अफगानिस्तान की गतिविधियों के कारण कट्टरवाद यह मूल समस्या होने की बात साबित हुई – एससीओ की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री की चेतावनी

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘शंघाय कोऑपरेशन काऊन्सिल-एससीओ’ की बैठक को संबोधित किया। कट्टरवाद का खुलेआम पुरस्कार करनेवाला पाकिस्तान और वर्चस्व जताने के लिए उत्सुक होनेवाला चीन, इन दोनों देशों को भारत के प्रधानमंत्री ने ठेंठ नामोल्लेख ना करते हुए फटकार लगाई। कट्टरवाद यह इस क्षेत्र के विकास के आड़े आनेवाली मूल समस्या साबित हुई है। इसी कारण इस क्षेत्र की आर्थिक क्षमता विकसित ना हो सकी, ऐसा खेद ज़ाहिर करके प्रधानमंत्री ने, एससीओ देशों के बीच व्यापारवृद्धि करने के महत्व को अधोरेखांकित किया। लेकिन इस व्यापारवृद्धि के लिए बुनियादी सुविधाओं के प्रोजेक्ट्स का निर्माण करते समय, हर एक देश की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना अत्यावश्यक है, यह जताकर प्रधानमंत्री ने चीन को खरी-खरी सुनाई।

कट्टरवादताजिकिस्तान के दुशांबे में एससीओ की बैठक जारी होकर, इसमें भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहभागी हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इस बैठक को संबोधित किया। अफगानिस्तान में जारी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर एससीओ की इस बैठक को बहुत बड़ा महत्व प्राप्त हुआ है। कट्टरवाद यह इस क्षेत्र की मूल समस्या है यह बात अफगानिस्तान की गतिविधियाँ दिखा दे रहीं हैं, यह बताकर भारत के प्रधानमंत्री ने भारत की भूमिका स्पष्ट रूप में रखी। कट्टरवाद और उससे निर्माण हुई असुरक्षितता का झटका इस क्षेत्र को लगा। इस कारण मध्य एशियाई देशों की खनिजसंपत्ति, उसकी आवश्यकता होनेवाले भारत तक नहीं पहुँची। साथ ही, प्रचंड आर्थिक क्षमता होने के बावजूद भी, कट्टरवाद और असुरक्षितता के कारण इस क्षेत्र को उसका लाभ नहीं मिला, ऐसा प्रधानमंत्री ने आगे कहा।

‘इस कट्टरवाद के विरोध में एससीओ ठोस भूमिका अपनाएँ। इस्लाम में होने वाली उदारमतवादी, सहिष्णू तथा सर्वसामावेशक परंपराओं को प्रोत्साहन देने के लिए एससीओ पहल करें। विज्ञान, उदयित हो रहा तंत्रज्ञान, व्यवहार्य विचारधारा इनका पुरस्कार करके कट्टरवाद की चुनौती का सामना करने के लिए एससीओ अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें’, ऐसा सुझाव प्रधानमंत्री ने दिया। तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा कर सके, इसलिए अपनी सारी ताकत का इस्तेमाल करनेवाले पाकिस्तान ने इस देश को कई सदियों से पीछे धकेला है, ऐसी आलोचना हो रही है।

लेकिन अफगानिस्तान को तालिबान के चंगुल में फँसानेवाले पाकिस्तान को, अपने देश में तालिबान की व्यवस्था मान्य नहीं है। इससे कट्टरवाद का पुरस्कार करनेवाले पाकिस्तान का दोगलापन सारी दुनिया के सामने आया है। ठेंठ उल्लेख टालकर प्रधानमंत्री ने, कट्टरवाद को लक्ष्य करते समय, पाकिस्तान पर प्रहार किया दिख रहा है।

एससीओ के सदस्य देशों के बीच व्यापार वृद्धि होने के लिए भारत हर संभव सहयोग करेगा। मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए भारत ने ईरान का छाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट हाथ में लिया, तथा नॉर्थ साऊथ कॉरिडॉर के लिए पहल की, इसपर प्रधानमंत्री ने गौर फरमाया। लेकिन व्यापार और परिवहन के लिए बुनियादी सुविधाओं के कनेक्टिंग प्रोजेक्ट्स बनाते समय, हर एक देश की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना ही चाहिए, ऐसी उम्मीद प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ाहिर की। ‘बेल्ट अँड रोड इनिशिएटीव्ह-बीआरआय’ प्रोजेक्ट के तहत ऐसे कनेक्टिंग प्रोजेक्ट्स बनाने के दावे करनेवाले चीन की ओर निर्देश करके, भारत के प्रधानमंत्री ने यह फटकार लगाई।

चीन के ‘बीआरआय’ प्रोजेक्ट का भाग होनेवाला ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ प्रोजेक्ट, भारत का अधिकार होनेवाले ‘पाकिस्तानव्याप्त कश्मीर’ से होकर जाता है। इस पर भारत ने कई बार ऐतराज जताया था। लेकिन चीन ने उसे नज़रअंदाज किया। इस कारण क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान का मुद्दा उपस्थित करके, भारत के प्रधानमंत्री ने चीन को चेतावनी दी दिख रही है।

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