डोकलाम का विवाद भले ही सुलझा हो लेकिन चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता – जानकारों का इशारा

नई दिल्ली: भारत और चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘डोकलाम’ विवाद खत्म होने की बात घोषित करने के बाद, विश्लेषकों की ओर से इसका स्वागत किया जा रहा है। दोनों देशों ने यह विवाद सुलझाने के लिए समझदारी दिखाई है, ऐसी भावना दोनों देशों के विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन ब्रिक्स परिषद से पहले चीन ने समझौते की भूमिका अपनाई है, इसलिए चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आने वाले समय में चीन फिर से ‘डोकलाम’ या भारत के अन्य सीमा इलाकों में घुसपैठ करके गँवाई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने की कोशिश कर सकता है, ऐसा इशारा जानकर दे रहे हैं।

७० दिनों से भी अधिक काल तक ‘डोकलाम’ में भारत और चीन के सैनिक एक दूसरे के सामने खड़े थे। इस जगह पर किसी भी वक्त संघर्ष की चिंगारी भड़केगी और उसका रूपांतर दोनों देशों के बीच युद्ध में होगा, ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही थी। चीन लगातार भारत के साथ युद्ध करने की घोषणा कर रहा था। इस वजह से यह विवाद और भी बढ़ गया था। लेकिन भारत ने इस विवाद में कड़े विधान करना टाला था। इस विवाद में चीन की भूमिका बहुत ही भड़काने वाली थी, लेकिन भारत ने संयमी प्रतिक्रिया दी और वही बात भारत के लिए लाभदायक साबित हुई, ऐसा भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने एक कार्यक्रम में कहा।

डोकलाम का विवाद

डोकलाम विवाद खत्म होने की घोषणा करते समय चीन के विदेश मंत्रालय ने कुछ बातें अभी भी संदिग्ध रखी हैं। चीन की ओर से डोकलाम में निर्माण की जा रही सडकों का भारत ने विरोध किया था। इस सडक का काम चीन रोकनेवाला है क्या, यह बात चीन के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट नहीं की है। साथ ही भारत ने डोकलाम से सेना को पीछे हटाने की बात कहने वाला चीन, अपनी सेना यहाँ पर तैनात रखेगा या नहीं, यह बात स्पष्ट नहीं है। इस वजह से डोकलाम का विवाद खत्म हो गया है ऐसा लग रहा है, फिर भी चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता ऐसा जानकारों का कहना है।

जल्द ही चीन के बीजिंग में ‘ब्रिक्स’ की परिषद होनेवाली है, इस परिषद का सफल होना चीन के लिए महत्वपूर्ण है। इसी लिए इस परिषद से पहले डोकलाम का विवाद सुलझाने की चीन ने तैयारी दर्शाई है। लेकिन ब्रिक्स परिषद खत्म होते ही चीन फिरसे डोकलाम अथवा भारत के अन्य सीमा इलाकों में घुसपैठ करेगा, ऐसी आशंका जानकर जता रहे हैं।

डोकलाम विवाद में चीन ने अतिआक्रामक भूमिका अपनाकर खुदके पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी। भूतान का पक्ष लेकर भारत चीन की सेना ने शुरू किए निर्माण को रोकने की हिम्मत दिखा सकता है, इस बात को चीन ने गंभीरता से नहीं लिया था। इस वजह से चीन ने इस पर बेवाकुफों जैसी प्रतिक्रिया देकर खुद की ही परेशानियाँ बढाई थी, ऐसा भारत और पश्चिमी विश्लेषकों ने कहा है।

भारत को युद्ध की धमकियां देने पर भी भारत ने उसपर दिखाई हुई समझदारी की वजह से चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने आया है। डोकलाम से भारत ने सेना हटाए बिना चर्चा न करने की घोषणा करने वाले चीन को मजबूर होकर इस समस्या पर चर्चा करनी ही पड़ी। लेकिन डोकलाम विवाद में चीन को भारत के साथ समझौता करना पड़ा, यह बात चीन की जनता के सामने न आए इस लिए चीन की सरकार बहुत कोशिश कर रहा है। इसी लिए चीन का विदेश मंत्रालय भारतीय सेना पीछे हटी है, यह बात छाती पीटकर बता रहा है।

ऐसा है फिर भी इस विवाद में भारत की राजनितिक जीत होने का एहसास चीन को हुआ है। इसीलिए आने वाले समय में चीन भारत के साथ सीमा विवाद छेड़कर नए सिरे से दबाव डालने की कोशिश करेगा, ऐसा भारतीय विश्लेषकों का कहना है। भारत के सेना प्रमुख बिपिन रावत ने भी चीन के पास सीमा पर असावधान नहीं रहा जा सकता ऐसा इशारा दिया है।

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