चीन सिक्कीम के बारे में दोबारा सोचेगा : चीन की एक और धमकी

नई दिल्ली/बीजिंग, दि. ६ : सिक्कीम की सीमा पर सेना तैनात करके, चीन की दादागिरी का मुँहतोड जवाब देनेवाले भारत पर दबाव बनाये रखने के लिए चीन काफी मशक्कत कर रहा है| ‘भारत ने यहाँ से सेना पीछे नहीं हटाई, तो चीन अपनी सिक्कीमविषयक नीति के बारे में दोबारा सोचकर सिक्कीम की स्वतंत्रता को समर्थन देगा’ ऐसी धमकी चीन ने दी है| चीन का सरकारी दैनिक ‘ग्लोबल टाईम्स’ यह धमकी दे रहा है कि तभी चीन ने,  ‘जी-२०’ परिषद की पार्श्‍वभूमि पर अपने राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री की मुलाकात नहीं हो सकती, ऐसा कहा है| इस मुलाकात के लिए अनुकूल माहौल नहीं है, ऐसा स्पष्टीकरण चीन ने दिया है| लेकिन भारत ने चीन से पास ऐसी किसी मुलाकात की माँग की ही नहीं थी, ऐसा कहते हुए भारतीय अधिकारियों ने, अनुकूल अथवा प्रतिकूल माहौल का सवाल ही पैदा नहीं होता, ऐसी फ़टकार लगायी है|

सिक्कीमभूतान के डोकलाम इलाके में चिनी जवानों की घुसपैठ और अवैध कन्स्ट्रक्शन को रोकने के लिए भारतीय सेना आँखो में तेल डालकर निगरानी कर रही है| भारतीय सेना यहाँ से पीछे हटें इसके लिए चीन भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है| इतना ही नहीं, बल्कि सन १९६२ के युद्ध को याद करो, ऐसा चीन के विदेशमंत्रालय ने भारत से कहा है| इस सीमाविवाद की वजह से यदि युद्ध छिड़ा, तो भारत की स्थिति सन १९६२ के युद्ध से भयंकर होगी, ऐसी चेतावनी चीन के विश्‍लेषक ‘हू झिआँग’ ने ‘ग्लोबल टाईम्स’ के जरिये दी थी| साथ ही, भारतीय सेना यहाँ से पीछे नहीं हटी, तो चीन के जवान यहाँ से भारतीय सेना को उखाड़कर फेंक देंगे, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने कहा है|

ग्लोबल टाईम्स’ में प्रकाशित हुए ताजे लेख में भारत को नयी धमकी दी गई है| भारत और चीन के बीच सन २००३ में सिक्कीम और तिबेट के बारे में समझौता हुआ था| इसके अनुसार, भारत ने तिबेट पर चीन के अधिकार को माना था और सिक्कीम यह भारत का राज्य है, यह चीन ने स्वीकार किया था| लेकिन भारत यदि सिक्कीम से सैन्य नहीं हटाता, तो चीन इस समझौते को तोड़कर सिक्कीम की स्वतंत्रता को समर्थन देगा, ऐसा इस दैनिक में कहा गया है| ‘भारत ने बारबार दलाई लामा का इस्तेमाल करके तिबेट के सिलसिले में चीन को मुश्कील में डालने की कोशिश करके देखी है| लेकिन ये प्रयास नाकाम हुए हैं| इस वजह से, सिक्कीम की स्वतंत्रता को समर्थन देने के लिए चीन को कोई दिक्कत नहीं हो सकती’ ऐसा इस दैनिक में कहा गया है|

सिक्कीमभारत ने सिक्कीम को गैरकानूनी ढंग से कब्जे में किया और भारतीय सेना ने सिक्कीम की जनता पर ज़ुल्म ढाए हैं, इसकी याद ‘ग्लोबल टाईम्स’ को इस मौके पर हुई है| ‘यदि चीन ने सिक्कीम की स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन दिया, तो हिमालयीन क्षेत्र के अन्य राज्यों में भी स्वतंत्रता आंदोलन भडकेबा और भारत की अवस्था मुश्किल होगी’ ऐसा ग्लोबल टाईम्स के लेख में नमूद किया गया है|

सिक्कीम को बलपूर्वक हथियाकर भारत ने भूतान जैसे छोटे देश को अपने डर के साये में रखा है| इसीलिए भूतान दूसरे किसी भी देश के साथ स्वतंत्र रूप से संबंध नहीं रख सकता’ ऐसा कहते हुए ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने इल्जाम लगाया कि भारत अपनी नीति इस देश पर लाद रहा है| भूतान ने किये, चीन के सैनिकों की घुसपैठ के निषेध के पीछे भारत ही है, ऐसा इस दैनिक में कहा गया है| लेकिन चीन ने भारत की इस सा़ज़िश का जवाब देने की तैयारी रखनी चाहिए, ऐसी सलाह भी इस दैनिक ने अपनी सरकार को दी है|

सेनासामर्थ्य, आर्थिक क्षमता और प्रौद्योगिकी इन सभी क्षेत्रों में चीन भारत से बहुत आगे है| इस वजह से, दोनों देशों के बीच यदि युद्ध छिडता है, तो भारत की हालत काफी गंभीर होगी, यह ‘ग्लोबल टाईम्स’ भारत को बार बार जता रहा है|

उसी समय, ‘भारतीय सेना की घुसपैंठ से चिनी जनता गुस्से में है और अपनी प्रतिक्रिया दे रही है’ ऐसा दावा भी इस दैनिक ने किया है| पिछले कुछ दिनों से ‘ग्लोबल टाईम्स’ में ऐसे लेख और ख़बरें लगातार जारी हो रही हैं और इस वजह से चीन की अवस्था अधिक प्रकर्षता से सामने आ रही है| लेकिन भारत ने, चीन की जहरीली भाषा को उसी तरह से जवाब देकर विवाद ना बढें, इस ओर ध्यान दिया है| लेकिन भारत अपनी भूमिका से तिनके भर भी पीछे नहीं हटा है और चीन की गतिविधियों को भारत गंभीरता से ले रहा है, ऐसा संदेश भारत की ओर से चीन को दिया जा रहा है|

फिलहाल इस्रायल के दौरे पर गए भारतीय प्रधानमंत्री को सिक्कीम के हालात के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है, ऐसी खबरें प्रकाशित हुई हैं| भारत पर राजनैनिक स्तर पर दबाव बढाने के लिए चीन ने, जी-२० बैठक का मुद्दा उठाते हुए, इस बैठक में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं करेंगे, ऐसी घोषणा की है| ‘इस मुलाकात के लिए अनुकूल माहौत नहीं है’ ऐसा दावा चीन ने किया है| लेकिन ‘भारत ने चीन के पास ऐसी मुलाकात की माँग नहीं की है, इस वजह से दोनों देशों के बीच के हालातों पर चर्चा करने में मतलब ही नहीं है’ ऐसा भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.