अग्नी-५ के संभाव्य परीक्षण से चीन घबराया

नई दिल्ली – लगभग पाँच हज़ार किलोमीटर इतनी क्षमता होनेवाले ‘अग्नी-५’ इस इंटरकॉन्टिनेंटल क्षेपणास्त्र का परीक्षण करने की तैयारी भारत ने की है। इससे चीन बौखलाया होकर, भारत इस परीक्षण को रोकें, ऐसा आवाहन चीन ने किया है। इससे हथियारों की होड़ भड़केगी, ऐसा डर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने व्यक्त किया है। साथ ही, यह परीक्षण संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों का भंग करनेवाला साबित होगा, ऐसा भी लिजिआन ने जताया। चीन की राजधानी बीजिंग तथा अन्य महत्वपूर्ण शहर अग्नी-५ की पहुँच में आने के कारण, चीन भारत के इस संभाव्य परीक्षण पर ऐतराज जताता दिख रहा है।

अग्नी-५२३ से २४ सितंबर के बीच देश में ‘नो फ्लाई ज़ोन’ घोषित किया गया है। अभी भी हालाँकि अधिकृत स्तर पर घोषणा नहीं की गई है, फिर भी भारत ने अग्नी-५ इस अपने इंटरकॉन्टिनेंटल क्षेपणास्त्र का परीक्षण करने की तैयारी की होने की खबरें माध्यमों में आईं हैं। परमाणु विस्फोटकों का वाहन करने की क्षमता होनेवाले इस अग्नी-५ को, दुनियाभर के अत्यधिक घातक क्षेपणास्त्रों में से एक माना जाता है। अमरीका, रशिया, फ्रान्स, चीन तथा उत्तर कोरिया इन देशों के पास इस प्रकार की क्षमता होनेवाले क्षेपणास्त्र हैं। भारत ने भी अब तक पाँच बार अग्नी-५ का परीक्षण किया था। लेकिन इस बार का परीक्षण विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह अग्नी-५ क्षेपणास्त्र ‘एमआयआरव्ही’ (मल्टीपल इंडिपेंटन्टली टार्गेटेबल रिएन्ट्री व्हेईकल्स) से लैस होगा । इसी कारण चीन घबराया हुआ दिख रहा है। क्योंकि इस क्षेपणास्त्र के जरिए, एक ही समय कई स्थानों को लक्ष्य किया जा सकता है। अतिप्रगत हवाई सुरक्षा यंत्रणा भी अग्नी-५ को छेद नहीं सकती। इसीलिए चीन को इसकी गंभीरता से दखल लेनी पड़ रही है। पहले के दौर में भारत का क्षेपणास्त्र कार्यक्रम चीन से लगभग दस से पंद्रह साल पिछड़ा होने के दावे चीन द्वारा ठोके जा रहे थे। उस पृष्ठभूमि पर, चीन ने अग्नी-५ के संदर्भ में व्यक्त की चिंता गौरतलब साबित होती है।

दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता इसका सभी को फायदा मिलेगा, लेकिन भारत के परीक्षण के कारण यह सब खतरे में पड़ जाएगा, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने किया। साथ ही, भारत और पाकिस्तान ने सन १९९८ में किये परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने पारित किए प्रस्ताव के अनुसार, इस प्रकार के परीक्षण करने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, ऐसा लिजिआन ने कहा। लेकिन उत्तर कोरिया जैसा तानाशाही होनेवाला देश गैरजिम्मेदाराना रूप में इंटरकॉन्टिनेंटल क्षेपणास्त्रों के परीक्षण करता आया है, उसका चीन ने कभी ऐसा विरोध नहीं किया है। उल्टे चीन के समर्थन से ही उत्तर कोरिया यह परीक्षण कर रहा है यह बात सामने आई थी। इस कारण, भारत चीन के ऐतराजों की परवाह करने की जरासी भी संभावना नहीं है। अगर भारत के क्षेपणास्त्र से चीन डर रहा है, तो वह बहुत बड़ा सकारात्मक पहलू साबित होता है, ऐसी प्रतिक्रिया कुछ भारतीयों ने सोशल मीडिया में दर्ज की है।

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