अमरीका-ऑस्ट्रेलिया सहयोग कायम रहेगा : अमरिकी उपराष्ट्राध्यक्ष माईक पेन्स ने जताया भरोसा

सिडनी, दि. २२ : निर्वासितों के मसले पर अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए समझौते पर अमल होगा और इसके आगें भी अन्य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग कायम रहेगा, ऐसा यकीन अमरिकी उपराष्ट्राध्यक्ष माईक पेन्स ने दिलाया है| उपराष्ट्राध्यक्ष पेन्स उनके आशिया-पॅसिफिक यात्रा कार्यक्रम के तहत, शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया में दाखिल हुए| इस समय ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल के साथ हुई बातचीत में पेन्स द्वारा दोनो देशों के संबंधों पर राय स्पष्ट कर दी गई|

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के कार्यकाल में अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच निर्वासितों के मसले पर महत्त्वपूर्ण समझौता हुआ था| इस समझौते के अनुसार, अमरीका ऑस्ट्रेलिया के १२५० निर्वासितों का स्वीकार करनेवाला था| लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा राष्ट्राध्यक्षपद संभाले जाने के बाद उन्होंने, ‘ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ यह समझौता यानी मूर्खता है’ ऐसे शब्दों में उसका उल्लेख किया था| इससे समझौते के कार्यवाही पर सवाल खडे किये गये थे| इसपर ऑस्ट्रेलिया से भी कड़ी प्रतिक्रिया आयी थी|

इस पृष्ठभूमि पर, उपराष्ट्राध्यक्ष पेन्स द्वारा जताया गया भरोसा महत्त्वपूर्ण साबित हो रहा है| ‘अमरिकी प्रशासन में निर्वासितों के समझौते पर एकमत नहीं है, फिर भी उसकी कार्यवाही का दायित्व लिया जायेगा| ऑस्ट्रेलिया द्वारा नाऊरु और पापुआ न्यू गिनिआ के शिविरों में रखे हुए १२५० निर्वासितों का अमरीका स्वीकार करेगा| राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस संदर्भ में आश्‍वासन दिया हुआ है’ ऐसे शब्दों में पेन्स द्वारा निर्वासितों के समझौते पर स्पष्ट यकीन दिलाया गया|

निर्वासितों के समझौते के बारे में यकीन दिलाते हुए उपराष्ट्राध्यक्ष पेन्स ने आगे बताया कि अमरीका और ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती इसके आगे भी कायम रहेगी| बातचीत के दौरान दोनो नेताओं द्वारा अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच रहे सैनिकी सहयोग का उल्लेख किया गया| पेन्स ने बताया कि दोनो देशों के बीच का सहयोग यह एक ऐतिहासिक घटना है| वहीं, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल ने चीन को निशाना बनाते हुए, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग बढ़ाना ज़रूरी है, इस मुद्दे पर ज़ोर दिया|

आनेवाले दिनों में अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच युद्ध अभ्यास का आयोजन किया गया है| इसके लिए ऑस्ट्रेलिया के डार्विन शहर में हज़ार से भी ज़्यादा अमरिकी जवान, लडाकू विमान और हेलिकॉप्टर्स का ताफा दाखिल हुआ है| चीन द्वारा ‘साऊथ चायना सी’ में चल रही गतिविधियाँ और उत्तर कोरिया में पैदा हुए तनाव के चलते यह युद्ध अभ्यास ग़ौरतलब साबित हो रहा है|

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