ऑस्ट्रेलियन किताब पर चीनी सेंन्सॉरशिप विवाद के घेरे मे

कॅनबेरा /बीजिंग: ऑस्ट्रेलिया पर चीन के प्रभाव की जानकारी देने वाली किताब चीन का दबाव एवं डर में रुकने का आरोप लेखक ने किया है। इस आरोप की वजह से ऑस्ट्रेलिया में चीन का हस्तक्षेप का मुद्दा फिर से एक बार सामने आया है। पिछले कई महीनों से चीन ऑस्ट्रेलिया को बड़ी तादाद में नियंत्रित करने की खबरें प्रसार माध्यम से लगातार प्रसारित हो रही थी और सरकार ने इस पर आक्रामक भूमिका लेने की बात सामने आयी थी। चीन ने अपने पर लगे आरोप ठुकराए हैं और एक के पीछे एक बाहर निकलने वाले मसलों की वजह से चीन की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हुआ है।

किताब

ऑस्ट्रेलिया के चार्ल्स ट्रस्ट यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक के तौर पर कार्यरत होने वाले क्लाइव हेमिल्टन ने देश के चीन देश में चीन के बढ़ते प्रभाव की जानकारी देने वाली किताब लिखी है। ‘साइलेंट इन्वेजन: हाऊ चाइना इस टर्निंग ऑस्ट्रेलिया इन टू अ पपेट स्टेट’ नामक यह किताब सिडनी के ऍलन एंड उनविन इस प्रकाशन संस्था से प्रकाशित होने वाली है। प्रकाशन संस्थाने किताब में कुछ बदलाव करने की विनती लेखक से की थी।

कुछ बदलाव करने के बाद भी यह किताब प्रकाशित नहीं हुई है और उसके बदले में प्रकाशन संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारीने पिछले हफ्ते में लेखक को एक ईमेल भेजा है। जिसमें चीन से इस किताब के विरोध में कानूनन कारवाई होने का डर की वजह से किताब प्रकाशन आगे धकेलने का खुलासा किया गया है। चीन से प्रकाशन संस्था के विरोध में बदनामी की मुहिम शुरू हो सकती है, ऐसा डर भी ईमेल में व्यक्त किया गया है। चीन की कारवाई की वजह से आने वाले वर्ष के अप्रैल महीने में होने वाले प्रकाशन आगे धकेलने की बात हैमिल्टन को भेजे ई मेल में कही गई है।

प्रकाशन संस्था से लिए इस निर्णय पर हैमिल्टन ने तीव्र नाराजगी व्यक्त की है और इस किताब के संदर्भ में सभी हक उसे वापस मिले ऐसी मांग की है। पाश्चात्य देशों में कार्यरत होनेवाले एक प्रकाशन संस्थाने उसी देश के चीन के कम्युनिस्ट राजवट की जानकारी होनेवाले किताब सेंन्सॉर करने की यह पहली ही घटना है। चीन से व्यक्ति स्वतंत्रता पर दबाव होने का यह बड़ा उदाहरण है। ऑस्ट्रेलिया ने चुप्पी भरी, तो हम अपने मातृभूमि में मूलभूत अधिकार एवं स्वतंत्रता की रक्षा के लिए चल रही लड़ाई पहले से हारे हुए हैं, ऐसी कड़े शब्दों में हेमिल्टनने प्रकाशन संस्था पर निशाना साधा है।

इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया के प्रसार माध्यमोंने भी जोरदार चर्चा शुरू हुई है और चीन के दबाव का मुद्दा फिर से एक बार सामने आया है। पिछले महीने में ऑस्ट्रेलिया में सीखने के लिए आये चीनी विद्यार्थियों ने ऑस्ट्रेलिया के कायदा एवं मूल्यों का योग्य आदर रखें ऐसा कढ़ा ईशारा विदेश मंत्री जूली बिशप ने दिया था। उसके पीछे ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा एवं गुप्तचर यंत्रणाने भी चीनी हस्तक्षेप का मुद्दा अमरिका, ब्रिटन, कॅनडा एवं न्यूजीलैंड के देशों का समभाग होने वाले फाईव्ह आईज इस गट में उपस्थित करने के संकेत दिए थे।

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