कनाडा में कोरोना टीकाकरण मुहिम को लेकर ६० प्रतिशत जनता में नाराजगी की भावना

ओटावा – कनाडा जैसे प्रगत देश में जारी कोरोना टीकाकरण मुहिम के बारे में जनता में तीव्र नाराजगी की भावना होने की बात सामने आई है। देश की अग्रसर संस्था ने किए सर्वे में से यह बात उजागर हुई है। कुछ दिन पहले युरोपीय महासंघ में भी कोरोना टीकाकरण के मुद्दे पर प्रदर्शन शुरू हुए होने की खबर प्रकाशित हुई थी ।

canada-corona-vaccineकनाडा की ‘ऍन्गस रेड इन्स्टिट्यूट’ इस संस्था ने कोरोना टीकाकरण के मुद्दे पर व्यापक सर्वे किया था। उस रिपोर्ट में से कई धक्कादाई बातें सामने आई हैं। कनाडा के लगभग ५९ प्रतिशत नागरिकों को यह लगता है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्य्रुड्यू की सरकार कोरोना टीके के मुद्दे पर पूरी तरह नाकाम हुई है। कोरोना पर टीका आने के संकेत मिलने के बावजूद भी सरकार ने उस दृष्टि से आवश्यक और समय पर कदम नहीं उठाए, ऐसा मत अधिकांश नागरिकों ने दर्ज किया है।

canada-corona-vaccineदेश के लगभग पौने चार करोड़ नागरिकों को कोरोना का टीका लगाने के लिए सरकार ने सुव्यवस्थित प्रावधान नहीं किया है, ऐसा दावा ५७ प्रतिशत नागरिकों ने किया है। कनाडा के मॅनिटोबा प्रांत में केवल ३५ प्रतिशत नागरिकों को ऐसा विश्वास है कि उन्हें टीका प्राप्त होगा, ऐसा रिपोर्ट में नमूद किया गया है। ब्रिटेन जैसे देश ने हर १०० लोगों में २० लोगों को टीका लगाने में सफलता प्राप्त की है; वहीं, अमरीका ने १३ प्रतिशत लोगों का पड़ाव हासिल किया है। लेकिन कनाडा में तो हर १०० लोगों में केवल ३ लोगों को टीका मिला होने की बात सामने आई है।

कनाडा में अब तक कोरोना के ८ लाख,२३ हजार मरीज पाए गए होकर, २१ हजार लोगों की मृत्यु हुई है। दुनिया की अग्रसर कंपनियों ने टीका विकसित करने के बाद उनसे चर्चा करके, टीकों के डोस प्राप्त करने के लिए कनाडा ने गतिविधियां शुरू कीं थीं। लगभग २ महीने पहले कैनड़ा ने टीकाकरण मुहिम भी शुरू की थी। लेकिन अब तक केवल ११ लाख ८० हजार डोस देने में सफलता मिली होकर, मुहिम धीमी गति से शुरू है ऐसा दिख रहा है।

canada-corona-vaccineइस धीमी गति के पीछे, कंपनियों से सुयोग्य मात्रा में टीके उपलब्ध ना होना और केंद्रीय स्तर पर प्रभावी यंत्रणा का ना होना, ये प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। कनाडा सरकार ने ‘फायझर’ और ‘मॉडर्ना’ इन दो कंपनियों के टीकों को मान्यता दी है। इन दो कंपनियों के टीके युरोप से कनाडा भेजे जाते हैं। लेकिन युरोप में हुई अफरा-तफरी की पृष्ठभूमि पर, युरोपीय महासंघ ने टीकों की निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं। उसका झटका कनाडा को लगा होकर, अगले कुछ महीने अपेक्षित टीकों की तुलना में कम टीकें मिलने वाले हैं। इस कारण सरकार की मुश्किलें और भी बढ़ीं हैं।

टीकों की अपर्याप्त सप्लाई का हल निकालने के लिए ट्य्रुड्यू सरकार ने संयुक्त राष्ट्रसंघ से भी संपर्क किया होने की बात सामने आई है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दुनिया के हर कोने के अविकसित एवं गरीब देशों को कोरोना का टीका उपलब्ध हों, इसलिए ‘कोव्हॅक्स’ योजना हाथ में ली है। इसके तहत जिन देशों ने एवं कंपनियों ने कोरोना का टीका विकसित किया है, उनसे और विकसित देशों के लिए टीका प्राप्त करने की कोशिश जारी है। कैनेडा जैसे प्रगत देश ने उसमें से टीका प्राप्त करने की कोशिश करना, यह सत्ताधारी हुकूमत के लिए शर्म की बात होने की आलोचना विरोधक तथा विश्लेषकों द्वारा की जा रही है।

भारत कनाडा को पाँच लाख कोरोना टीके प्रदान करेगा

नई दिल्ली – देश की जनता में टीकाकरण मुहिम को लेकर असंतोष बढ़ रहा है; ऐसे में कनाडा ने अब ठेंठ भारत से टीका आयात करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्य्रुड्यू ने बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करके टीकों की सप्लाई करने के बारे में चर्चा की। इस समय प्रधानमंत्री ट्यु्रड्यू ने, भारत ने विकसित किया टीका और टीकाकरण मुहिम की प्रशंसा भी की। कनाडा ने भारत के पास दस लाख टीकों की मांग की होकर, फिलहाल भारत ने कनाडा को पाँच लाख ‘कोव्हिशिल्ड’ टीके देने का फैसला किया है।

‘कोव्हिशिल्ड’ यह ब्रिटन की ऑक्सफर्ड युनिवर्सिटी और ‘ऍस्ट्राजेनेका’ कंपनी ने विकसित किया टीका होकर, उसके निर्माण की जिम्मेदारी ‘सिरम इन्स्टिट्यूट ऑफ इंडिया’ इस भारतीय कंपनी को सौंपी गई है।

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