भारत-अमरीका संरक्षण सहयोग क्षेत्र के लिए हितकारक होंगे – अमरीका के रक्षामंत्री के भारत दौरे पर चीन से प्रतिक्रिया

नई दिल्ली: अमरीका के रक्षामंत्री जेम्स मॅटिस इनके भारत दौरे के बाद, चीन से सजग प्रतिक्रिया आयी है। भारत और अमरीका मे लष्करी सहयोग और क्षेत्रीय शांति के लिए हितकारक होगा और उसका विपरीत उपयोग नहीं होगा, ऐसी चीन की अपेक्षा है, ऐसी प्रतिक्रिया चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी है।

२ दिनों पहले हुए अमरीका के रक्षा मंत्री जेम्स मॅटिस इनके भारत दौरे मे अमरीका के रक्षा सहयोग अधिक सक्षम करने का निर्णय हुआ था। ड्रोन, विमान और अति प्रगत लड़ाकू विमान के साथ संवेदनशील तंत्रज्ञान भारत को देने के बारे मे चर्चा हुई थी। इस ड्रोन का उपयोग भारत चीन को नियंत्रण मे रखने के लिए करेगा, ऐसा संदेह चीनी विश्लेषक व्यक्त कर रहे है।

तथा हिंद महासागर एवं प्रशांत महासागर मे चीन के बढ़ते प्रभाव पर भी दोनों देशों मे चर्चा हुई। भारत के रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने संयुक्त निवेदन मे चीन का सीधा उल्लेख न करते, प्रशांत महासागर मे परिवहन स्वतंत्रता का भारत पुरस्कार कर रहा है ऐसे ही भूमिका लेते हुए चीन को सुयोग्य संदेश दिया था। उसके बाद अमरीका के रक्षामंत्री मॅटिस ने भारत के साथ सागरी सुरक्षा सहयोग को अमरीका सबसे अधिक महत्व दे रहा है, ऐसा कहा था।

भारत-अमरीकाइस पृष्ठभूमि पर चीन की प्रतिक्रिया आयी है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू क्यूआन मे प्रतिक्रिया देते हुए मॅटिस इनके भारत दौरे पर चीन ध्यान रखे हुए है, ऐसा कहा है। भारत और अमरीका के बीच संरक्षण सहयोग इस क्षेत्र के लिए शांति और स्थिरता के लिए हितकारक होगा और उसका विपरीत उपयोग नहीं होगा, ऐसी अपेक्षा चीन ने की है। ऐसा कर्नल क्यूआनने कहा है। इस प्रतिक्रिया से भारत और अमरीका मे बढ़ते हुए सहयोग के बारे मे चीन को लगने वाला डर स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

इसपर चीन के सरकारी माध्यमों से लगातार भारत और अमरीका के बढ़ते सहयोग के बारे मे चिंता व्यक्त की गयी थी। यह सहयोग चीन विरोधी होने की टीका चीनी माध्यमों से की जा रही है। अमरीका भारत का चीन के विरोध मे उपयोग कर रहा है, ऐसा आरोप चीनने इससे पूर्व किया है। इसकी वजह से मॅटिस के दौरे पर चीन से अपेक्षित प्रतिक्रिया आयी है।

अमरीका के रक्षामंत्री मॅटिस के दौरे पर चीन के रक्षा मंत्रालय से यह प्रतिक्रिया आते हुए, चीन सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेख मे चीन और भारत का सहयोग बढ़ने मे शान्ति सबसे महत्व पूर्ण होगी, एसा रेखांकित किया है।

डोकलाम विवाद की पृष्ठभूमि पर आयी इस प्रतिक्रिया मे १९६२ मे हुए युद्ध, १९८७ और २०१७ मे हुए लश्करी संघर्ष के बाद दोनों देशों मे शांति था प्रस्थापित हुई है। दोनों देशों मे विवाद पर लष्करी मार्ग यह योग्य पर्याय नहीं। भारत और चीन मे सीमा विवाद दोनों देशों के हित के विरोध मे होने की बात कहते हुए. यह चर्चा से सुलझाया जा सकता है ऐसा लेख मे कहा गया है।

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