भारत और चीन लद्दाख के ‘एलएसी’ का विवाद सौहार्दता से सुलझाएंगे – दोनों देशों का अधिकृत स्तर पर ऐलान

नई दिल्ली – शनिवार के दिन हुई भारत-चीन के लष्करी अधिकारियों की चर्चा में लद्दाख के ‘एलएसी’ का विवाद सौहार्दता से सुलझाने पर सहमति होने की बात कही जा रही है। दो दिन बाद इस विषय पर दोनों देशों की अधिकृत प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। ऐसा होते हुए भी लद्दाख के ‘एलएसी’ के कुछ हिस्से से सेना हटाने के लिए चीन अभी भी तैयार ना होने की बात सामने आयी है। इसी बीच सिक्कीम के ‘एलएसी’ पर दोनों देशों के बीच ‘हॉटलाईन’ शुरू की गई है।

‘एलएसी’ का विवादउम्मीद के अनुसार शनिवार के दिन हुई नौं घंटों की बातचीत से लद्दाख के ‘एलएसी’ के विवाद का हल निकल नहीं सका है। चीन ने कुछ हिस्से से अपनी सेना हटाई है, फिर भी डेप्सांग से पीछे हटने के लिए चीन तैयार ना होने के दावे किए जा रहे हैं। भारत ने इस मुद्दे पर अपनी भूमिका अधिक सख्त की है और पूरी तरह से पीछे हटने तक लद्दाख के ‘एलएसी’ का तनाव कम होना मुमकिन ना होने का इशारा इस चर्चा के दौरान चीन को दिया। इसके अलावा चीन ने ‘एलएसी’ पर अप्रैल की स्थिति स्थापित किए बगैर द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं होंगे, यह इशारा भी भारत ने इस चर्चा के माध्यम से चीन को दिया है।

भारत की माँग के अनुसार ‘एलएसी’ से पूरी तरह से पीछे हटना अपने लिए अपमानकारक होगा, चीन ऐसा समझता है। इसका असर चीन की अंतरराष्ट्रीय छवि पर हो सकता है। इसकी बजाय इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की तैनाती बरकरार रखकर भारत से संबंध अधिक बिगाड़ना भी चीन के हित में नहीं होगा। इस वजह से वर्णित मोर्चे पर चीन की स्थिति फिर एक बार आगे भी बढ़ नहीं सकते और पीछे हटना भी मुमकिन नहीं होगा, ऐसी हुई है। इसी वजह से चीन इस सीमा विवाद का ज़िम्मा स्थानीय लष्करी अफसरों पर सौंपकर दोनों देश द्विपक्षीय संबंध अधिक मज़बूत करने पर जोर दें, यह भूमिका अपना रहा है। लेकिन, यह मुमकिन ना होने का बयान करके भारत ने चीन की यह साज़िश नाकाम कर दी है।

अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने हाल ही में भारत की यात्रा की थी। उनके इस दौरे के बाद भारत ने चीन विरोधी अपनी भूमिका अधिक सख्त की है, ऐसा अनुमान पाकिस्तान के कुछ विश्‍लेषकों ने जताया है। चीन को एक ही समय पर ताइवान, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया से अगल अलग स्तर पर चुनौती प्राप्त हो रही है। चीन के इशारों को ठुकराकर ब्रिटेन की विमान वाहक युद्धपोत ‘क्वीन एलिज़ाबेथ’ ताइवान की खाड़ी में गश्‍त लगाएगी। यूरोपिय महासंघ ने भी चीन के खिलाफ कदम उठाने की तैयारी जुटाई है और नाटो भी चीन की हरकतें खतरनाक होने के दावे कर रही है।

इस पूरी स्थिति का लाभ उठाकर भारत ने चीन के खिलाफ अधिक आक्रामक भूमिका अपनाने की कूटनीति दिखाई होने का दावा पाकिस्तान के विश्‍लेषक कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.