भूतान के भूभाग पर चीन का दावा

वॉशिंग्टन/ थिंपू – चीन ने भूतान के सकतेंग अभ्यारण्य का भूभाग अपना होने का दावा किया है। भूतान और चीन की सीमाएँ भी सुस्पष्ट ना होने के कारण, दोनों देशों के बीच पहले से सीमाविवाद है। लेकिन चीन ने अब भूतान के नये भूभाग पर दावा ठोका है और अपनी विस्तारवादी ‘सलामी स्लायसिंग’ की नीति का फिर एक बार घिनौना प्रदर्शन कराया है। लेकिन यह अभ्यारण्य अपना अविभाज्य भाग है, ऐसा भूतान ने चीन को डटकर कहा है। साथ ही, सकतेंग अभ्यारण्य पर दावा ठोककर भूतान के इस अभ्यारण्य को ‘जीईएफ’ से मिलनेवाली निधि रोकने की कुटिल चाल भी, भूतान का प्रतिनिधित्व करनेवाले भारत ने नाक़ाम कर दी है।

Bhutan-China‘ग्लोबल इन्वायरमेंट फॅसिलिटी’ (जीईएफ) कौन्सिल में, भूतान के सकतेंग अभ्यारण्य को निधि प्रदान करने के विषय पर चर्चा शुरू थी कि तभी चीन के कौन्सिल में होनेवाले प्रतिनिधि द्वारा अचानक, यह भूभाग चीन का होने का दावा ठोका गया। अरुणाचल प्रदेश के सेला पास से १७ किलोमीटर दूरी पर होनेवाला सकतेंग अभ्यारण्य ६५० चौरस किमी के क्षेत्र में फ़ैला है। यह अभ्यारण्य लाल पांडा, हिमालयन ब्लॅक बियर तथा अन्य दुर्लभ वन्यप्राणियों का अधिवास है। लेकिन इस अभ्यारण्य के लिए अब तक किसी भी जागतिक संस्था से भूतान को अर्थसहायता नहीं मिली थी। पहली ही बार ‘जीईएफ’ जैसी किसी जागतिक संस्था से इस अभ्यारण्य को अर्थसहायता देने का विषय प्रस्तुत किया गया। उस समय चीन ने, यह भूभाग चीन का होने का दावा करके अभ्यारण्य की निधि में रोड़ा डालने की कोशिश की।

इस अभ्यारण्य की ज़मीन को लेकर भूतान और चीन में कभी भी विवाद नहीं था। लेकिन कुछ स्थानों पर दोनों देशों में सीमाविवाद शुरू है। इसीका फ़ायदा उठाते हुए चीन ने भूतान के इस भूभाग पर भी अपना दावा ठोका। लेकिन चीन की यह सज़िश, भूतान का प्रतिनिधित्व करनेवालीं भारत की वरिष्ठ ‘आयएएस’ अधिकारी अपर्णा सुब्रमणि ने नाक़ाम कर दी। पहले भूतान की राय पर ग़ौर करें, ऐसा भारत ने स्पष्ट किया। उसके बाद भूतान ने भी, यह भूभाग भूतान का सार्वभूम भूप्रदेश होकर, इस अभ्यारण्य की ज़मीन हमारी थी और हमारी ही रहनेवाली है, ऐसा चीन से डटकर कहा। इस परिषद के फिर एक बार बैठक संपन्न हुई और उसमें भूतानला आर्थिक सहायता घोषित की गयी है।

फिलहाल लद्दाख में हुई चीन की घुसपैंठ के मुद्दे पर भारत और चीन के सैनिक एक-दूसरे के सामने खड़े हुए हैं। चीन ने नेपाल की भी भूमि हथियाने की बात हाल ही में सामने आयी है। ‘साऊथ चायना सी’ में सभी देशों के साथ चीन का सीमाविवाद शुरू है। ‘नॉर्थ चायना सी’ में जापान और तैवान के साथ चीन का विवाद भड़का है और ऐसे में अब चीन ने भूतान के सकतेंग अभ्यारण्य के भूभाग पर दावा किया है। अब तक चीन ने भूतान के इस भूभाग पर कभी भी दावा नहीं किया था।

पड़ोसी देशों के भूभागों पर दावें कर, अपने प्रभाव का और ताक़त का इस्तेमाल करके उस भूभाग को निगलने की अपनी ‘सलामी स्लायसिंग’ नीति का इस्तेमाल करके अपने नक़्शे का विस्तार करना, यह चीन की पुरानी आदत है। लेकिन अब चीन को हर तरफ़ से प्रत्युत्तर मिल रहा है। चीन की इस दादागिरी के ख़िलाफ़ अब पड़ोसी देश संगठित होने लगे हैं। इस कारण, अब चीन को इस पद्धति ने किसी देश का भूभाग निगलना इसके आगे मुश्किल होगा। उल्टे चीन की ऐसीं नीतियों के कारण दुनियाभर में चीन के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा बढ़ रहा है, इसपर विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं। सन २०१७ में भूतान के डोकलाम में ही भारत ने, सड़कनिर्माण की चीन की कोशिशें नाक़ाम कीं थीं। उस झटके से चीन अभी भी सँवर नहीं सका है। भूतान की विदेश नीति और सुरक्षा का नियोजन भारत द्वारा किया जाता है, इसपर भी चीन को ऐतराज़ हैं।

इसी बीच, भारत और भूतान के बीच पारंपरिक मित्रता के संबंध रहे हैं। भारत भूतान में अब ६०० मेगावॅट की जलविद्युत परियोजना का निर्माण कर रहा होकर, मंगलवार को दोनों देशों में इससे संबंधित समझौता संपन्न हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.