तीन दशक के समय के बाद भारतीय सेना को आधुनिक तोपें मिल गयीं

नई दिल्ली, दि. १८ : तीन दशक के समय के बाद भारतीय सेना को नयीं तोपें मिलीं हैं| अमरीका के साथ १४५ ‘एम-७७७ अल्ट्रा लाईट हॉवित्झर’ तोपों के लिए समझौता किया गया था| इनमे सें पहलीं दो तोपें परीक्षण के लिए भारत के पास सौंप दी गयीं हैं| पोखरण के रेगिस्तान में इन तोपों का परीक्षण किया गया| ४३ साल पहले १८ मई के ही दिन भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था| इस दिन को ही, अमरीका से खरीदी हुईं ‘होवित्झर’ तोपों का परीक्षण करके भारत ने उस पहले परमाणु परीक्षण का दिन मनाया, ऐसे दिखायी देता है|

भारतीय सेना को आधुनिक तोपेंभारतीय सेना को आधुनिक तोपों की ज़रूरत होकर, सेना पिछले कई दिनों से अक़्सर इनकी माँग कर रही है| लेकिन १९८० के दशक में तोप खरीदारी व्यवहार में हुए गैरकारोबार के इल्जामों के बाद तोफों की खरीदारी प्रकिया रूकी थी|

लेकिन पिछले कई सालों से सेना के अद्ययतनीकरण पर ज़ोर दिया जा रहा है| उसके अनुसार सेना को आवश्यक तोपों की खरीदारी के लिए तेज़ी से कदम उठाये गये| सेना के तोपखाने में आधुनिकता लाने के लिए २२ हज़ार करोड़ रुपयों का प्रावधान रहनेवाली योजना केंद्र सरकार ने तैयार की थी| इस योजना के अनुसार, सन २०२० तक सेना के ताफ़े में ३ हज़ार ५०३ तोपें होंगी| इसके तहत अमरीका से ‘एम-७७७ अल्ट्रा लाईट हॉवित्झर’ तोपों की खरीदारी के लिए सन २०१० से बातचीत शुरू हुई थी| पाँच सालों से अधिक समय चल रही बातचीत के बाद पिछले साल जून महीने में अमरीका के ‘बीएई सिस्टम्स्’ कंपनी के साथ २९०० करोड़ रुपयों का समझौता हुआ|

‘बीएई सिस्टम्स्’ से १४५ ‘होवित्झर’ तोपें खरीदी जायेंगी| इस खरीदारी कारोबार में से पहलीं दो तोपें भारत के पास सौंप दी गयीं हैं| ‘एम-७७७ अल्ट्रा लाईट हॉवित्झर’ की भेदनक्षमता ४० किलोमीटर तक की है| भारत के वातावरण में मारा करने की क्षमता इन तोपों में होकर, हलके वज़न की ये तोपें लडाख जितनी उँचाई पर भी तैनात की जा सकतीं हैं|

अगले साल सितंबर महिने में और तीन तोपें भारत को सौंप दी जायेंगी| वहीं, सन २०१९ से लेकर २०२१ तक हर महीने पाँच तोपें भारतीय सेना के पास दी जायेंगी| १४५ में से १२० तोपों का निर्माण ‘बीएई सिस्टम्स्’ भारत में ही करेगी| इसके लिए ‘महिंद्रा डिफेन्स’ इस कंपनी के साथ समझौता किया गया है| अमरीका, कॅनडा और ऑस्ट्रेलियन सेना के पास ‘एम-७७७ अल्ट्रा लाईट हॉवित्झर’ तोपें हैं| अमरीका ने अफगानिस्तान और ईराक में ये तोपें तैनात कीं होकर, इन तोपों ने अपनी क्षमता सिद्ध की है|

भारतीय सेना को आवश्य रहनेवालीं तोपों की माँग को ध्यान में लेते हुए, ‘बीएई सिस्टम्स्’ के अलावा अन्य कंपनियों की तरफ़ से भी तोपों की खरीदारी की जा रही है| ‘एल ऍन्ड टी’ यह भारतीय कंपनी, दक्षिण कोरिया की कंपनी ‘हॅनव्हॉ टेक’ के सहयोग से १५५ एमएम के ५२ कॅलिबर की ‘वाजरा-टी सेल्फ प्रोपेल्ड हॉवित्झर’ तोपें तैयार कर रही है| अगले तीन सालों में १०० तोपों को सेना को सुपूर्द किया जायेगा| इसके अलावा भारतीय बनावट की ‘धनुष’ तोपों का हाल ही में अद्यतनीकरण किया गया है| इसके बाद ‘धनुष’ तोपों की भेदनक्षमता २७ किलोमीटर से ३८ किलोमीटर तक बढ़ायी गयी है| इनका परीक्षण सफल हो चुका है|

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