प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की चर्चा में ‘क्वाड’ के सहयोग को विशेष अहमियत दी जाएगी – अमरिकी विश्‍लेषक का दावा

वॉशिंग्टन – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीका की यात्रा के दौरान राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन से मुलाकात करेंगे और इसके बाद ‘क्वाड’ के राष्ट्रप्रमुखों की पहली प्रत्यक्ष बैठक में शामिल होंगे। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सहयोग अमरीका की प्राथमिकता रहेगी, ऐसा बयान अमरीका बार-बार कर रही है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा के अवसर पर बायडेन ने ‘क्वाड’ के इस बैठक का आयोजन किया है और यह बैठक अमरीका की इसी प्राथमिकता का हिस्सा होने की चर्चा शुरू हुई है। चीन ने इस बैठक पर पहले ही नाराज़गी जताई थी।

‘क्वाड’ के सहयोगअफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी चीन और रशिया जैसे अपने प्रतिद्वंद्वियों पर ध्यान केंद्रीत करने के लिए होने का बयान करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सेना वापसी के इस निर्णय का समर्थन किया था। अमरीका के कुछ कूटनीतिज्ञ एवं विश्‍लेषक भी यही कह रहे हैं कि, अमरीका अब अफ़गानिस्तान, इराक, सीरिया से ध्यान हटाकर चीन और रशिया से उभरते खतरों पर ध्यान केंद्रीत कर रही है। ‘क्वाड’ के राष्ट्रप्रमुखों की प्रत्यक्ष बैठक का आयोजन करके बायडेन ने अपनी प्राथमिकता का क्रम स्पष्ट किया है, यह दावा भी यह कुटनीतिज्ञ एवं विश्‍लेषक कर रहे हैं। इसका काफी बड़ा लाभ भारत को होगा, ऐसा ‘यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक ऐण्ड पार्टनरशिप फोरम’ के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा है।

भारत और अमरीका ‘क्वाड’ के समर्थ सदस्य हैं और इन दोनों देशों को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मौजूद अपने हितों की और इनके लिए उभरे खतरों का स्पष्ट अहसास हुआ है। इन खतरों के खिलाफ अपना सहयोग अधिक मज़बूत करने की तैयारी भी इन दोनों देशों ने जुटाई है, यह दावा अघी ने किया। इसी बीच, ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाऊंडेशन अमरीका’ के कार्यकारी अध्यक्ष ध्रूव जयशंकर ने क्वाड के समविचारी सदस्य देशों का सहयोग कार्यशील करना ही सबसे बड़ी चुनौती होने का दावा किया। कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीन का वितरण एवं अन्य उपक्रमों के माध्यम से यह सहयोग कार्यशील हो सकता है। साथ ही समुद्री सुरक्षा से संबंधित प्लैन विकसित करके इस पर काम करने के लिए भी ‘क्वाड’ को कदम उठाने पड़ेंगे, ऐसा जयशंकर ने कहा।

चीन ने अपने ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ प्रकल्प के ज़रिये इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छोटे देशों को भी अपने कर्ज़े के फंदे में फंसाने की तैयारी जुटाई है। ‘क्वाड’ के ज़रिये चीन के इस प्रकल्प को विकल्प देने की तैयारी हो रही है, यह चर्चा भी जारी है। बायडेन ने आयोजित की हुई ‘क्वाड’ की चर्चा को अहमियत दी जाएगी। साथ ही समुद्री सुरक्षा को चुनौती देनेवाले चीन को रोकने के लिए आवश्‍यक उपाय योजना और ‘क्वाड’ के सहयोग के लिए भी इस बैठक में सबसे अधिक जोर दिया जाएगा। इसका असर अभी से दिखाई देने लगा है और चीन ‘क्वाड’ की बैठक की तीव्र आलोचना करने लगा है।

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