग्णों की सेवा आदि के लिए उपयोग में लाया जायेगा। ऐसा ही कुछ निश्‍चित किया गया। साहचर्य, परस्पर आदर, सद्भावना, सामाजिक ऋण, रूग्णसेवा, शिक्षा, संशोधन, अर्थ नियोजन इसके साथ ही इसे और भी अधिक सर्वोत्कृष्ट कैसे बनाया जा सकता है। इस विचार में मेयो ने अपने मत में परिवर्तन किया और अधिकाधिक सेवाव्रति होकर वे प्रगतिपथ पर आगे बढ़ते ही रहे। उत्कृष्ट डॉक्टर ये अपने कार्य के प्रति सजग एवं तजुर्बेकर होते हैं ऐसा होने पर भी वे एक अच्छे संघ-सेवक भी होंगे ऐसा नहीं हैं। यहाँ पर मेयों भाइयों ने वैद्यकशास्त्र को सहकार्य एवं साहचर्य का एक नया सुंदर मार्ग दिखलाया।

आज रोचेस्टर, जॅक्सनविले, अ‍ॅरिझोना इन स्थानों पर मेयों क्लिनिक स्थपित हैं। जगह-जगह पर ७४ कम्युनिटि क्लिनिक्स हैं। रोचेस्टर में ही डेढ़ हजार डॉक्टर संघभावना के साथ कार्यरत हैं। मेयो का स्वयं का रेडियो स्टेशन, वृत्तपत्र आदि होकर भी हर एक वैद्यकीय शाखा के प्रति मेयो के स्वयं के जर्नल्स् हैं। राष्ट्रीय दूरदर्शन केन्द्र पर कुछ निर्धारित घंटों तक प्रक्षेपण किया जाता है। ५०,००० से भी अधिक स्टाफ के साथ-साथ लाखों रुग्ण आज तक उपचार करवाकर अच्छे हो चुके हैं।

समव्यावसायिकों का सम्मान करना, वैद्यकशास्त्र को व्यावसायिकता देना, तत्त्वहीन स्पर्धाओं को हदपार कर देना इन मूल्यों के सीख पर ही मेयो आज अपने दिमाग का उपयोग कर अपना अस्तित्व बनाये हुए हैं। मेयो की इस यशस्वी कारीगरी का आधार-स्तंभ निश्‍चित ही इन तीनों के द्वारा बरकरार रखी गई उनकी नीति-मर्यादा है।

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