कोरोना टीकाविषयक शीर्ष देशों की नीति, अनर्थकारी नैतिक असफलता को न्योता देनेवाली – ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ का दोषारोपण

जीनिव्हा/लंडन – दुनिया के ४९ प्रमुख देशों में कोरोना के टीके के लगभग चार करोड़ डोस दिये गये हैं। वहीं, एक छोटा ग़रीब देश महज़ २५ डोस ही दे सका है। इसके लिए दुनिया के अग्रसर देशों की टीकाकरण संबंधित नीति कारणीभूत होकर, इससे आनेवाले दौर में दुनिया को अनर्थकारी नैतिक असफलता का सामना करना पड़ेगा, ऐसा दोषारोपण ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ (डब्ल्यूएचओ) ने किया है। यहाँ ‘डब्ल्यूएचओ’ आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की आलोचना कर रहा है कि तभी एक अग्रसर अभ्यासगुट ने कोरोना की महामारी का ग़लत हैंड़लिंग करने के मुद्दे पर चीन समेत ‘डब्ल्यूएचओ’ को ही ज़िम्मेदार ठहराया है।

corona-vaccineचीन से शुरू हुई कोरोनावायरस की महामारी पिछले सालभर में दुनियाभर में फैली होकर, उसमें २० लाख से अधिक लोगों की जान चली गयी है। कोरोना के मरीज़ों की संख्या साढ़े नौं करोड़ के पार गयी है और अमरीका, युरोप तथा लैटिन अमरीका में उसकी तीव्रता बढ़ी सामने आ रही है। कोरोना महामारी में प्रतिदिन मृत्युओं की संख्या में ब्रिटन आगे होकर, पहले १० देशों की सूचि में नौं युरोपीय देशों का समावेश है। कोरोना की महामारी में ब्रिटन में प्रति १० लाख नागरिकों में औसतन १६.५ लोगों की मृत्यु होने की बात दर्ज़ हुई है। वहीं, पिछले हफ़्ते ब्रिटन में प्रतिदिन औसतन ९३५ लोगों ने दम तोड़ा होने की जानकारी भी दी गयी है।

corona-vaccineअमरीका में कोरोना की महामारी में जान गँवानेवालों की संख्या चार लाख के पार गयी है, ऐसी जानकारी ‘एनबीसी’ इस न्यूज़चैनल द्वारा दी गयी है। सोमवार को अमरीका में एक लाख, ५१ हज़ार, ५७१ नये मरीज़ दर्ज़ हुए होकर, १,६९६ लोगों ने दम तोड़ा है। मंगलवार की सुबह २२० लोगों की मृत्यु होने की बात सामने आयी है और उसके बाद मृतकों की संख्या चार लाख के पार गई, ऐसा न्यूज़चैनल द्वारा बताया गया। पिछले पाँच हफ़्तों में अमरीका में एक लाख मृतकों की वृद्धि हुई है, ऐसा भी ‘एनबीसी न्यूज’ ने कहा है। उसी समय, अमरीका के कॅलिफोर्निया प्रांत में कोरोनावायरस का नया ‘स्ट्रेन’ पाया गया होने की जानकारी इस इलाक़े के प्रमुख अस्पताल ‘सेडर्स-सिनाई’ ने दी है।

corona-vaccineइसी बीच, ‘द इंडिपेंडंट पॅनल फॉर पॅन्डेमिक प्रिपेअर्डनेस ऍण्ड रिस्पॉन्स’ इस युरोपियन अभ्यासगुट ने यह दोषारोपण किया है कि चीन तथा डब्ल्यूएचओ ने कोरोना महामारी का ग़लत हैंड़लिंग किया। कोरोना की महामारी की शुरुआत होते ही चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत ने सार्वजनिक स्तर पर अधिक कठोर और कड़ीं स्वास्थ्यविषयक उपाययोजनाएँ करनी चाहिए थीं, ऐसा युरोपियन अभ्यासगुट ने कहा है। चीन के साथ ही डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर भी स्पष्ट रूप से नाराज़गी व्यक्त की गयी है। कोरोनावायरस का फैलाव यह आन्तर्राष्ट्रीय स्तर की महामारी है, यह डब्ल्यूएचओ ने ३० जनवरी से पहले ही घोषित करना चाहिए था, इन शब्दों में स्वास्थ्य संगठन के हैंड़लिंग पर सवाल खड़े किये।

डब्ल्यूएचओ ने आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के टीकाकरण की नीति की आलोचना की है। दुनिया के अग्रसर देशों ने विकसित किया हुआ टीका, यह केवल उसी देश की जनता को देने के लिए प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन यह ‘मी-फर्स्ट’ नीति अनुचित है, ऐसा संगठन के प्रमुख टेड्रॉस घेब्रेयेसुस ने कहा है। ‘इस नीति की क़ीमत दुनिया के ग़रीब देशों को चुकानी पड़ रही है। उन्हें भारी मात्रा में जीवितहानि का सामना करना पड़ रहा होकर, रोज़गार गँवाये जा रहे हैं’, ऐसा भी उन्होंने आगे कहा। टीकाकरण के मुद्दे पर उदाहरण देते समय, गिनिआ जैसा छोटा और ग़रीब देश केवल २५ लोगों को ही टीका दे सका, इसपर भी उन्होंने ग़ौर फ़रमाया।

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