भारत मे ‘जीका’ के मरीज़ पाये गए; ‘डब्ल्यूएचओ’ ने की पुष्टि

नवी दिल्ली, दि. २८ : ब्राझिल समेत दक्षिण अमरीका के अन्य देशों में तबाही मचानेवाले ‘जीका’ वायरस से प्रभावित हुए मरीज़ भारत में पाये गए हैं| भारत में ‘जीका’ का पहला मरीज़ पिछले साल गुजरात के अहमदाबाद में पाया गया था| इसके बाद अब तक तीन लोग ‘जीका’ वायरस से संक्रमित हुए हैं, जिनमें एक गर्भवती महिला शामिल है| लोगों में ड़र का माहौल ना पैदा हों, इसलिए इस बात को ज़ाहिर नहीं किया गया था| भारत में एक गर्भवती महिला समेत तीन लोग ‘जीका’ वायरस से संक्रमित हुए होने की पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने की है| लेकिन इन हालातो से लोग ना ड़रें, ऐसा सरकार द्वारा कहा जा रहा है|

भारत मे ‘जीका’पिछले दो सालों में ‘जीका’ वायरस का फैलाव बड़ी ही तेज़ी के साथ हुआ है, ऐसा सामने आया है| दो साल पहले ब्राझिल में इस वायरस से पीड़ित मरीज़ बड़े पैमाने पर सामने आना शुरू हुआ था| इसके बाद कोलंबिया, मेक्सिको में भी ‘जीका’ के मरीज़ बड़ी मात्रा में सामने आए थे| दक्षिण और मध्य अमरीका में ‘जीका’ का फैलाव होने के बाद, इन देशों से आनेवाले यात्रियों के जरिए ‘जीका’ वायरस का अन्य देशों में फैलाव होना शुरू हुआ था|

अब तक तक़रीबन ५० देशों में ‘जीका’ के हज़ारों मरीज़ पाये गए हैं| पिछले साल सिंगापूर और मलेशिया में ‘जीका’ के दो सौ से अधिक मरीज़ सामने आए थे| इनमें सिंगापूर के १३ भारतीय भी शामिल हैं|

‘जीका’ वायरस के तेज़ी से होनेवाले फैलाव को देखते हुए पिछले साल ‘डब्ल्यूएचओ’ ने आपातकाल की घोषणा की थी और इन सभी देशों को एहतियात बरतने के निर्देश दिए थे| इसके बाद सालभर में ही चालीस लाख मरीज़ ‘जीका’ वायरस से संक्रमित हुए है, ऐसी चेतावनी‘डब्ल्यूएचओ’ द्वारा दी गयी थी| अफ्रिका में ‘इबोला’ का फैलाव जारी है कि तभी ‘जीका’ वायरस के मरीज़ों की संख्या बढने से चिंता जताई जा रही है|

इस पृष्ठभूमि पर, भारत में भी ‘जीका’ के मरीज़ पाये गए हैं, ऐसा कहा गया है| भारत में पाये गए ‘जीका’ के तीनों ही मरीज़ अहमदाबाद के बापूनगर इलाके के हैं| इन मरीज़ों मे ६४ साल के ज्येष्ठ नागरिक, एक हाल ही में बच्चे को जन्म दी हुई ३४ वर्षीय महिला और एक २२ साल की गर्भवती महिला शामिल है|

भारत में पाये जानेवाले ‘जीका’ के मरीज़ों में से पहला मरीज़ पिछले साल फरवरी में पाया गया था| इसके बाद नवंबर में दूसरा मरीज़ और इस साल जनवरी में तीसरा मरीज़ पाया गया था| पुणे के नॅशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ व्हिरोलॉजी (एनआयव्ही) मे जाँच के लिए आये संदिग्ध मरीज़ों के ९३ नमूनों में से इन तीनों में ‘जीका’ वायरस पाया गया होने की पुष्टि की गई| इसके बाद इन नमूनों को अन्य प्रयोगशाला में भेजकर फिर एक बार इन नमूनों को जाँचा गया|

जनवरी महिने में एक गर्भवती महिला इस वायरस से संक्रमित होने के बाद, इस महिला के खून की जाँच के रिपोर्ट और इससे पहले संक्रमित हुए दोनों मरीज़ों के रिपोर्ट को, उनकी पुष्टि करने के लिए मार्च महीने में  ‘डब्ल्यूएचओ’ के पास भेजा गया था| इसके बाद शनिवार को  ‘डब्ल्यूएचओ’ ने, ये ‘जीका’ के ही मरीज़ हैं, ऐसा स्पष्ट किया है|

डेग्यू, चिकनगुनिया जैसे बीमारी के फैलाव के लिए जो ‘एडीस’ मच्छर जिम्मेदार हैं, उन्ही मच्छरों की वजह से ‘जीका’ के वायरस का फैलाव होता है| इस वायरस से संक्रमित हुए मरीज़ों में शुरुआत में कोई लक्षण नहीं पाये जाते हैं| लेकिन बदन में दर्द, सिरदर्द, बुखार आना, अस्वस्थता महसूस होना, शरीर पर मुहासे आना, आँखों में जलन ये इस बिमारी के लक्षण है|

‘जीका’ के वायरस से संक्रमित होनेवालों में से सबसे ज़्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर और उनके गर्भ पर होता है, ऐसा सामने आया है| इससे गर्भ के दिमाग की वृद्धि नहीं होती| दिमाग के विकास पर बड़ा असर होता है| इस वजह से नवजात शिशु व्यंग के साथ ही जन्म लेता है; वहीं, बड़ी उम्र के लोगों को ‘ग्युलियन-बॅरे सिन्ड्रोम’ यह दुर्लभ प्रकार का अर्धांगवायू होने की संभावना रहती है| ब्राझिल और कोलंबिया में ‘जीका’ वायरस की वजह से सैंकड़ों बच्चें दिमागी और शारीरिक व्यंग के साथ पैदा हुए हैं|

‘जीका’ वायरस पहली बार युगांडा में सन १९४७ में दिखायी दिया था| उसके कुछ सालों बाद नायजेरिया में ‘जीका’ का मरीज़ पाया गया था| इसके बाद सन १९८१ में एशिया और अफ्रिका महाद्वीप में ‘जीका’ के केवल चार मरीज़ सामने आए थे| आगे चलकर सन २००७ में मायक्रोनेशिया द्वीप पर ‘जीका’ के लगभग २०० मरीज़ पाए गए थे| बाद में सन २०१४ में ब्राझिल से ‘जीका’ नये सिरे से फैलना शुरू हुआ था|

भारत में तीनों मरीज़ सामने आने के बाद, यह ‘जीका’ वायरस बाहर के देशों से देश में आया है या भारत में पाया गया वायरस इसी देश से है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है| इस वजह से आरोग्य यंत्रणा की चिंताएँ बढ़ीं हैं|
‘इंडियन काऊन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ संस्था ने (आयसीएमआर) अब तक ३२ हज़ार २३३ लोगों के खून के नमूने और मच्छरों के १२ हज़ार ६४७ नमूनों की भी जाँच की है| इनमें से ५०० नमूने अहमदाबाद के बापूनगर इलाके के हैं| लेकिन सौभाग्यवश सभी रिपोर्ट निगेटिव्ह आये हैं|

इन तीन मरीज़ों के अलावा ‘जीका’ के अन्य मरीज़ नहीं पाए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग हालातों पर कड़ी नज़र रखे हुए हैं| लोगों को सावधान रहने के लिए कहा गया होकर, एडीस मच्छरों का फैलाव रोकने के लिए सावधानी बरतने की सूचना दी गई है|

 

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